The Hindu Editorial Analysis in Hindi
15 July 2025
महिलाएं, STEM करियर और अधिक ग्रहणशील उद्योग
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 2: शिक्षा से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे |
संदर्भ:
15 जुलाई विश्व युवा कौशल दिवस पर यह स्मरण होता है कि महिलाओं की STEM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, अभियांत्रिकी, गणित) क्षेत्र की प्रतिभा में निवेश न करने की कीमत क्या है।

परिचय:
भारत में महिलाएँ STEM स्नातकों में 43% हैं, जो प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है, परन्तु STEM कार्यबल में उनकी भागीदारी केवल 27% है। यह शिक्षा से रोजगार तक की दूरी दर्शाता है।
महिला श्रम भागीदारी की स्थिति:
- FLFPR (महिला श्रम भागीदारी दर) 2023-24 में बढ़कर 41.7% हुई, विशेषकर ग्रामीण महिलाओं में (47.6%)।
- शहरी महिलाओं की भागीदारी 25.4% रह गई, जो औपचारिक रोजगार, कार्यस्थल सुरक्षा और सामाजिक मान्यताओं की बाधाओं को दर्शाता है।
- वैश्विक स्तर पर केवल 31.5% शोधकर्ता महिलाएं हैं (UNESCO, 2021)।
आर्थिक प्रभाव:
- McKinsey के अनुसार 68 मिलियन महिलाओं के कार्यबल में आने से 2025 तक भारत का GDP $700 बिलियन बढ़ सकता है।
- विश्व बैंक का अनुमान है कि 50% महिला भागीदारी से GDP विकास दर में 1% की वृद्धि होगी।
सरकार की पहलें और STEM कौशल विकास:
- NEP 2020: STEM क्षेत्र में शिक्षा और अवसरों को बढ़ावा देने वाली नीतियाँ।
- शिक्षा मंत्रालय की पहल: कौशल और जीवन कौशल को मुख्यधारा की शिक्षा में समाहित किया गया।
- ग्रामीण क्षेत्र में आईटीआई और व्यावसायिक प्रशिक्षण का विस्तार।
- महिला सशक्तिकरण के लिए लिंग बजट का बढ़ता हिस्सा (6.8% से 8.8%)।
- बजट 2025-26 में महिला उद्यमियों के लिए विशेष ऋण, राष्ट्रीय कौशल प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना, और तकनीकी-प्रेरित कौशल विकास योजनाएँ शामिल।
- राष्ट्रीय मिशन जैसे स्किल इंडिया, डिजिटल इंडिया, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, पीएम विश्वकर्मा योजना।
उद्योग की भूमिका और चुनौतियाँ:
- उद्योग को महिला तकनीकी दक्षता से रोजगार तक का पुल बनाना होगा।
- सामाजिक रूढ़िवाद—जैसे “मैकेनिकल पुरुषों के लिए”, “कोडिंग लड़कियों के लिए नहीं”—महिलाओं के मार्ग में बाधा।
- महिलाओं का STEM क्षेत्र छोड़ना योग्यता की कमी के कारण नहीं, बल्कि असहायक कार्यस्थल, परिवार की समझ में कमी और जेंडर आधारित अपेक्षाओं के कारण होता है।
- समाधान के लिए लैंगिक पूर्वाग्रहों को चुनौती देना, कार्यस्थल सुरक्षा सुनिश्चित करना, बराबरी का वेतन देना, और जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों में करियर समर्थन देना जरूरी।
प्राइवेट सेक्टर की पहलें:
- मेंटरशिप प्रोग्राम, उद्योग-संबंधित प्रशिक्षण, शिक्षा संस्थानों के साथ साझेदारी।
- UN Women, मध्यप्रदेश, गुजरात सरकारों व माइक्रॉन फाउंडेशन के वे-स्टेम प्रोग्राम द्वारा जागरूकता, कौशल, सुरक्षित कार्यस्थल और सामाजिक समर्थन।
निष्कर्ष:
उद्योग और शैक्षणिक संस्थानों के सहयोग, मार्गदर्शन, और जीवन परिवर्तन के दौरान सहायक नीतियां शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई पाट सकती हैं। सवाल यह नहीं कि क्या भारत महिलाओं को STEM में समर्थन देने की कीमत उठा सकता है, बल्कि क्या व्यवसाय इन प्रयासों को न करने की कीमत उठा पाएंगे? महिलाओं को विज्ञान, तकनीक, अभियांत्रिकी और गणित में दक्षता और व्यावहारिक प्रशिक्षण देकर हम समावेशी और सशक्त भारत की ओर बढ़ रहे हैं। जब महिला कमाती है, तो उसका प्रभाव घर, उत्पादन, निर्णय लेन वाली जगहों और संपूर्ण अर्थव्यवस्था में महसूस होता है। यही empowered महिला आवाज़ भविष्य-तैयार भारत की नींव है।