The Hindu Editorial Analysis in Hindi
21 July 2025
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर बहस को नए सिरे से परिभाषित कर सकता है
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस पेपर II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध (वैश्विक शासन), जीएस पेपर III – विज्ञान और प्रौद्योगिकी (एआई नीति, डिजिटल नैतिकता), निबंध पेपर – प्रौद्योगिकी में नैतिकता, वैश्विक नेतृत्व
वैश्विक विभाजन (Faultlines)
- 2025 के पेरिस AI सम्मेलन में मुख्य वैश्विक शक्तियाँ असहमति में बींठीं, अमेरिका और ब्रिटेन ने बैठक छोड़ दी, जबकि चीन अंतिम प्रस्ताव का समर्थन करता रहा।
- AI सुरक्षा के दृष्टिकोण अलग-अलग हैं: यूरोप विनियमन चाहता है, अमेरिका नवाचार पर आधारीत स्वशासन को प्राथमिकता देता है, और चीन राज्य-नियंत्रण मानता है।
- वैश्विक दक्षिण (Global South) की आवाज़ विनियमन और नवाचार दोनों में अनुपस्थित है।

भारत की मौक़ा (India’s Opportunity)
- वैश्विक शक्तियों के बीच पुल बनाने की क्षमता।
- वैश्विक दक्षिण के हितों का प्रतिनिधित्व करना।
- सफल डिजिटल सार्वजनिक ढांचे जैसे आधार, यूपीआई, डिजीलॉकर के अनुभव से नेतृत्व करना।
भारत के नेतृत्व के लिए पाँच बिंदु (Five-Point Framework)
- प्रतिज्ञाएँ और रिपोर्ट कार्ड:
भारत अपनी डिजिटल सार्वजनिक वस्तुएं प्रदर्शित करे और प्रतिभागी देशों को AI के लिए एक सामाजिक प्रतिबद्धता करने और उसकी प्रगति सार्वजनिक करने को कहे। - वैश्विक दक्षिण को आगे लाना:
विकासशील देशों की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करें। “AI for Billions Fund” की स्थापना करें जो क्लाउड क्रेडिट, डाटा सेट एवं प्रशिक्षण प्रदान करे और बहुभाषी AI चुनौतियाँ आयोजित करे। - साझा AI सुरक्षा चेकलिस्ट:
भारत एक Global AI Safety Collaborative प्रस्तावित करे, जो सुरक्षा परीक्षणों, घटनाओं और खुले परीक्षण किटों को साझा करे। - AI विनियमन में मध्य मार्ग:
एक वैकल्पिक Frontier AI Code of Conduct अपनाएं, जिसमें 90-दिन की रिपोर्टिंग विंडो और स्वतंत्र रेड-टीमिंग रजिस्ट्री हो। - AI विखंडन से बचाव:
भारत वैश्विक AI शासन के इंटरऑपरेबल और समावेशी मॉडल को बढ़ावा दे, ताकि तकनीक मानव-केंद्रित बनी रहे।
भारत के लिए मार्ग (Path Forward)
लक्ष्य | क्रियाएँ |
---|---|
AI को नया स्वरूप देना | भू-राजनीति से हटकर वैश्विक हित पर ध्यान केंद्रित करना |
पहुँच लोकतंत्रीकरण करना | AI भागीदारी को सीमित केंद्रों से परे व्यापक बनाना |
अधिकार की जटिलता से बचना | नियम थोपने के बजाय वैश्विक सहमति को बढ़ावा देना |
वैश्विक साझा पहल जोड़ना | विनियमन समूहों के बीच सेतु बनना |
विश्वसनीयता बनाना | AI विकास को शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय भाषाओं जैसे परिणामों से जोड़ना |
निष्कर्ष
भारत की डिजिटल प्रगति और कूटनीतिक विश्वसनीयता इसे एक अनूठा मंच देती है कि वह AI बहस को टेक्नो-राष्ट्रीयता से आगे बढ़ाकर टेक्नो-ह्यूमनिज़्म की दिशा में ले जाये। 2026 AI Impact Summit भारत की ‘सॉफ्ट पावर’ प्रस्तुति बनकर वैश्विक AI भविष्य की पुनर्कल्पना कर सकता है।