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प्रसंग

अमेरिका द्वारा जोहानेसबर्ग G-20 सम्मेलन का बहिष्कार करना कूटनीतिक दृष्टि से अविवेकपूर्ण निर्णय था।

भूमिका

अफ्रीका में आयोजित जोहानेसबर्ग G-20 शिखर सम्मेलन ऐतिहासिक रहा, क्योंकि यह महाद्वीप पर होने वाला पहला सम्मेलन था। इस बैठक में अफ्रीकी संघ को पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई, जिससे वैश्विक दक्षिण की आवाज और सशक्त होकर उभरी। सम्मेलन में बढ़ते वैश्विक संघर्षों, असमानता और अस्थिरता पर चिंता व्यक्त की गई तथा भारत ने विकास की नई दिशा निर्धारित करने हेतु कई पहलें प्रस्तावित कीं। यह शिखर सम्मेलन अधिक समावेशी, सहयोगात्मक और न्यायसंगत अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की बढ़ती अपेक्षाओं को दर्शाता है।

जोहानेसबर्ग सम्मेलन का अवलोकन

  • यह G-20 शिखर सम्मेलन अफ्रीका में आयोजित होने वाला पहला ऐतिहासिक सम्मेलन था।
  • भारत की 2023 की अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को G-20 का पूर्ण सदस्य बनाया गया, जिससे वैश्विक दक्षिण की आवाज मज़बूत हुई।
  • संयुक्त घोषणा पत्र में वैश्विक संघर्षों, असमानताओं और आर्थिक अस्थिरता जैसी गंभीर चुनौतियों को रेखांकित किया गया।

मुख्य वैश्विक मुद्दे

  • नेताओं ने सूडान, डी.आर. कांगो, फिलिस्तीनी अधिकृत क्षेत्र और यूक्रेन में “न्यायपूर्ण, व्यापक और स्थायी शांति” की आवश्यकता पर बल दिया, जिसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर की मूल भावना से जोड़ा गया।
  • बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव, मानवीय संकटों और संघर्षों के समाधान की आवश्यकता पर व्यापक चर्चा हुई।

भारत की प्रस्तावित पहलें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी सत्रों में भाग लेते हुए वैश्विक विकास की पुनर्कल्पना हेतु छह प्रमुख पहलों का प्रस्ताव रखा—

  1. पारंपरिक ज्ञान भंडार (Traditional Knowledge Repository)
  2. G20–अफ्रीका कौशल गुणक पहल (एक मिलियन अफ्रीकियों का प्रशिक्षण)
  3. वैश्विक स्वास्थ्य सेवा प्रतिक्रिया दल (Global Healthcare Response Team)
  4. मादक पदार्थ–आतंक गठजोड़ के विरुद्ध पहल
  5. कृषि, मत्स्य और आपदा प्रबंधन हेतु उपग्रह डेटा साझेदारी
  6. G20 महत्वपूर्ण खनिज परिपत्रता (Critical Minerals Circularity) पहल

यद्यपि भारत ने घोषणा पत्र का मसौदा तैयार करने में सहयोग किया, परंतु 2023 की नई दिल्ली घोषणा की तुलना में आतंकवाद पर अपेक्षाकृत कमजोर शब्दावली पर असंतोष व्यक्त किया।

अमेरिका की अनुपस्थिति और उसके प्रभाव

  • नेताओं ने वैश्विक चुनौतियों के समाधान में G-20 की भूमिका को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर बल दिया, परंतु अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अनुपस्थिति पर कोई स्पष्ट टिप्पणी नहीं की।
  • अमेरिका ने केवल शिखर सम्मेलन में भाग नहीं लिया, बल्कि दक्षिण अफ्रीका में श्वेत अल्पसंख्यक किसानों के कथित दमन के विरोध में इसे औपचारिक रूप से बहिष्कृत किया।
  • यह पहली बार है जब अमेरिका ने G-20 नेताओं के शिखर सम्मेलन से स्वयं को अलग किया।

वैश्विक प्रतिबद्धता पर चिंता

  • अमेरिका का यह निर्णय G-20 के प्रति उसकी प्रतिबद्धता पर प्रश्नचिह्न लगाता है, विशेषकर तब जब वह 2026 की अध्यक्षता की तैयारी कर रहा है।
  • विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की अनुपस्थिति और वैश्विक समुदाय की मूक प्रतिक्रिया एक लोकतांत्रिक अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था की आशाओं को धूमिल करती है।
  • घोषणा पत्र में उद्धृत “उबंटू”—“मैं हूँ क्योंकि हम हैं”—यह संदेश देता है कि प्रमुख शक्तियों को सामूहिकता की भावना को कमजोर नहीं करना चाहिए।

निष्कर्ष

जोहानेसबर्ग शिखर सम्मेलन के परिणाम इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि वैश्विक सहयोग को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है, विशेषकर तब जब अमेरिका जैसी प्रमुख शक्ति महत्वपूर्ण मंचों से दूरी बना रही है। G-20 की प्रासंगिकता बनाए रखने के लिए “उबंटू”—“मैं हूँ क्योंकि हम हैं”—की भावना को अपनाना अनिवार्य है। समूह की प्रभावशीलता तभी सुनिश्चित होगी जब सदस्य राष्ट्र संवाद, सामूहिक उत्तरदायित्व और संतुलित, प्रतिनिधिक तथा एकीकृत विश्व व्यवस्था के प्रति वास्तविक प्रतिबद्धता प्रदर्शित करें।


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