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  • स्थानीय पुलिस आतंकवाद के मुकाबले की रीढ़ है, केंद्रीय बल केवल समर्थन करते हैं, स्थानापन्न नहीं।
  • स्थानीय पुलिस क्षेत्र की भाषा, रीति-रिवाज, जनजीवन को अच्छी तरह समझती है, जिससे बेहतर खुफिया जानकारी मिलती है।
  • अप्रैल 2025 के पहल्गाम हमले में मानव सूचना (HUMINT) की कमी स्पष्ट हुई; बेहतर स्थानीय खुफिया इससे बचाव में मदद कर सकता था।
  • जम्मू-कश्मीर पुलिस (JAKP) की कार्यक्षमता सुधारनी आवश्यक है।
  • JAKP को निर्वाचित सरकार के अधीन लाकर जवाबदेही और संवेदनशीलता बढ़ाई जा सकती है।
  • विधायक, सरपंच जैसे स्थानीय नेता सुरक्षा वार्ताओं में शामिल हो, ताकि जनता की आवाज़ सही रूप में पुलिस तक पहुंचे।
  • समुदाय का पुलिस पर विश्वास बेहतर सहयोग और आतंकवाद से लड़ने में मददगार होगा।
  • जम्मू-कश्मीर में स्थानीय चुनावों में भारी भागीदारी होती है, जबकि विधानसभा और लोकसभा चुनावों में कम।
  • स्थानीय प्रतिनिधियों को सुरक्षा कारणों से पूरी तरह से सशक्त नहीं किया गया।
  • पूर्ण लोकतांत्रिक शासन बहाल करना जरूरी है, जिसमें पंचायत से लेकर संसद तक सभी स्तर शामिल हों।
  • पुलिस-स्थानीय प्रशासन का अच्छा तालमेल लोकतंत्र और सुरक्षा दोनों के लिए आवश्यक है।
  • जब स्थानीय नेता सुरक्षा मामलों से बाहर रहेंगे, तो जनता की भागीदारी घटेगी, जिससे आतंकवाद से लड़ाई कमजोर होगी।
  • नीतिनिर्माताओं को पुलिस और स्थानीय नेताओं के बीच नियमित संवाद स्थापित करना चाहिए ताकि आतंकवाद से जुड़ी जानकारी साझा हो और जनता का विश्वास बढ़े।
  • जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद क्षेत्रीय और विदेशी तत्वों का मिश्रण है, इसलिए स्थानीय स्तर पर अलग रणनीतियाँ अपनानी होंगी।
  • वर्तमान में निर्वाचित प्रतिनिधियों को सुरक्षा ढांचे से बाहर रखा गया है, जिससे परिणाम संतोषजनक नहीं हैं।
  • JAKP को निर्वाचित सरकार के नियंत्रण में देकर जवाबदेही बढ़ाई जा सकती है और पुलिसिंग लोकल जरूरतों के अनुकूल होगी।
  • स्थानीय नेता पुलिस और जनता के बीच पुल का काम करेंगे, विश्वास और सहयोग बढ़ाएंगे।
  • मजबूत पुलिस-समुदाय संबंध आतंकवाद विरोधी कार्यों के लिए जरूरी है।

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