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परिप्रेक्ष्य
भारत में COVID-19 मामलों में हाल ही में थोड़ी सी वृद्धि देखी गई है, जो नवीन उप-प्रकारों के पता चलने के कारण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब वायरस से ज्यादा बड़ा खतरा गलत सूचना (मिसइन्फॉर्मेशन) और घबराहट है, क्योंकि अधिकांश जनता में वायरस के खिलाफ अच्छी प्रतिरक्षा और टीकाकरण हो चुका है।


परिचय
हमने वायरस से लड़ाई तो जीती है, लेकिन गलत सूचना के खिलाफ लड़ाई जारी है।
मामलों में मामूली वृद्धि के बीच अफवाहें और पैनिक व्यवहार सार्वजनिक स्वास्थ्य नीतियों को प्रभावित कर रहे हैं।


वास्तव में क्या हो रहा है?

  • मामूली वृद्धि ओमिक्रॉन के उप-प्रकार जैसे JN.1 और BA.2.87 के कारण है, कोई नया खतरनाक वेरिएंट नहीं।
  • बढ़ी हुई रिपोर्टिंग बेहतर परीक्षण, वेस्टवॉटर सर्विलांस और मीडिया फोकस की वजह से है, न कि बड़े पैमाने पर संक्रमण।

वैज्ञानिक समझ

  • SARS-CoV-2 अब मौसमी वायरस बन रहा है, सर्दियों में हल्की लहरें आती हैं, जैसे फ्लू में होती हैं।
  • अधिकांश मामलों में संक्रमण हल्का या बिना लक्षण का होता है। प्राकृतिक और टीके से बनी इम्यूनिटी से गंभीर मामलों की संख्या कम है।

असल खतरा: गलत सूचना

  • मीडिया में हर छोटी लहर पर अतिउत्साही रिपोर्टिंग से डर पैदा होता है, जिससे बिना जरूरत मास्क या टीकाकरण की दौड़ लगती है।
  • डर के कारण अस्पताल संसाधनों का गलत इस्तेमाल होता है और अन्य गंभीर बीमारियां जैसे टीबी, हृदय रोग अनदेखी हो जाते हैं।

टीकाकरण और इम्यूनिटी की स्थिति

  • भारत में अधिकांश वयस्क कम से कम एक डोज़ COVID वैक्सीन लगा चुके हैं।
  • ओमिक्रॉन लहर के बाद 90% से अधिक आबादी में एंटीबॉडीज़ हैं।
  • अतिरिक्त बूस्टर केवल उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों जैसे बुजुर्ग या कमजोर प्रतिरक्षितों के लिए जरूरी हैं।
  • मौजूदा टीके गंभीर बीमारी से बचाते हैं।

क्या किया जाना चाहिए?

  • तर्कपूर्ण और संतुलित संदेश जारी किए जाएं, डर फैलाने वाले दावे ना करें।
  • संक्रमण की मामूली बढ़ोतरी स्वीकारें, लेकिन साफ-सफाई, निगरानी और जोखिम समूह की सुरक्षा पर ध्यान दें।
  • स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करें, महामारी तैयारी और बहु-रोग प्रतिक्रिया विकसित करें।
  • उच्च जोखिम समूहों में फ्लू और कोविड दोनों के टीकाकरण को बढ़ावा दें।

निष्कर्ष
हर वायरल वृद्धि संकट नहीं होती।
भारत को विज्ञान पर आधारित, संतुलित और सार्वजनिक स्वास्थ्य-केंद्रित प्रतिक्रिया अपनानी चाहिए।
वायरस बदल रहा है, हमारी समझ भी बदलनी चाहिए। अब हमारी लड़ाई वायरस से ज्यादा गलतफहमी के खिलाफ होनी चाहिए।

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