The Hindu Editorial Analysis in Hindi
19 July 2025
पायलटों का मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ी समस्या है
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 2: स्वास्थ्य, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
संदर्भ:
एयरलाइन कंपनियों और नियामकों को पायलट मानसिक स्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दे पर दूरदृष्टि और सहायक रवैया अपनाना आवश्यक है।

परिचय:
12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया बोइंग 787 दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट के बाद सोशल मीडिया पर पायलट की भूमिका को लेकर चर्चा हुई। अंतिम रिपोर्ट आने तक कारण तय करना उचित न हो, परन्तु यह मानसिक स्वास्थ्य पर खुलकर बात करने का सही समय है, जो आज भी एक वर्जित विषय माना जाता है।
पायलट आत्महत्याओं के मामले:
- अब तक कम से कम 19 ज्ञात मामले हैं जहां पायलटों ने जानबूझकर विमान क्रैश किया, जिससे कई जानें गईं।
- मार्च 2015 में जर्मनविंग्स फ्लाइट 9525 दुर्घटना ने वैश्विक स्तर पर पायलट मानसिक स्वास्थ्य की गंभीरता को उजागर किया।
- इस हादसे का कारण सह-पायलट का मानसिक स्वास्थ्य विकार था, जिसने विमान को जानबूझकर पहाड़ से टकरा दिया था।
पायलटों के जीवन की चुनौतियाँ:
- पायलट अपनी भावनात्मक और मानसिक समस्याएं छुपाते हैं, क्योंकि खुलेआम स्वीकार करने से करियर पर प्रभाव पड़ सकता है।
- “डिमांड पर सोना”, लगातार समय क्षेत्र बदलना, पारिवारिक असंतुलन, वित्तीय तनाव, और सोशल मीडिया तनाव पायलटों को प्रभावित करते हैं।
- शहरी जीवन की चुनौतियाँ भी उनकी चिंता बढ़ाती हैं।
एयरलाइन प्रबंधन की भूमिका:
- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अध्ययन अनुसार 12.6% पायलट डिप्रेशन के मानदंड पर खरे उतरते हैं, और 4.1% ने हाल के समय में आत्महत्या के विचार व्यक्त किए।
- जीवन के महत्वपूर्ण संकटों पर पेड लीव देना तनाव कम करने में मददगार है।
- पियर सपोर्ट प्रोग्राम स्थापित करें, ताकि पायलट मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सहायता बिना सामाजिक कलंक के प्राप्त कर सकें।
- प्रगतिशील चिकित्सा दृष्टिकोण से कुछ मानसिक रोगों से ग्रस्त पायलट चिकित्सकीय निगरानी में उड़ान भर सकते हैं।
प्रमुख उदाहरण:
- MH370 के कप्तान के बारे में भी पारिवारिक और भावनात्मक दिक्कतों की रिपोर्टें थीं, जो शुरुआती समर्थन की आवश्यकता दर्शाती हैं।
नियामकीय बदलाव:
- भारत के DGCA को भी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति प्रगतिशील नीति अपनानी चाहिए।
- मानसिक स्वास्थ्य जांचों में कठोरता बढ़ाने से पायलटों पर अतिरिक्त दबाव पड़ सकता है।
- मानसिक स्वास्थ्य की जांच में सीमाएं हैं; इसका समाधान पायलटों को मानसिक स्वास्थ्य लक्षण पहचानने की शिक्षा देना है।
निष्कर्ष:
केन्द्र सरकार को ऐसे कानून बनाना चाहिए जो स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारियों को स्पष्ट करे, जिनमें मरीज की ऐसी स्थिति में उचित प्राधिकारी को समय पर सूचना देना शामिल हो, जिससे सार्वजनिक सुरक्षा बनी रहे। साथ ही, मरीज की निजता और व्यक्तिगत जानकारी की रक्षा भी सुनिश्चित हो। पूर्ण जोखिम समाप्त न कर पाना संभव है, लेकिन संतुलित दृष्टिकोण और सर्वोत्तम प्रथाओं के पालन से इन चुनौतियों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सकता है।