The Hindu Editorial Analysis in Hindi
8 August 2025
कार्रवाई का समय
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधनों का जुटाव, वृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे
परिचय
RBI का दरों में कटौती रोकना वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता के बीच एक सतर्क नीति को दर्शाता है। वैश्विक व्यापार तनाव, लंबित व्यापार वार्ताएं और पिछली मौद्रिक छूटों के पूर्ण प्रभाव के अभाव के कारण केंद्र बैंक ने धैर्य प्रदर्शित किया है। यह निर्णय भारत के आर्थिक विकास और स्थिरता के लिए पूरक वित्तीय कदमों की आवश्यकता को भी रेखांकित करता है।

वैश्विक अनिश्चितता के बीच RBI की सूझबूझ भरी रोक
- 6 अगस्त 2025 को RBI की मौद्रिक नीति समिति ने फरवरी से कुल 100 बेसिस पॉइंट्स की कटौती के बाद दरों में और कटौती रोक दी।
- गवर्नर संजय मलहोत्रा ने वैश्विक व्यापार में जारी अनिश्चितताओं, विशेषकर टैरिफ मामलों का हवाला दिया।
- अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाना व्यापार तनाव को बढ़ावा देता है और भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की अंतिम स्थिति अभी स्पष्ट नहीं हुई है।
- रूस से तेल खरीदने वाले देशों पर अमेरिका की संभावित दंडात्मक कार्रवाई भारत के प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को कम कर सकती है।
भविष्य के फैसलों के लिए रणनीतिक लचीलापन
- दरों को स्थिर रखने से RBI के पास बाजार और आर्थिक संकेतकों के आधार पर आगे कार्रवाई करने का विकल्प बना रहता है।
- पिछली दर कटौती का प्रभाव देखने के लिए RBI इंतजार करना चाहता है।
- यह नीति जल्दबाजी या अप्रभावी निर्णयों से बचने के लिए एक समझदार कदम है।
दर कटौती का प्रभाव अभी जारी
- फरवरी से हुई 100 बेसिस पॉइंट की कटौती का प्रभाव वित्तीय प्रणाली में धीरे-धीरे पहुंच रहा है।
- बैंकों में पर्याप्त तरलता है, जिससे उधार देने की संभावना बनी रहती है।
- हालांकि, बैंकों द्वारा कम दरों को उपभोक्ताओं और व्यवसायों तक पूरी तरह पहुंचाने में देरी चिंता का विषय है।
- रोक से यह आकलन करने का समय मिलेगा कि क्या सस्ते ऋण का वास्तविक अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ रहा है।
कमजोर क्रेडिट मांग गहरी समस्याओं का संकेत
- तरलता के बावजूद उपभोक्ता क्षेत्रों में क्रेडिट की मांग कमजोर है।
- उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुओं का ऋण 3% वर्ष-दर-वर्ष गिरा है।
- आवास ऋण वृद्धि 36% से घटकर 9.6% हो गई है।
- वाहन ऋण में 5 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है।
- जून 2025 में औद्योगिक क्रेडिट वृद्धि 8.1% से घटकर 5.5% रह गई।
- ये संकेत दर्शाते हैं कि केवल मौद्रिक नीति से निवेश और मांग पुनर्जीवित नहीं होगी।
समन्वित वित्तीय कार्रवाई की आवश्यकता
- गवर्नर मलहोत्रा ने कहा कि केवल मौद्रिक नीति पर्याप्त नहीं है, इसके साथ संरचनात्मक और वित्तीय नीति कदम भी जरूरी हैं।
- सरकार को तत्काल नीतिगत उपाय करने होंगे जैसे:
- GST दरों का तर्कसंगत सुधार।
- वैश्विक तेल मूल्यों के अनुरूप ईंधन मूल्य निर्धारण।
- RBI इंतजार कर सकता है, लेकिन सरकार को सक्रिय होकर मांग को बढ़ावा देना होगा।
निष्कर्ष
RBI की सतर्क नीति उचित है, लेकिन अब भार सरकार के कंधों पर है। केवल मौद्रिक नीति से अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना संभव नहीं। लक्षित वित्तीय हस्तक्षेप और कर सुधार आवश्यक हैं ताकि मांग को प्रोत्साहन मिले। एक समन्वित नीति उत्तरदायी और टिकाऊ विकास सुनिश्चित करेगी, खासकर चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल में।