The Hindu Editorial Analysis in Hindi
18 July 2025
निर्वाचित सरकार के नेतृत्व में जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ बेहतर आतंकवाद से लड़ाई
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 2: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप तथा उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे
संदर्भ:
जम्मू-कश्मीर पुलिस को निर्वाचित सरकार के नियंत्रण में लाने से पुलिसिंग रणनीतियाँ स्थानीय जनता की चिंताओं और आवश्यकताओं के अनुरूप बन सकेंगी।

परिचय:
16 जून 2025 को जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने शेर-ए-काश्मीर पुलिस अकादमी में कहा कि क्षेत्र में आतंकवाद खत्म करना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने पुलिस को आधुनिक तकनीक अपनाने, सुरक्षा खतरों से निपटने, कट्टरपंथ रोकने और सामुदायिक विश्वास बनाने की रणनीतियाँ अपनाने को कहा।
महत्वपूर्ण बिंदु:
- स्थानीय पुलिस आतंकवाद के मुकाबले की रीढ़ है, केंद्रीय बल केवल समर्थन करते हैं, स्थानापन्न नहीं।
- स्थानीय पुलिस क्षेत्र की भाषा, रीति-रिवाज, जनजीवन को अच्छी तरह समझती है, जिससे बेहतर खुफिया जानकारी मिलती है।
- अप्रैल 2025 के पहल्गाम हमले में मानव सूचना (HUMINT) की कमी स्पष्ट हुई; बेहतर स्थानीय खुफिया इससे बचाव में मदद कर सकता था।
- जम्मू-कश्मीर पुलिस (JAKP) की कार्यक्षमता सुधारनी आवश्यक है।
- JAKP को निर्वाचित सरकार के अधीन लाकर जवाबदेही और संवेदनशीलता बढ़ाई जा सकती है।
- विधायक, सरपंच जैसे स्थानीय नेता सुरक्षा वार्ताओं में शामिल हो, ताकि जनता की आवाज़ सही रूप में पुलिस तक पहुंचे।
- समुदाय का पुलिस पर विश्वास बेहतर सहयोग और आतंकवाद से लड़ने में मददगार होगा।
लोकतांत्रिक संरचना की पुनर्स्थापना:
- जम्मू-कश्मीर में स्थानीय चुनावों में भारी भागीदारी होती है, जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कम।
- स्थानीय प्रतिनिधियों को सुरक्षा कारणों से पूरी तरह से सशक्त नहीं किया गया।
- पूर्ण लोकतांत्रिक शासन बहाल करना जरूरी है, जिसमें पंचायत से लेकर संसद तक सभी स्तर शामिल हों।
- पुलिस-स्थानीय प्रशासन का अच्छा तालमेल लोकतंत्र और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है।
- जब स्थानीय नेता सुरक्षा मामलों से बाहर रहेंगे, तो जनता की भागीदारी घटेगी, जिससे आतंकवाद से लड़ाई कमजोर होगी।
- नीतिनिर्माताओं को पुलिस और स्थानीय नेताओं के बीच नियमित संवाद स्थापित करना चाहिए ताकि आतंकवाद से जुड़ी जानकारी साझा हो और जनता का विश्वास बढ़े।
- जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद क्षेत्रीय और विदेशी तत्वों का मिश्रण है, इसलिए स्थानीय स्तर पर अलग रणनीतियाँ अपनानी होंगी।
अंतर को पाटना:
- वर्तमान में निर्वाचित प्रतिनिधियों को सुरक्षा ढांचे से बाहर रखा गया है, जिससे परिणाम संतोषजनक नहीं हैं।
- JAKP को निर्वाचित सरकार के नियंत्रण में देकर जवाबदेही बढ़ाई जा सकती है और पुलिसिंग लोकल जरूरतों के अनुकूल होगी।
- स्थानीय नेता पुलिस और जनता के बीच पुल का काम करेंगे, विश्वास और सहयोग बढ़ाएंगे।
- मजबूत पुलिस-समुदाय संबंध आतंकवाद विरोधी कार्यों के लिए जरूरी है।
निष्कर्ष:
जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव आयोजित कर जनता को अपनी पसंद चुनने का अधिकार दिया गया है, लेकिन यह प्रयास अधूरा रहेगा जब तक सबको शासन में शामिल नहीं किया जाता। आतंकवाद केवल समस्या नहीं, बल्कि शासन को कुछ विशेष तबकों तक सीमित रखने की प्रवृत्ति भी है। मनोज सिन्हा का समुदायों को शामिल करने का प्रयास तभी सफल होगा जब निर्वाचित नेताओं को सक्रिय रूप से शामिल किया जाए और उनकी भूमिका का सम्मान हो। तब ही क्षेत्र की सुरक्षा में सुधार संभव होगा।