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भारत ने 2025 में जापान को पछाड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर $4.3 ट्रिलियन की जीडीपी हासिल की है। यह केवल विकास ही नहीं बल्कि रणनीतिक क्षेत्रीय प्रगति को भी दर्शाता है, जिसमें ऊर्जा क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण है।

यह संपादकीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत की दशक भर की चार स्तंभों वाली ऊर्जा रणनीति प्रस्तुत करता है, जिसने आर्थिक विस्तार और राष्ट्रीय सुरक्षा को तेजी से बढ़ावा दिया है।

ईंधन की अनिश्चितता के इस युग में, भारत ऊर्जा की निश्चितता का एक प्रकाश स्तंभ बन गया है।
शुद्ध ऊर्जा आयातक से लेकर स्थिरता, विविधता और सस्ती ऊर्जा सुनिश्चित करने तक, भारत की ऊर्जा रूपरेखा इसके विकास की कहानी और सतत् विकास की धुरी है।

  1. स्रोतों का विविधीकरण
    अन्वेषण क्षेत्रफल दोगुना हो गया है (8% वर्ष 2021 में → 16% वर्ष 2025 में)।
    मुंबई ऑफशोर, कंबई और आंडमान सहित 25 से अधिक नए तेल/गैस क्षेत्र खोजे गए।
    एआई आधारित सेंसरिक इमेजिंग और हवाई गुरुत्वाकर्षण मानचित्रण जैसी तकनीकों का उपयोग गहरे जल और नवीन क्षेत्रों के अन्वेषण को बढ़ावा देता है।
  2. घरेलू उत्पादन का विस्तार
    गैस उत्पादन 28.7 BCM (2020) से बढ़कर 36.4 BCM (2023-24) हो गया।
    मुंबई हाई से ONGC का उत्पादन: तेल में 44% और गैस में 89% की वृद्धि।
    भारत अब वैश्विक स्तर पर शीर्ष 3 LNG आयातकों में और ऊर्जा उपभोक्ताओं में तीसरे स्थान पर है।
  3. नवीकरणीय और हरित ऊर्जा को बढ़ावा
    भारत ने 8.62 लाख टन हरित हाइड्रोजन और 3,000 मेगावाट इलेक्ट्रोलाइजर टेंडर आवंटित किए हैं।
    एथेनॉल मिश्रण का विस्तार 10% (2022) से बढ़कर 20% (2025 तक) होगा।
    संपीड़ित बायोगैस (CBG) संयंत्र भी बढ़ रहे हैं, जिनमें से 126 संयंत्र पहले ही चालू हैं।
  4. सस्ती और न्यायसंगत ऊर्जा सुनिश्चित करना
    प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत 6.7 करोड़ से अधिक एलपीजी उपयोगकर्ताओं को सब्सिडी मिलती है।
    पारदर्शी मूल्य निर्धारण, सब्सिडी लक्षित करना और रणनीतिक भंडार के माध्यम से ईंधन की कीमत स्थिर रखी जाती है।

24,000 किलोमीटर से अधिक नए उत्पाद पाइपलाइन बिछाई गई हैं; 96,000 रिटेल आउटलेट अब चालू हैं।
HELP, OALP, गैस मूल्य निर्धारण सुधार और ऊर्जा सुरक्षा अधिनियम जैसी नीतियों ने उदारीकृत निवेश माहौल बनाया है।
भारत हाइड्रोजन और बायोफ्यूल केंद्र के रूप में उभर रहा है, जिसमें सार्वजनिक-निजी साझेदारी स्वच्छ ऊर्जा अपनाने को तेज कर रही है।

हरित हाइड्रोजन मिशन पर विशेष ध्यान, जिसमें IOCL, BPCL, HPCL, रिलायंस और NTPC जैसी कंपनियाँ अग्रणी हैं।
भारत 2070 तक नेट-जीरो लक्ष्य को पूरा करते हुए स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन और निर्यात का वैश्विक केंद्र बनने की स्थिति में है।

प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना ने ग्रामीण गरीबों के लिए स्वच्छ रसोई ईंधन सुनिश्चित किया है।
CNG उपयोग 2014 के 25 लाख से बढ़कर 2025 में 75 लाख से अधिक हो चुका है।
एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म अब ऊर्जा पहुँच, मूल्य निर्धारण और वितरण मापदंडों को पारदर्शिता के लिए ट्रैक करते हैं।

भारत का ऊर्जा क्षेत्र केवल उपभोग का विषय नहीं रहा, बल्कि योगदान का विषय बन गया है।
उपलब्धता, सस्ती कीमत और स्थिरता को संतुलित करके, भारत की ऊर्जा रूपरेखा दिखाती है कि कैसे एक रणनीतिक दृष्टि $5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को संचालित कर सकती है तथा समानता, दृढ़ता और हरित विकास सुनिश्चित कर सकती है।


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