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संदर्भ

  • 29 सितम्बर को अंतरराष्ट्रीय खाद्य हानि एवं अपव्यय जागरूकता दिवस (IDAFLW) मनाया जाता है।
  • उद्देश्य: खाद्य सुरक्षा और जलवायु सुरक्षा को कमजोर करने वाली वैश्विक खाद्य हानि और अपव्यय पर प्रकाश डालना।
  • वैश्विक स्तर पर लगभग एक-तिहाई भोजन बर्बाद होता है।
  • भारत भी, एक प्रमुख खाद्य उत्पादक होने के नाते, बाद-फसल हानि की गंभीर समस्या से जूझ रहा है।

भारत में बाद-फसल हानि: पैमाना, प्रभाव और समाधान

  • आर्थिक नुकसान: सालाना लगभग ₹1.5 लाख करोड़ (कृषि GDP का 3.7%)।
  • फसल-वार हानि:
    • फल और सब्जियाँ: 10–15%
    • धान: 4.8%
    • गेहूँ: 4.2%
  • संसाधनों की बर्बादी: भोजन के साथ पोषण, पानी, ऊर्जा और श्रम भी व्यर्थ।
  • राष्ट्रीय परिणाम:
    • किसानों की आय घटती है।
    • खाद्य उपलब्धता घटती है।
    • पर्यावरणीय स्थिरता और जलवायु सुरक्षा पर खतरा।
  • भिन्नता: फसल, क्षेत्र और मूल्य श्रृंखला के अनुसार हानि अलग-अलग।
  • जरूरत: खाद्य हानि और ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का मानचित्रण।

सरकारी प्रयास और उभरते साक्ष्य

  • राष्ट्रीय सर्वेक्षण: भारत सरकार द्वारा 50+ फसलों पर 3 बार सर्वेक्षण।
  • वैश्विक समन्वय: SDG संकेतक 12.3.1 को राष्ट्रीय सूचकांक ढांचे में शामिल किया गया।
  • FAO–NIFTEM–GCF अध्ययन:
    • धान जैसी फसलों से सालाना 10+ मिलियन टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन।
    • पशु उत्पादों का नुकसान अधिक हानिकारक (संसाधन-गहन उत्पादन के कारण)।
    • कुल खाद्य हानि से 33+ मिलियन टन CO₂ समतुल्य उत्सर्जन।
  • भारत बनाम विकसित देश:
    • भारत में हानि आपूर्ति श्रृंखला के शुरुआती चरणों में।
    • उच्च-आय वाले देशों में अधिकतर उपभोक्ता स्तर पर।
  • मुख्य चुनौतियाँ:
    • कमजोर अवसंरचना।
    • तकनीक का सीमित प्रयोग।
    • खंडित आपूर्ति श्रृंखला।

समाधान: भारत की खाद्य हानि की चुनौती से निपटना

  • अवसर: प्रौद्योगिकी, साझेदारी, निजी क्षेत्र की प्रतिबद्धता और परिपत्र अर्थव्यवस्था (Circular Economy)।
  • अवसंरचना सुदृढ़ीकरण:
    • कोल्ड चेन (प्रि-कूलिंग, रेफ्रिजरेटेड ट्रांसपोर्ट, आधुनिक भंडारण)।
    • प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना (PMKSY) के तहत खाद्य प्रसंस्करण और लॉजिस्टिक्स।
  • सस्ती तकनीक:
    • सौर कोल्ड स्टोरेज, लो-कॉस्ट चैंबर, क्रेट्स, मॉइश्चर-प्रूफ साइलो।
  • डिजिटल उपकरण:
    • IoT सेंसर और AI आधारित पूर्वानुमान।
    • FAO FLAPP ऐप (2023) – 30+ देशों में प्रयोग।
  • परिपत्र अर्थव्यवस्था:
    • अधिशेष भोजन को फूड बैंक/कम्युनिटी किचन तक पहुँचना।
    • अवश्यंभावी अपशिष्ट को कम्पोस्ट, पशु आहार, बायोएनर्जी में बदलना।
  • नीतिगत समर्थन:
    • सब्सिडी, क्रेडिट गारंटी, कम-ब्याज ऋण।

साझा जिम्मेदारी

  • सरकार:
    • हानि में कमी को जलवायु रणनीति में शामिल करना।
    • मजबूत अवसंरचना में निवेश।
  • व्यवसाय:
    • परिपत्र अर्थव्यवस्था मॉडल अपनाना।
    • नवाचार को बड़े स्तर पर लागू करना।
  • नागरिक समाज/शैक्षणिक जगत:
    • अनुसंधान, जागरूकता अभियान और साक्ष्य-आधारित समाधान।
  • उपभोक्ता:
    • सचेत विकल्प।
    • फूड रीडिस्ट्रिब्यूशन कार्यक्रमों का समर्थन।
  • IDAFLW का महत्व:
    • केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि कार्रवाई का आह्वान
    • भोजन बचाना = जलवायु संरक्षण + संसाधन बचत + आजीविका सुरक्षा।

निष्कर्ष

  • भारत में खाद्य हानि की चुनौती बड़ी है, पर समाधान संभव हैं।
  • आवश्यक कदम:
    • प्रौद्योगिकी,
    • अवसंरचना,
    • परिपत्र अर्थव्यवस्था,
    • साझी जिम्मेदारी
  • सरकार, व्यवसाय, समाज और उपभोक्ताओं को मिलकर काम करना होगा।
  • IDAFLW का संदेश: खाली थाली का अर्थ होना चाहिए भोजन का आनंद, न कि बर्बाद संसाधन

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