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परिचय

24 जुलाई 2025 को भारत और ब्रिटेन के बीच व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (Comprehensive Economic and Trade Agreement) हुआ। यह दोनों देशों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी है, लेकिन इससे यूके के उच्च वसा, चीनी और नमक वाले खाद्य पदार्थ भारत में सस्ते हो जाएंगे, जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

मैक्सिको-NAFTA से मिली सीख

  • 1992 में NAFTA के बाद मैक्सिको ने सार्वजनिक स्वास्थ्य नियमों को कड़ाई से लागू नहीं किया।
  • परिणामस्वरूप सस्ते शुगरयुक्त पेय और स्नैक्स का आयात बढ़ा और HFSS खाद्य पदार्थों की खपत बढ़ी।
  • मोटापा, मधुमेह जैसी बीमारियाँ बढ़ीं।
  • मैक्सिको ने ‘सोडा टैक्स’ और चेतावनी लेबल लगाने जैसे उपाय करके स्थिति को नियंत्रण में रखा।

भारत के लिए स्वास्थ्य जोखिम

  • यूके में HFSS खाद्य विज्ञापनों पर सख्त प्रतिबंध हैं, जैसे रात 9 बजे से पहले टीवी पर और अक्टूबर 2025 से ऑनलाइन विज्ञापन प्रतिबंधित।
  • वहाँ ‘ट्रैफिक लाइट’ लेबल सिस्टम है जो ग्राहकों को स्वस्थ विकल्प चुनने में मदद करता है।
  • भारत में जंक फूड विज्ञापन पर प्रभावी कानून नहीं हैं, और वर्तमान नियम अक्सर लागू नहीं किए जाते।
  • भारत में विज्ञापन मानक उद्योग द्वारा संचालित होते हैं, सरकार द्वारा नहीं।
  • बच्चों को लक्षित करने वाले विज्ञापन, कार्टून और सेलिब्रिटी प्रमोशन आम हैं।

चेतावनी लेबल लागू न होने की समस्या

  • भारत में ‘फ्रंट-ऑफ-पैक न्यूट्रिशन लेबलिंग’ (FOPNL) के लिए निर्णय लंबित है।
  • 2022 में आवश्यक संशोधन प्रस्तावित हुए थे, लेकिन तीन साल बाद भी कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ।
  • सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2025 में शीघ्र निर्णय का निर्देश दिया।
  • उद्योग दबाव के कारण ‘स्टार रेटिंग’ प्रणाली को अधिकतर पसंद किया जा रहा है, जो भ्रमित करने वाली हो सकती है।

जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों का बढ़ना

  • मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप तेजी से बढ़ रहे हैं, खासकर बच्चों और किशोरों में।
  • भारत में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड (UPF) और HFSS उत्पादों की बिक्री 2011-21 के बीच 13.3% प्रति वर्ष बढ़ी।
  • 29 संगठनों ने जून 2025 में HFSS और UPF खाद्य पदार्थों पर अनिवार्य चेतावनी लेबल लगाने की अपील की।

स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन का संकट

  • FTAs आर्थिक विकास के लिए आवश्यक हैं, लेकिन वे सस्ते जंक फूड के प्रवेश को भी बढ़ावा देते हैं।
  • वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ ‘व्यावसायिक स्वास्थ्य निर्धारक’ (Commercial Determinants of Health) को लेकर चिंतित हैं।
  • भारत अक्टूबर 2025 में एक और FTA (TEPA) पर हस्ताक्षर करने जा रहा है, इसलिए निरंतर सावधानी जरूरी है।
  • स्पष्ट खाद्य लेबलिंग और जुंक फूड की कड़ी मार्केटिंग नियंत्रण आवश्यक है।

भारत को लेने चाहिए कदम

  • HFSS खाद्य विज्ञापनों को तुरंत प्रभाव से नियंत्रित करना होगा।
  • स्पष्ट और प्रभावी Front-of-Pack चेतावनी लेबलिंग लागू करनी होगी।
  • स्कूलों में ‘शुगर बोर्ड’ और ‘तेल बोर्ड’ जैसे स्वास्थ्य जागरूकता कदम बढ़ाने होंगे।
  • स्कूल और कॉलेज कैंटीन से पैकेज्ड और जंक फूड प्रतिबंधित कर, स्वस्थ भोजन को बढ़ावा देना होगा।
  • व्यापक HFSS बोर्ड बना कर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।

निष्कर्ष

भारत-यूके FTA के साथ स्वास्थ्य जोखिम बढ़ने की संभावना को देखते हुए तुरंत कदम उठाना आवश्यक है। सार्वजनिक स्वास्थ्य योजनाकारों और नीति निर्माताओं को व्यापार समझौतों के स्वास्थ्य प्रभावों पर सक्रिय होना चाहिए ताकि देश के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके। यह एक गंभीर और प्राथमिकता वाली सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है।


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