The Hindu Editorial Analysis in Hindi
6 May 2025
आईडब्ल्यूटी को ‘स्थगित’ रखने से मिलने वाला संदेश
(स्रोत – द हिंदू, राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 08)
विषय: GS 2: शासन | पारदर्शिता और जवाबदेही | लोकतंत्र को मजबूत बनाने में RTI की भूमिका
संदर्भ
- हाल ही में सरकार ने लोकसभा चुनाव के दौरान लागू मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट (MCC) के कारण RTI अनुरोधों के प्रसंस्करण को “स्थगित” बताया है।
- इस निर्णय ने पारदर्शिता समर्थकों में चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि RTI कानून या चुनाव दिशानिर्देशों में चुनाव के दौरान सूचना के अधिकार को निलंबित करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।

परिचय
- लोकतंत्र में सूचना तक पहुंच कोई विशेषाधिकार नहीं, बल्कि एक अधिकार है जो जवाबदेह शासन सुनिश्चित करता है।
- चुनाव के दौरान MCC को कारण बताकर RTI सेवाओं को बंद करना लोकतांत्रिक पारदर्शिता को कमजोर करता है, जबकि यही समय होता है जब नागरिकों को सूचित निर्णय लेना चाहिए।
कानूनी और संवैधानिक ढांचा
- RTI एक सांविधिक अधिकार
- सूचना का अधिकार अधिनियम (2005) नागरिकों को सार्वजनिक अधिकारियों से बिना किसी अड़चन के जानकारी मांगने का अधिकार देता है।
- चुनाव या आपातकाल के दौरान RTI को “स्थगित” करने का कोई प्रावधान इस कानून में नहीं है।
- मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट के तहत कोई आधार नहीं
- एमसीसी चुनाव आयोग द्वारा राजनीतिक दलों और सरकारों के व्यवहार को नियंत्रित करता है, न कि नागरिकों के कानूनी हकों को।
- RTI सेवा निलंबित करना RTI एक्ट की भावना और शाब्दिक अर्थ के खिलाफ है तथा इसका कोई संवैधानिक या कानूनी औचित्य नहीं है।
लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर प्रभाव
- जवाबदेही के साधनों का ब्लैकआउट
- चुनाव का समय पारदर्शिता के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है, जब नीतियों, धन आवंटन, नियुक्तियों और प्रशासनिक फैसलों की जांच जरूरी होती है।
- RTI जवाब न देने से लोक सौपरीक्षण कम होता है और सत्ता के दुरुपयोग की संभावना बढ़ती है।
- लोक भागीदारी पर ठंडा प्रभाव
- नागरिक, पत्रकार और नागरिक समाज RTI के जरिये चुनावी उल्लंघन उजागर करते हैं, सार्वजनिक खर्च का परीक्षण करते हैं और शासन की जांच करते हैं।
- RTI को रोके जाने से लोकतांत्रिक भागीदारी पर नकारात्मक असर पड़ता है।
प्रशासनिक सुविधा बनाम लोक अधिकार
- कोई औपचारिक सूचना या प्रक्रिया नहीं
- RTI निलंबन के समर्थन में कोई आधिकारिक गजट अधिसूचना या कानूनी आदेश जारी नहीं किया गया है।
- प्रशासनिक देरी या कार्यभार का बहाना कानूनी अधिकार को अस्वीकार करने के लिए उचित नहीं ठहराया जा सकता।
- भविष्य के लिए खतरनाक मिसाल
- आज RTI निलंबन को स्वीकार करना भविष्य में पारदर्शिता छुपाने का मार्ग प्रशस्त कर सकता है, खासकर आपातकाल या राजनीतिक संकट के दौरान।
निष्कर्ष
- चुनाव के समय RTI को “स्थगित” करना केवल प्रशासनिक अधिकता नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक मानकों से पीछे हटना है।
- जब मतदाताओं को भरोसेमंद और त्वरित जानकारी चाहिए, उस समय अधिकार छीनना चुनावी निष्पक्षता को कमजोर करता है।
- सरकार तुरंत RTI सेवाएं बहाल करे और चुनाव आयोग स्पष्ट करे कि MCC का उपयोग कानूनी अधिकारों को रोकने के लिए नहीं किया जा सकता।
- पारदर्शिता कभी मौसमी नहीं होनी चाहिए; यह संवैधानिक लोकतंत्र में सदा बनी रहनी चाहिए।