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प्रसंग

अमेज़न क्षेत्र में आयोजित बेलेम शिखर सम्मेलन (Belém Summit) का स्थान स्वयं में एक सशक्त प्रतीक है — यह जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए निर्णायक एवं समन्वित वैश्विक कार्रवाई का प्रेरक केंद्र बनकर उभरा है।

भूमिका

6 नवम्बर 2025 को ब्राज़ील के अमेज़न के हृदय में बेलेम शिखर सम्मेलन प्रारम्भ हुआ, जिसने आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP30) के लिए दिशा निर्धारित की। COP30 से पूर्व के दिनों में विश्व के नेता यहाँ एकत्र हुए हैं ताकि वे अपनी प्रतिबद्धता को दोहराएँ और बढ़ते जलवायु संकट के प्रति सामूहिक, त्वरित कार्रवाई का संकल्प लें।


शब्दों से कर्म की ओर : सामूहिक संकल्प द्वारा विश्वास की पुनर्स्थापना
  • केवल भाषण पर्याप्त नहीं हैं — यदि ठोस परिणाम नहीं मिलते, तो जनता का विश्वास COP सम्मेलनों, बहुपक्षवाद और वैश्विक शासन व्यवस्था से उठ जाएगा।
  • अमेज़न में यह सम्मेलन “सत्य का COP” बनने की आकांक्षा रखता है, जिससे यह सिद्ध हो कि पृथ्वी की रक्षा के प्रति वैश्विक प्रतिबद्धता वास्तविक है।
  • इतिहास इस बात का साक्षी है कि मानवता ने वैज्ञानिक दृष्टि और एकता के बल पर असंभव प्रतीत होने वाली चुनौतियों का समाधान किया है — जैसे ओज़ोन परत की रक्षा तथा कोविड-19 के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया।
  • ये उदाहरण स्मरण कराते हैं कि साहस, सहयोग और राजनीतिक इच्छाशक्ति से विश्व किसी भी सामूहिक संकट पर विजय पा सकता है।

ब्राज़ील का नेतृत्व और जलवायु न्याय की पुकार

पृथ्वी सम्मेलन (1992) की विरासत:
ब्राज़ील ने 1992 में ऐतिहासिक पृथ्वी सम्मेलन (Earth Summit) की मेज़बानी की थी, जिसने जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और मरुस्थलीकरण से निपटने हेतु संयुक्त राष्ट्र के तीन प्रमुख सम्मेलन स्थापित किए।
इससे मानवता और पृथ्वी की सुरक्षा हेतु एक नया वैश्विक प्रतिमान निर्धारित हुआ।

पिछले 33 वर्षों में इन सम्मेलनों से अनेक प्रतिबद्धताएँ निकलीं — जैसे 2030 तक वनों की कटाई समाप्त करना और नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को तीन गुना बढ़ाना।

फिर से ब्राज़ील की धरती पर – COP30 अमेज़न में:
अब पुनः विश्व समुदाय अमेज़न वर्षावन के बीच एकत्र हो रहा है। यहाँ नीति-निर्माता, वैज्ञानिक और नागरिक प्रत्यक्ष रूप से अमेज़न के जंगलों, नदियों और समुदायों की वास्तविकताओं को देख सकेंगे।
COP सम्मेलनों को अब प्रतीकात्मक आयोजनों से आगे बढ़कर स्थानीय धरातल से जुड़ी ठोस कार्यवाही का मंच बनना होगा।

संसाधन और जलवायु समानता:
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पर्याप्त वित्तपोषण तथा “सामान्य किंतु विभेदित उत्तरदायित्व (CBDR)” के सिद्धांत का सम्मान आवश्यक है — यही जलवायु न्याय की आधारशिला है।
वैश्विक दक्षिण (Global South) संसाधनों की मांग दान के रूप में नहीं, बल्कि न्याय के अधिकार के रूप में करता है, क्योंकि औद्योगिक राष्ट्रों ने कार्बन-आधारित विकास से सर्वाधिक लाभ उठाया है।
विकसित देशों को अपनी ऐतिहासिक जलवायु देनदारियों का निर्वहन करते हुए अपने वचन पूरे करने होंगे।

ब्राज़ील का उदाहरण:
ब्राज़ील ने मात्र दो वर्षों में अमेज़न क्षेत्र में वनों की कटाई आधी कर दी है, जिससे यह सिद्ध होता है कि यदि राजनीतिक इच्छाशक्ति और जवाबदेही हो तो ठोस जलवायु कार्रवाई संभव है।


