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संदर्भ

विश्व एड्स दिवस (1 दिसंबर) के अवसर पर लेखक भारत में HIV/AIDS और तपेदिक (TB) से निपटने की यात्रा की समीक्षा करते हैं। विशेष रूप से तमिलनाडु के विकेन्द्रित एवं समुदाय-आधारित मॉडल को रेखांकित किया गया है, जिसने अन्य राज्यों के लिए आदर्श मॉडल का रूप लिया।


लेख में इस बात पर बल दिया गया है कि एड्स नियंत्रण की सफलता से प्राप्त सबक, TB उन्मूलन और स्वास्थ्य तंत्र की दक्षता बढ़ाने में कैसे उपयोगी हो सकते हैं — विशेषकर डिजिटल उपकरणों, निगरानी तंत्र और स्वास्थ्य सेवाओं के एकीकरण में।

1. पृष्ठभूमि : भारत का एड्स संकट और उसका प्रतिकार

1980–1990 के दशक में HIV/AIDS वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में उभरा।

  • HIV संक्रमण प्रतिरक्षा-तंत्र को कमजोर करता है, जिससे तपेदिक, दस्त आदि अवसरवादी संक्रमण बढ़ जाते हैं।
  • 1990 के दशक तक भारत में HIV प्रसार 1% से कम था, परन्तु व्यापक रूप से फैल चुका था।
  • संक्रमण का प्रमुख माध्यम:
    • असुरक्षित विषमलैंगिक संबंध
    • उत्तर-पूर्व भारत में नशीले पदार्थों का सूई द्वारा सेवन

2. तमिलनाडु स्टेट एड्स कंट्रोल सोसाइटी (TNSACS) मॉडल

भारत सरकार ने विश्व बैंक के सहयोग से 1992 में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण परियोजना (NACP) प्रारम्भ की।

तमिलनाडु ने नवोन्मेषी कदम उठाते हुए एक पंजीकृत सोसाइटी — TNSACS की स्थापना की, जो स्वतंत्र रूप से धन का प्रबंधन कर सके। इससे लचीलेपन, पारदर्शिता और उत्तरदायित्व में वृद्धि हुई।

इस मॉडल की उपलब्धियाँ

  • लक्षित जन-समूह अभियानों से नए संक्रमणों में तेज गिरावट दर्ज की गई।
  • तमिलनाडु में HIV दर 2000 में 0.54% से घटकर 2020 में 0.22% रह गई — देश के सबसे तेज सुधारों में से एक।
  • इस मॉडल को बाद में NACP-II (1997–2002) के दौरान पूरे देश में अपनाया गया।

3. एड्स और टीबी का संबंध : दोगुना बोझ

  • HIV संक्रमित व्यक्तियों में TB सबसे आम अवसरवादी संक्रमण है, और भारत में AIDS से होने वाली मौतों में लगभग 25% का कारण TB है।
  • विश्व स्तर पर TB के कुल रोगियों का 25% भारत में है;
  • MDR-TB (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी) के 25% मामले भी भारत में ही पाए जाते हैं।

इसलिए HIV–TB निगरानी, परीक्षण एवं उपचार का एकीकरण, स्वास्थ्य-संबंधी SDGs को प्राप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

4. तमिलनाडु की टीबी उन्मूलन में अगुवाई

भारत का लक्ष्य 2025 तक TB उन्मूलन है — जो WHO के वैश्विक लक्ष्य (2030) से पाँच वर्ष पूर्व है।

तमिलनाडु की प्रमुख पहलें:

  • रोगियों की जाँच और निगरानी हेतु डिजिटल प्लेटफॉर्म का उपयोग
  • राज्यभर में AIDS और TB नियंत्रण इकाइयों का एकीकृत संचालन
  • समुदाय-आधारित जागरूकता और प्रारम्भिक निदान
  • ICMR–NIE का सहयोग: त्वरित परीक्षण, उपचार अनुपालन, पोषण सहायता एवं मृत्यु दर में कमी पर विशेष ध्यान

5. राष्ट्रीय स्तर पर सीख और विस्तार

भारत के पाँच राज्य — उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान — 2024 में देश के कुल TB बोझ के 56% के लिए जिम्मेदार हैं।

तमिलनाडु मॉडल यह दर्शाता है कि विकेन्द्रित शासन, मजबूत सार्वजनिक स्वास्थ्य तंत्र और डिजिटल ट्रैकिंग, AIDS और TB दोनों में मृत्यु दर घटाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

अब प्रधानमंत्री TB मुक्त भारत अभियान (PMTBMBA) के तहत इस मॉडल को CSR और जन-सहभागिता के माध्यम से पूरे देश में विस्तारित किया जा रहा है।

6. नीतिगत मुख्य संदेश

  • एकीकृत रोग निगरानी (HIV–TB) से स्वास्थ्य अवसंरचना का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होता है।
  • राज्य-स्तरीय स्वायत्त संस्थाएँ निधि के उपयोग में पारदर्शिता और गति बढ़ाती हैं।
  • समुदाय सहभागिता + डिजिटल निगरानी प्रभावी महामारी-नियंत्रण के मूल स्तंभ हैं।
  • तमिलनाडु की सतत सफलता दर्शाती है कि संघीय ढांचे में राज्यों की लचीलापन-आधारित नवाचार क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

“तमिलनाडु का विकेन्द्रित एड्स मॉडल न केवल HIV नियंत्रण में सफल रहा, बल्कि अब भारत को TB उन्मूलन की राह भी दिखा रहा है।”

स्वायत्तता, डिजिटल नवाचार और सामाजिक भागीदारी का यह समन्वित दृष्टिकोण — मच्छरजनित रोगों, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध जैसी अन्य सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों के समाधान के लिए भी एक दोहराने योग्य राष्ट्रीय मॉडल है।

‘TB-मुक्त भारत 2025’ का लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब अन्य राज्य भी तमिलनाडु के प्रमाण-आधारित, समुदाय-नेतृत्व वाले दृष्टिकोण को अपनाएँ।


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