The Hindu Editorial Analysis in Hindi
7 May 2025
आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में विखंडन
(स्रोत – द हिंदू, राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 08)
विषय: जीएस 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध | सुरक्षा चुनौतियाँ | वैश्विक आतंकी नेटवर्क और भारत की विदेश नीति |
संदर्भ
- पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हाल ही में हुए आतंकवादी हमले में चीनी इंजीनियरों की मौत और पुलवामा हमले की बरसी ने वैश्विक स्तर पर आतंकवाद पर ध्यान फिर से केंद्रित किया है।
- लेकिन वैश्विक आतंकवाद-रोधी प्रतिक्रिया विखंडित है, जिसमें भेदभावपूर्ण मानक, पक्षपातपूर्ण नाराजगी और भू-राजनीतिक हितों के कारण कार्रवाई की जाती है, न कि सिद्धांतों के आधार पर।
- यह स्थिति आतंकवाद से प्रभावी मुकाबले की वैश्विक इच्छा को कमजोर करती है।

परिचय
- आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है—लेकिन वैश्विक प्रतिक्रिया बिल्कुल भी एकीकृत नहीं है।
- “अच्छे आतंकवादी बनाम बुरे आतंकवादी” की कहानी से लेकर चुनिंदा निंदा तक, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई टूटी हुई नजर आती है।
- भारत, जो सबसे अधिक प्रभावित देशों में से एक है, न केवल अपने हितों की रक्षा करे बल्कि एक संगठित, नैतिक और निरंतर दृष्टिकोण के लिए नेतृत्व भी करे।
वैश्विक आतंकवाद-विरोधी दृष्टिकोण में द्वैध मानदंड
- “तुम्हारा आतंकवादी और मेरा आतंकवादी” की पाखंडिता
- कुछ देश आतंकवादी घटनाओं की निंदा करते हैं, लेकिन जब राजनैतिक हित मेल खाते हैं तो आतंकवादियों की छुपछुप कर रक्षा करते हैं। जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों पर नजरअंदाज किया जाना।
- पश्चिमी देशों का असंगत रुख—जैसे पाकिस्तान को संरक्षण देना, बावजूद इसके कि वहां सुरक्षित ठिकाने मौजूद हैं—आतंकवाद का विरोध कमजोर करता है।
- विश्व स्तर पर कमजोर संस्थागत प्रणाली
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सुस्ती, जैसे चीन द्वारा आतंकवादियों के नामांकन को रोकना और पाकिस्तान जैसे राज्यों के आतंक समर्थन पर कार्रवाई न होना, संस्थागत कमजोरियां दर्शाता है।
- ग्लोबल टेररिज्म इंडेक्स जैसे प्रयास भी राजनीतिक नाजुकताओं के कारण आतंक के मूल कारणों का सामना करने से बचते हैं।
भारत की रणनीतिक चिंताएं और कूटनीतिक दुविधाएं
- पाकिस्तान की भूमिका और सीमा पार आतंकवाद
- भारत सबसे बड़ा राज्य-प्रायोजित आतंकवाद पीड़ित देश है, खासकर पाकिस्तान से।
- फिर भी वैश्विक मंचों पर इस्लामाबाद का प्रत्यक्ष सामना करने में हिचक होती है, जिससे भारत की सुरक्षा हितों को नुकसान होता है।
- पुलवामा से गाजा तक: वैश्विक प्रतिक्रियाओं में असमानता
- गाजा में बड़ी संख्या में नागरिकों की हत्या पर वैश्विक सहानुभूति देखी जाती है, जबकि भारतीय नागरिकों पर हमलों पर प्रतिक्रियाएं अक्सर कमजोर रह जाती हैं, जो पक्षपात और मीडिया फ्रेमिंग को दर्शाता है।
- दो-पक्षीय वार्तालापों की सीमाएं
- पाकिस्तान के साथ “मामले सुलझाने” की बातें आतंकवाद में उसकी भूमिका को नजरअंदाज करती हैं और न्याय में देरी करती हैं।
- भारत की जवाबदेही की मांग को वैश्विक समर्थन चाहिए जिससे आतंक को पालने वाले राष्ट्रों को अलग-थलग किया जा सके।
आगे का रास्ता: भारत की नेतृत्व भूमिका
- वैश्विक संस्थानों का सुधार
- भारत को UNSC और FATF सुधारों के लिए दबाव बढ़ाना होगा, ताकि आतंक के वित्त पोषण और राज्य प्रायोजन की स्पष्ट निंदा हो।
- आतंकवाद की वैश्विक परिभाषा और एकीकृत प्रतिबंध तंत्र आवश्यक हैं।
- अंतरराष्ट्रीय गठबंधन बनाना
- भारत को UAE, फ्रांस, इज़राइल जैसे समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर एक शक्तिशाली आतंक विरोधी गठबंधन बनाना चाहिए, जो पारंपरिक शक्ति राजनीति से स्वतंत्र हो।
- G-20 और BRICS जैसे मंचों का उपयोग आतंकवाद को मानवाधिकार और विकास का मुद्दा बनाने के लिए करना चाहिए।
- निरंतर और सुसंगत विदेश नीति संदेश
- भारत को अपना