The Hindu Editorial Analysis in Hindi
14 June 2025
क्रैश एंड बर्न: भारत के विमानन क्षेत्र को सुरक्षा चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता है
(स्रोत – द हिंदू, राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 08)
विषय: जीएस-3 – बुनियादी ढांचा (विमानन), प्रौद्योगिकी और सुरक्षा, जीएस-2 – विनियामक सुधार, शासन
संदर्भ
12 जून, 2025 को एयर इंडिया AI117 ड्रिमलाइनर के क्रैश ने भारत की नागरिक उड्डयन सुरक्षा मानकों पर वैश्विक स्तर पर सवाल खड़ा कर दिया। आधुनिक प्रौद्योगिकी (बोइंग 787-8 GEnx इंजन सहित) से लैस होने के बावजूद विमान को टेकऑफ़ के कुछ ही मिनट बाद घातक दुर्घटना का सामना करना पड़ा।

मुख्य चिंताएं
- प्रौद्योगिकीय और संचालन संबंधी समस्याएं
- बोइंग 787-8 एक आधुनिक विमान है, लेकिन इसके कई तकनीकी दोष रिपोर्ट हो चुके हैं, जैसे इंजन में बर्फ जमना, असेंबली गुणवत्ता के प्रश्न, बैटरी से आग लगना, और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम की विफलताएं।
- एयर इंडिया का 787 बेड़ा UPA सरकार के समय 2006 में बोइंग के साथ किए गए लेगेसी सौदे का हिस्सा है।
- सुरक्षा निगरानी और अंतराल
- भारत की DGCA (सिविल एविएशन महानिदेशालय) की निरीक्षण और नियामक क्षमता पर आलोचना हुई है।
- खराब लोड प्लानिंग, पर्यावरणीय परिस्थितियों और क्रू प्रशिक्षण की कमियों को संभावित कारण माना जा रहा है।
- शासन और स्वामित्व परिवर्तन
- यह हादसा टाटा समूह के तहत एयर इंडिया के संक्रमण के दौरान हुआ, जिसमें सिंगापुर एयरलाइंस एक शेयरधारक है।
- एयरलाइन वर्तमान में पाँच वर्षीय ट्रांसफॉर्मेशन रोडमैप पर कार्यरत है, जिसमें सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रणों का पुनर्गठन शामिल है।
भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए व्यापक परिणाम
क्षेत्र | चुनौती | आवश्यक सुधार |
---|---|---|
प्रौद्योगिकी और एयरवर्थनेस | उन्नत विमानों में डिज़ाइन स्तर की तकनीकी खामियां | निर्माताओं के साथ सहयोग; MRO मानकों को सुदृढ़ करें |
नियमन | DGCA द्वारा कमजोर प्रवर्तन, ऑडिट में विलंब | नियामक निकायों को स्वायत्त और आधुनिक बनाएं |
सुरक्षा प्रोटोकॉल | SOPs में असंगतता, व्हिसलब्लोअर संरक्षण की कमी | उद्योग-व्यापी SOPs लागू करें; तृतीय पक्ष स्वतंत्र ऑडिट |
सार्वजनिक विश्वसनीयता | घटनाओं से यात्री विश्वास में गिरावट | सुरक्षा पारदर्शिता और समयोचित खुलासे बढ़ाएं |
प्रशिक्षण एवं क्रू तत्परता | अपर्याप्त सिम्युलेटर और आपातकालीन तैयारी के कारण मानवीय त्रुटियाँ | अनिवार्य परिदृश्य आधारित पुनः प्रशिक्षण |
वैश्विक संदर्भ
- FAA (यूएसए) और EASA (यूरोपीय संघ) ने स्वतंत्र निगरानी प्रणालियाँ अपनाई हैं, जो एयरलाइन संचालन और सुरक्षा नियामकों के बीच स्पष्ट अलगाव सुनिश्चित करती हैं।
- भारत को ऐसे ढांचे को अपनाना चाहिए ताकि वैश्विक सुरक्षा सूचकांकों में विश्वसनीयता बनी रहे।
सिफारिशें और आगे का रास्ता
- स्वतंत्र सिविल एविएशन सुरक्षा बोर्ड:
दुर्घटनाओं की पारदर्शी जांच और संरचनात्मक सुधारों की सिफारिश के लिए। - सार्वजनिक निरीक्षणीय सुरक्षा रिकार्ड:
एयरलाइंस को सुरक्षा और रखरखाव नियमों के पालन का सार्वजनिक डैशबोर्ड बनाए रखना चाहिए। - घरेलू R&D में निवेश:
आयातित विमानों पर निर्भरता कम करके स्वदेशी एविएॉनिक्स और डायग्नोस्टिक्स को एकीकृत करें। - DGCA को सशक्त बनाना:
कर्मचारी बढ़ाना, निरीक्षण प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण और ICAO मानकों के अनुरूप बनाना। - पिछली दुर्घटनाओं से सीखना:
कोझिकोड रनवे अधिभार, नेपाल गंतव्य उड़ानों जैसी दुर्घटनाओं से मिली सीख को प्रशिक्षण पुस्तकों में संस्थागत बनाना।
निष्कर्ष
भारत की वैश्विक विमानन हब बनने की आकांक्षा को बिना समझौते के सुरक्षा नियमों, पारदर्शी ऑडिट और संस्थागत अखंडता से समर्थित होना चाहिए। लाभप्रदता यात्रियों की सुरक्षा से ऊपर नहीं होनी चाहिए। जैसे-जैसे उद्योग का विस्तार हो रहा है, एयर सुरक्षा को शुरुआत