The Hindu Editorial Analysis in Hindi
24 July 2025
युद्ध के बदलते आयामों की वास्तविकता
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 2: भारत से जुड़े और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और समझौते
परिचय
माकियावेली के अनुसार राजनीति केवल शक्ति और अस्तित्व के संघर्ष द्वारा संचालित होती है। आज पुराने अंतरराष्ट्रीय नियम धीरे-धीरे कमजोर पड़ रहे हैं और वैश्विक वर्चस्व पाने के तरीके गहराई से बदल रहे हैं। आधुनिक हथियारों का महत्व बेहद बढ़ गया है।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद शांति का भ्रम और नए संघर्ष
- WWII के 80 साल बाद भी विश्व में पूर्ण शांति नहीं आई, केवल बड़े युद्ध तो नहीं हुए परंतु कोरिया, वियतनाम, उत्तर अफ्रीका और यूरोप में छोटे युद्ध लगातार होते रहे।
- अमेरिकी परमाणु बम के उपयोग के बाद “नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था” की अवधारणा लोकप्रिय हुई, पर यह शांति का भ्रम मात्र थी।
- शीत युद्ध के अंत के बाद भी युद्ध के नए स्वरूप उभरने लगे।
- 9/11 के हमलों ने वैश्विक संघर्षों के स्वरूप को प्रभावित किया, जिससे अमेरिका और उसके सहयोगियों को सैन्य हस्तक्षेप का औचित्य मिला।
ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म (1991) की महत्वपूर्ण भूमिका
- इस युद्ध ने सैन्य गति, रणनीति और तकनीकों में बड़ा विकास दिखाया।
- तीन-आयामी हमलों का परिचय दिया, जो बाद के युद्धों के लिए मार्गदर्शक रहा।
यूक्रेन-रूस युद्ध और पश्चिम एशिया संघर्ष
- 2022 के बाद युद्ध की प्रकृति पूरी तरह बदल गई।
- ऑटोमेशन और ड्रोन आधुनिक युद्ध का केंद्र बन गए हैं।
- यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया संघर्ष में नई रणनीतियाँ और उपकरण सामने आए।
भारत-पाकिस्तान युद्ध 2025
- आधुनिक हथियारों का व्यापक उपयोग हुआ:
- भारत ने ब्रह्मोस मिसाइल, GPS और लेजर गाइडेड बम, उन्नत मिसाइलें और जेट विमानों का प्रयोग किया।
- पाकिस्तान ने चीनी PL-15 मिसाइलें और टर्की के Songar ड्रोन इस्तेमाल किए।
- लड़ाई की रणनीति अब नेटवर्क-आधारित युद्ध की ओर बढ़ रही है।
- युद्ध केवल दमखम से नहीं, बल्कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और साइबर युद्ध की शक्ति से तय होगा।
- हाइपरसोनिक हथियार (मैख-5 से तेज़) भी अब प्रमुख खतरों में हैं।
भविष्य का युद्ध स्वरूप
- युद्ध डिजिटल, AI-संचालित और मल्टी-डोमेन होंगे।
- पारंपरिक बल-प्रदर्शन का युग खत्म हो रहा है।
भारत के लिए आवश्यक सुधार
- भारत को तेजी से बदलती सैन्य तकनीक के साथ खुद को अनुकूलित करना होगा।
- वर्तमान हथियार आधुनिकीकरण योजनाएँ पुरानी हो सकती हैं, अतः उनका पुनर्मूल्यांकन जरूरी है।
- चीन के पास जे-10, जे-20 और 6th.Generation फाइटर जैसे उन्नत प्लेटफॉर्म हैं, जबकि भारत अभी भी फ्रांस के राफेल और सीमित स्थानीय उत्पादन पर निर्भर है।
- भारत की स्वदेशी मिसाइल और विमान परियोजनाएँ पीछे चल रही हैं।
निष्कर्ष
- लंबी उड़ान क्षमता वाले उच्च ऊँचाई UAVs और स्वायत्त युद्ध प्रणाली भविष्य के युद्धों में निर्णायक होंगी।
- भारत को अपनी रक्षा रणनीति में विविधता लानी होगी ताकि दो-फ्रंट युद्ध में सक्षम हो सके।