The Hindu Editorial Analysis in Hindi
1 August 2025
खराब होते रिश्ते
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 3 – अर्थव्यवस्था
परिचय
- अमेरिका ने भारतीय आयात पर 25% शुल्क और अतिरिक्त दंड लगाए हैं।
- यह कदम लंबे समय से चली आ रही व्यापारिक असहमति, रूस के साथ भारत के संबंधों और बातचीत की ठहराव की स्थिति का परिणाम है।
- बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के बीच दोनों देशों के लिए निर्णय लेना कठिन हो गया है।

भारत-अमेरिका के बीच व्यापार तनाव की वृद्धि
- 25% शुल्क की घोषणा:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय आयात पर 25% शुल्क और दंड लगाए। - अमेरिका की पुरानी शिकायतें:
- भारत के रूस के साथ ऊर्जा और रक्षा संबंध।
- भारत द्वारा विदेशी वस्तुओं पर उच्च शुल्क और गैर-शुल्क बाधाएं।
- पूर्व चेतावनियां नजरअंदाज:
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ने वार्ताओं में अड़चनें स्वीकार की थीं; भारत ने भी मिनी-डील की संभावनाओं को कम करके आंका।
वर्तमान परिदृश्य: कड़वे कूटनीतिक स्वर और नीति जमे पर
- ट्रम्प की बदलती भाषा:
- भारत की अर्थव्यवस्था को “मृत” कहने जैसी टिप्पणियां।
- पाकिस्तान से भारत को तेल सप्लाई की व्यंग्यपूर्ण बातें।
- नीति अपरिवर्तित:
- अमेरिकी मांगें: भारतीय शुल्क घटाना, अमेरिकी वस्तुओं के लिए ज्यादा बाजार खुलवाना।
- भारत: कृषि और डेयरी में संरक्षणवाद बरकरार, रूस के साथ संबंध नहीं बदलने का रुख।
द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए अनिश्चित रास्ता
- समझौते की चुनौतियां:
- मिनी-डील की समय-सीमाएं बढ़ाई गईं।
- भारत-रूस संबंधों को व्यापार वार्ता से जोड़ना जटिलता बढ़ाता है।
- रणनीतिक व आर्थिक संतुलन:
- भारत ने अपनी संप्रभुता और विदेश नीति का निर्णय लेने का अधिकार दोहराया।
- अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार है (लगभग 20% निर्यात)।
- प्रतिस्पर्धात्मक नुकसान:
- दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम जैसे देश बिना शुल्क के भारत से आगे।
- कार्यवाही की आवश्यकता:
- भारतीय व्यापार निकायों ने चिंता जताई है।
- भारत को मिल-जुलकर समझौता सुनिश्चित करने के प्रयास तेज करने होंगे।
निष्कर्ष
भारत को अपनी संप्रभुता की रक्षा और आर्थिक प्रतिस्पर्धात्मकता के बीच संतुलन बनाए रखना चाहिए। अमेरिकी शुल्क के कारण भारत का निर्यात लाभ कम हो रहा है, जिसके चलते व्यापार समझौता करवाने की जिम्मेदारी भारतीय वार्ताकारों पर बढ़ती जा रही है। बेहतर और सम्मानजनक समाधान रणनीतिक साझेदारी को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, खासकर वैश्विक गठबंधनों और आर्थिक प्राथमिकताओं के बदलाव के दौर में।