बेलेम की दृष्टि : वन संरक्षण, ऊर्जा संक्रमण और जलवायु न्याय

ट्रॉपिकल फॉरेस्ट्स फॉरएवर फैसिलिटी (TFFF):
ब्राज़ील “TFFF” नामक निवेश कोष आरम्भ कर रहा है, जो दान नहीं बल्कि निवेश प्रोत्साहन तंत्र होगा — इसका उद्देश्य उन देशों और निवेशकों को पुरस्कृत करना है जो वनों का संरक्षण करते हैं।
ब्राज़ील ने इस कोष के लिए 1 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता जताई है और अन्य देशों से भी समान साहसिक योगदान की अपेक्षा की है।

महत्त्वाकांक्षी जलवायु प्रतिबद्धताएँ:
ब्राज़ील दूसरा देश है जिसने नया राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) प्रस्तुत किया है — जिसमें 59% से 67% तक उत्सर्जन में कमी का लक्ष्य रखा गया है।
वह अन्य देशों से भी समान रूप से महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को अपनाने और क्रियान्वित करने का आग्रह करता है।

स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण:
ब्राज़ील की 88% विद्युत उत्पादन नवीकरणीय स्रोतों से होती है — वह बायोफ्यूल, पवन, सौर और हरित हाइड्रोजन में अग्रणी है।
तेल से प्राप्त राजस्व को निष्पक्ष एवं न्यायसंगत ऊर्जा संक्रमण में निवेश किया जाना चाहिए, क्योंकि जीवाश्म ईंधन आधारित मॉडल दीर्घकालिक नहीं है।
समय के साथ पेट्रोब्रास जैसी तेल कंपनियाँ व्यापक ऊर्जा उपक्रमों में परिवर्तित होंगी।

जन-केंद्रित जलवायु कार्रवाई:
जलवायु परिवर्तन का सबसे अधिक प्रभाव कमजोर समुदायों पर पड़ता है; अतः न्यायसंगत संक्रमण (Just Transition) और अनुकूलन नीतियों को असमानता घटाने की दिशा में कार्य करना चाहिए।
विश्व में अभी भी 2 अरब लोगों के पास स्वच्छ ऊर्जा से खाना पकाने की सुविधा नहीं है और 67.3 करोड़ लोग भूख से जूझ रहे हैं।
इसे ध्यान में रखते हुए ब्राज़ील “भूख, गरीबी और जलवायु पर घोषणा-पत्र (Declaration on Hunger, Poverty, and Climate)” जारी करेगा, जिससे जलवायु कार्रवाई को प्रत्यक्ष रूप से भूख और निर्धनता उन्मूलन से जोड़ा जा सके।


विश्व शासन प्रणाली का सुधार : विश्वसनीय जलवायु भविष्य के लिए

संस्थागत सुधार की आवश्यकता:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की निष्क्रियता के कारण बहुपक्षीय व्यवस्था (Multilateralism) कमजोर हुई है। वह संस्था, जो शांति बनाए रखने के लिए बनी थी, कई संघर्षों को रोकने में असफल रही है।
अतः अब आवश्यक है कि वैश्विक शासन संस्थानों का सुधार किया जाए ताकि वे अधिक उत्तरदायी, प्रतिनिधिक एवं परिणाममुखी बन सकें।

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन परिषद (UN Climate Change Council) का प्रस्ताव:
ब्राज़ील महासभा (UNGA) के अधीन एक नई “संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन परिषद” की स्थापना का प्रस्ताव रखेगा।
इस परिषद को वैधता एवं प्रवर्तन शक्ति (Enforcement Power) प्राप्त होगी ताकि देश अपने जलवायु वचनों का पालन करें।
इससे बहुपक्षीय सहयोग को नई ऊर्जा मिलेगी और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में विश्वास पुनः स्थापित होगा।

वचनों से क्रियान्वयन तक:
प्रत्येक COP सम्मेलन में अब तक भव्य घोषणाएँ तो हुईं, परंतु कार्यान्वयन सीमित रहा।
अब यह समय है कि केवल घोषणाओं का नहीं, बल्कि मापनीय एवं ठोस कार्ययोजनाओं का युग प्रारम्भ हो।
बेलेम में आयोजित COP30 को “सत्य का COP” कहा जाएगा — जहाँ शब्दों को वास्तविक कर्म में परिवर्तित किया जाएगा।


निष्कर्ष

वैश्विक शासन संरचनाओं में सुधार अनिवार्य है ताकि बहुपक्षवाद में विश्वास पुनः स्थापित हो और जलवायु कार्रवाई में जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
यदि संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन परिषद की स्थापना होती है, तो विश्व प्रतीकात्मक वचनों से आगे बढ़कर लागू किए जा सकने वाले दायित्वों की दिशा में अग्रसर होगा।
COP30 (बेलेम) वह निर्णायक क्षण बनना चाहिए जहाँ शब्दों से आगे बढ़कर कर्म के माध्यम से सतत् एवं न्यायसंगत भविष्य का निर्माण किया जाए।


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