The Hindu Editorial Analysis in Hindi
14 May 2025
बड़ी बात: अमेरिका-चीन व्यापार समझौते का भारत पर प्रभाव पड़ेगा
(स्रोत – द हिंदू, राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 08)
विषय: जीएस 2 और जीएस 3: अंतर्राष्ट्रीय संबंध | भारत और वैश्विक व्यापार | भारतीय हितों पर नीतियों और समझौतों का प्रभाव |
संदर्भ
- अमेरिका और चीन के बीच 90 दिन की अस्थायी व्यापार संधि बनी है।
- दोनों देश अपने शुल्क (टैरिफ) को कम या अस्थायी रूप से रोकेंगे।
- यह आर्थिक तनावों में एक तरह का विराम दिखाता है।
- हालांकि, इसके प्रभाव भारत के लिए मिश्रित हैं, जो उसके निर्यात, निवेशकों के आकर्षण और वैश्विक सप्लाई चेन दोनों पर असर डालते हैं।

प्रस्तावना
- जब बड़े आर्थिक देश आपस में बातचीत करते हैं, तो प्रभाव पूरे विश्व में महसूस होते हैं।
- हालिया अमेरिका-चीन व्यापार समझौता वैश्विक बाजारों को राहत देता है, लेकिन भारत के लिए यह अवसर और सावधानी दोनों का मिश्रण है।
- शुल्क में छूट और बातचीत के बाद, भारत को अपनी रणनीति पर विचार करना होगा—जैसे “चीन+1” मॉडल का फायदा उठाना या अमेरिका के साथ व्यापार नीतियों में बदलाव करना।
व्यापार संधि: क्या सहमति बनी?
- शुल्कों का अस्थायी निलंबन
- अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ को घटाकर 30% करने पर सहमति दी।
- इसके बदले में चीन ने अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 125% से घटाकर 10% करने का वादा किया।
- यह आर्थिक तनाव को थोड़ा कम करने का संकेत है।
- निवेशक भावनाएं और बाजार प्रतिक्रिया
- वैश्विक बाजारों में 2-3.8% की तेजी आई।
- निवेशकों को व्यापार सुधार की उम्मीद से उत्साह मिला।
- लेकिन यह अस्थिरता भी दिखाता है कि बातचीत कभी न हो तो नुकसान हो सकता है।
भारत के लिए प्रभाव: अनिश्चितताएं और रणनीतिक विकल्प
- भारत की विनिर्माण योजना पर चुनौतियां
- “चीन+1” रणनीति के तहत, कई कंपनियां चीन से हटकर भारत जैसे वैकल्पिक देशों में आना चाहती थीं।
- यदि अमेरिका-चीन समझौता सफल रहा, तो यह रणनीति कमजोर हो सकती है।
- भारत अभी तक इस अवसर का भरपूर फायदा नहीं उठा पाया है।
- भारत के अमेरिकी निर्यात पर असर
- अमेरिका-चीन संबंध बेहतर होने से भारत को स्टील, एल्यूमिनियम और इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में मिलने वाली बढ़त कम हो सकती है।
- अमेरिकी टैरिफ से छूट पाने की भारत की कोशिशें भी कठिन हो सकती हैं।
अवसर: क्या भारत फिर भी लाभ कमा सकता है?
- घरेलू विनिर्माण (‘मेक इन इंडिया’)
- भारत अभी तक चीन का बड़ा विकल्प नहीं बन पाया है।
- लेकिन व्यापार युद्ध की अनिश्चितता ने देश में अवसंरचना, लॉजिस्टिक्स और श्रम सुधारों की जरूरत को उजागर किया है।
- वैश्विक सप्लाई चेन का विविधीकरण
- अमेरिकी-चीन तनाव कम होने के बावजूद, कंपनियां जोखिम कम करने और वैकल्पिक सप्लाई चेन खोजने की कोशिश करेंगी।
- भारत सही नीतियों के साथ इस अवसर का लाभ उठा सकता है।
निष्कर्ष
- अमेरिका-चीन व्यापार समझौता भारत के लिए कोई ठोस जीत नहीं, बल्कि जागरूकता का अवसर है।
- वैश्विक निवेशक निश्चितता, पैमाना और नीति स्थिरता चाहते हैं।
- अब जबकि अमेरिका-चीन संबंध बेहतर हो रहे हैं, भारत को तेजी से सुधार करने, मजबूत बनने और स्मार्ट प्रतिस्पर्धा करने की जरूरत है।
- व्यापार युद्धों के बीच भारत का अवसर संकीर्ण हो सकता है, लेकिन अभी भी खुला है।
- चुनौती यह नहीं कि महान शक्तियों के संघर्ष का इंतजार करें, बल्कि अपना खुद का प्रतिस्पर्धात्मक लाभ बनाएं।