The Hindu Editorial Analysis in Hindi
31 May 2025
तीव्र गिरावट: मुद्रास्फीति में कमी के बावजूद ग्रामीण उपभोग खराब बना हुआ है
(स्रोत – द हिंदू, राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 08)
विषय: जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था | औद्योगिक विकास | मुद्रास्फीति के रुझान | ग्रामीण उपभोग और कृषि नीति
परिप्रेक्ष्य
भारत का औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) अप्रैल में 8 महीने के न्यूनतम 2.7% पर आ गया है, जो ग्रामीण उपभोग में निरंतर कमजोरी को दर्शाता है। मुख्य सेक्टर का उत्पादन भी 0.5% तक सिकुड़ गया है। जबकि मुद्रास्फीति में कमी आई है, ग्रामीण गैर-स्थायी वस्तुओं की खपत कमजोर बनी हुई है, जिससे कुल मांग प्रभावित हो रही है।

परिचय
मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
भारत का धीमा होता औद्योगिक उत्पादन केवल सांख्यिकीय गिरावट नहीं, बल्कि घटती खपत, निर्यात की अनिश्चितता और ग्रामीण मांग पुनर्जीवन में नीति सुस्ती का प्रतिबिंब है।
प्रमुख तथ्य: औद्योगिक और मुख्य सेक्टर में मंदी
- IIP 2.7% पर
यह मार्च के 5.2% से गिरावट है।
मैन्युफैक्चरिंग और बिजली का उत्पादन क्रमशः 3.4% और 1.1% ही बढ़ा, जो मार्च में 4.2% और 10.2% था। - मुख्य सेक्टर सिकुड़न
कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली सहित आठ मुख्य उद्योगों का उत्पादन केवल 0.5% बढ़ा।
यह क्षेत्र IIP का 40% है, इसलिए इसकी कमजोरी चिंताजनक है।
सबसे बड़ी चिंता: ग्रामीण गैर-स्थायी वस्तुओं की मांग में गिरावट
- तीन माह से गिरावट
खाद्य पदार्थ, साबुन, घरेलू सामान जैसी वस्तुएं, जो ग्रामीण खपत के केंद्र हैं, घट रही हैं।
खाद्य मुद्रास्फीति 2.14% तक घटी, लेकिन कृषि उत्पादों की कीमतें MSP से नीचे आ गईं, जिससे ग्रामीण आय प्रभावित हुई। - मुद्रास्फीति और खर्च के बीच असंतुलन
खुदरा मुद्रास्फीति 3.16% पर आने के बाद भी ग्रामीण मांग नहीं बढ़ी।
इसका अर्थ है कि केवल कम मुद्रास्फीति से खर्च नहीं बढ़ेगा, जब तक आय समर्थन या कृषि मूल्य सुधार न हों।
बाहरी चुनौतियां: व्यापार और शुल्क अस्थिरता
- खनन निर्यात में गिरावट
खनन क्षेत्र का निर्यात $42 बिलियन से $25 बिलियन हो गया है।
निर्यात में इसका हिस्सा 8.1% से 5.1% तक गिरा, जिससे औद्योगिक उत्पादन दबाव में है। - वैश्विक जोखिम और अमेरिकी निर्भरता
भूराजनीतिक तनाव और शुल्क अनिश्चितता के बीच, भारत को निर्यात विविधीकरण और अमेरिकी निर्भरता कम करनी होगी।
निर्यात प्रदर्शन अनियमित है, जिससे औद्योगिक विकास प्रभावित होता है।
क्या किया जाना चाहिए
- ग्रामीण आय बढ़ाना
सरकार को MSP कवरेज और खरीद को क्षेत्र विशिष्ट रूप से बढ़ाना होगा।
ग्रामीण उपभोक्ताओं के हाथों में अधिक नकदी होगी तो गैर-स्थायी वस्तुओं की मांग बढ़ेगी। - निजी निवेश को प्रोत्साहित करना
नीति अनिश्चितता कम करें, निजी निर्यातकों को प्रोत्साहन दें और नए बाजारों में विस्तार करें। - खाद्य आपूर्ति श्रृंखला सुधार
ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर बनाएं ताकि फल-सब्जियों को सुरक्षित रखने, संसाधित करने व परिवहन में नुकसान कम किया जा सके, जिससे किसानों की आय बढ़े।
निष्कर्ष
ग्रामीण खपत के पुनरुद्धार के बिना औद्योगिक सुधार असम्भव है।
मुद्रास्फीति नियंत्रण एक उपलब्धि है, लक्ष्य नहीं।
गरीब वर्ग के हाथों में क्रय शक्ति के बिना आर्थिक विकास असंतुलित और अस्थायी रहेगा।
भारत को अब मूल्य स्थिरता से मांग सृजन की ओर बढ़ना होगा, खासकर गैर-शहरी, कृषि-निर्भर क्षेत्रों में, नहीं तो औद्योगिक मंदी लंबी खिंचेगी।