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प्रसंग
भारत में क्लाइमेट फाइनेंस इकोसिस्टम में हो रहे महत्वपूर्ण संक्रमण के बीच टैक्सोनॉमी (taxonomy) का लागू होना विशेष महत्व रखता है।

परिचय

सार्वजनिक परामर्श के लिए प्रस्तुत क्लाइमेट टैक्सोनॉमी एक बुनियादी उपकरण है, जिसका उद्देश्य है—

  • जलवायु-अनुकूल निवेश को प्रोत्साहित करना,
  • ग्रीनवॉशिंग रोकना, और
  • निवेशकों को स्पष्ट करना कि कौन-से क्षेत्र, तकनीक और प्रथाएँ शमन (mitigation), अनुकूलन (adaptation) या संक्रमण (transition) को समर्थन करती हैं।

यह दस्तावेज़ स्वयं को एक “जीवंत ढाँचा” (living framework) के रूप में प्रस्तुत करता है, ताकि यह भारत की बदलती प्राथमिकताओं और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप बना रहे। लेकिन इसका वास्तविक प्रभाव इसी पर निर्भर करेगा कि यह सिद्धांत व्यावहारिक स्तर पर कितनी सफलता से लागू होता है।

समीक्षा की संरचना (Review Architecture)

  • संदर्भ ढाँचा:
    • पेरिस समझौते के अनुच्छेद 6.4 की निगरानी प्रणाली से सीख।
    • कानूनी और संपादकीय समीक्षा से निवेशकों का विश्वास बढ़ाया जा सकता है और अंतरराष्ट्रीय मानकों से तालमेल बैठाया जा सकता है।
  • दो-स्तरीय समीक्षा प्रणाली:
    1. वार्षिक समीक्षा (Annual Review):
      • क्रियान्वयन की खामियाँ, नीति परिवर्तन, अंतरराष्ट्रीय दायित्व और हितधारकों के फीडबैक को शामिल करे।
      • नियत समय-सीमा, दस्तावेज़ीकरण प्रोटोकॉल, सार्वजनिक परामर्श अनिवार्य।
    2. पाँच-वर्षीय समीक्षा (Comprehensive Review):
      • टैक्सोनॉमी की प्रासंगिकता और मज़बूती की गहन समीक्षा।
      • वैश्विक स्टॉकटेक (UNFCCC) और भारत के NDC चक्र से सामंजस्य।

परिणाम: अल्पावधि में उत्तरदायी और दीर्घावधि में लचीला ढाँचा।

समीक्षा का वास्तविक पहलू (Substantive Aspect)

  • कानूनी सामंजस्य (Legal Coherence):
    • ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, SEBI मानक, कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना और अंतरराष्ट्रीय दायित्वों से मेल।
    • शब्दावली और प्रावधानों में ओवरलैप हटाना।
    • ग्रीन बॉन्ड, ब्लेंडेड फाइनेंस, पर्यावरणीय जोखिम प्रकटीकरण जैसी व्यवस्थाओं से सामंजस्य।
  • सामग्री की स्पष्टता (Substantive Clarity):
    • तकनीकी रूप से सटीक, परंतु पढ़ने में सहज ढाँचा।
    • परिभाषाओं का समय-समय पर अद्यतन।
    • GHG कटौती, ऊर्जा दक्षता बेंचमार्क जैसे मानकों का संशोधन।
  • समावेशन (Inclusivity):
    • MSMEs, असंगठित क्षेत्र और कमजोर वर्गों के लिए सरल प्रविष्टि बिंदु।
    • चरणबद्ध अनुपालन समय-सीमा और अनुपातिक अपेक्षाएँ

जवाबदेही का संस्थानीकरण (Institutionalising Accountability)

  • संस्थागत तंत्र:
    • वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में स्थायी इकाई / विशेषज्ञ समिति।
    • इसमें वित्तीय नियामक, जलवायु विज्ञान संस्थान, कानूनी विशेषज्ञ और नागरिक समाज हों।
  • पारदर्शिता उपकरण:
    • सार्वजनिक डैशबोर्ड, इनपुट और समीक्षा रिपोर्ट प्रकाशित करना।
    • वार्षिक समीक्षा सारांश और पाँच-वर्षीय प्रस्ताव सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हों।
  • नीति-संरेखण:
    • कार्बन क्रेडिट योजना, ग्रीन बॉन्ड ढाँचा और प्रकटीकरण दायित्वों से तालमेल।
  • प्रासंगिकता:
    • कार्बन क्रेडिट योजना का पूर्ण क्रियान्वयन निकट है।
    • ग्रीन बॉन्ड मुख्यधारा में आ चुके हैं।
    • दीर्घकालिक जलवायु लक्ष्यों के अनुरूप निवेश प्रवाह सुनिश्चित करने का दबाव।

निष्कर्ष

यदि टैक्सोनॉमी अस्पष्ट या कमजोर डिज़ाइन की जाएगी तो यह सभी पहलों को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, जीवंत दस्तावेज़ के रूप में इसकी सफलता निरंतर समीक्षा, खुला संशोधन और संरचित भागीदारी पर निर्भर है। इन तत्वों को अंतिम ढाँचे में समाहित करना ही इसे विश्वसनीय, पारदर्शी और प्रभावी बनाएगा।


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