The Hindu Editorial Analysis in Hindi
22 September 2025
श्रीलंका में प्रभावशाली लोगों को मिली छूट को ‘समाप्त’ करने के संदेश के पीछे क्या है?
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस पेपर II – राजनीति और शासन | जीएस पेपर IV – नैतिकता | जीएस 2- अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रसंग
अगस्त 2025 में श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति रनिल विक्रमसिंघे को ब्रिटेन की एक निजी यात्रा के दौरान लगभग 16.2 मिलियन श्रीलंकाई रुपये (लगभग 50,000 अमेरिकी डॉलर) के सार्वजनिक धन के कथित दुरुपयोग के आरोप में गिरफ्तार किया गया। यह गिरफ्तारी श्रीलंका में गहराई तक जमी राजनीतिक दण्डमुक्ति संस्कृति (Impunity) के विरुद्ध संघर्ष का एक प्रतीकात्मक क्षण है। यद्यपि वित्तीय पैमाने पर यह राशि अपेक्षाकृत छोटी है, लेकिन राजनीतिक दृष्टि से इसका संदेश अत्यंत महत्वपूर्ण है, विशेषकर दशकों से व्याप्त भ्रष्टाचार और सत्ताधारी वर्ग की जवाबदेही की कमी के परिप्रेक्ष्य में।

प्रमुख मुद्दे और तर्क
गिरफ्तारी का प्रतीकवाद
- विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी वित्तीय गड़बड़ी से अधिक राजनीतिक जवाबदेही की ओर बदलाव का संकेत है।
- श्रीलंका की जनता का लंबे समय से यह धारणा रही है कि राजनीतिक अभिजात वर्ग संसाधनों के भव्य दुरुपयोग के बावजूद कानून से परे है।
- भले ही उनकी हिरासत संक्षिप्त रही हो, लेकिन यह अभिजात वर्ग की दण्डमुक्ति पर आघात और 2022 के अरगलया आंदोलन से उपजी जनाक्रोश के प्रति संवेदनशीलता का प्रतीक है।
जनाक्रोश और ऐतिहासिक संदर्भ
- 2022 के जनआंदोलन ने राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे को पदच्युत कर दिया था, जो भ्रष्टाचार और कुप्रशासन के खिलाफ जनता की असंतोष का परिणाम था।
- 2015 में भ्रष्टाचार-विरोधी एजेंडे पर प्रधानमंत्री बने विक्रमसिंघे बाद में अभिजात वर्ग की विशेषाधिकार प्राप्त राजनीति के प्रतीक बन गए।
- साधारण श्रीलंकाई नागरिकों के लिए 16 मिलियन रुपये का दुरुपयोग भी चौंकाने वाला है, क्योंकि किसी औसत परिवार को यह राशि कमाने में लगभग 18 वर्ष लगते हैं।
राजनीतिक निहितार्थ
- नेशनल पीपल्स पावर (NPP) सरकार, जिसने अभिजात-विरोधी एजेंडे पर जनसमर्थन पाया, ने विक्रमसिंघे के खिलाफ कार्रवाई कर अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति का प्रदर्शन किया है।
- किंतु यह कदम एक राजनीतिक जोखिम भी है—अब NPP को समान मानदंड का प्रयोग राजपक्षे परिवार, मंत्रियों और सांसदों पर भी करना होगा जिन पर और भी गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप हैं।
- यदि यह कार्रवाई चयनात्मक प्रतीत होती है तो इसे राजनीतिक प्रतिशोध माना जाएगा, न कि प्रणालीगत सुधार।
अभिजात वर्ग की दण्डमुक्ति का व्यापक पैटर्न
- श्रीलंका में लंबे समय से घोटालों, गिरफ्तारी और दण्डमुक्ति का चक्र चलता रहा है।
- स्वास्थ्य मंत्रियों से जुड़े औषधि घोटाले, विदेशी सहायता के दुरुपयोग और 2022 में विदेशी मुद्रा के अवैध प्रवाह जैसे मामले अनियमित जवाबदेही का उदाहरण हैं।
- विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी यद्यपि महत्वपूर्ण है, लेकिन यदि इसे संस्थागत सुधार में न बदला गया तो यह सिर्फ प्रतीकात्मक कदम बनकर रह जाएगी।
आगे की राह
संस्थागत सुधार
- स्वतंत्र जाँच एजेंसियों और न्यायिक संस्थाओं को सशक्त करना ताकि मामले निष्पक्षता से आगे बढ़ें।
- भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों का समान रूप से प्रयोग सुनिश्चित करना, न कि केवल राजनीतिक विरोधियों पर।
राजनीतिक संस्कृति में परिवर्तन
- सार्वजनिक जीवन में ईमानदारी और पारदर्शिता को अनिवार्य मूल्य के रूप में स्थापित करना।
- 2022 के आंदोलनों से सीख लेना जो स्वच्छ शासन की जन-आकांक्षा को दर्शाते हैं।
समान मानदंड
- सभी राजनीतिक अभिजात वर्ग पर पारदर्शी जांच लागू करना, चाहे वे किसी भी दल से हों।
- जवाबदेही को राजनीतिक हथियार न बनने देना।
निष्कर्ष
विक्रमसिंघे की गिरफ्तारी केवल 16 मिलियन रुपये के दुरुपयोग की बात नहीं है, बल्कि यह श्रीलंका के संकटग्रस्त लोकतंत्र में अभिजात वर्ग की जवाबदेही का प्रतीक है। यह संदेश देता है कि जनता की न्याय की माँग अब अनदेखी नहीं की जा सकती। किंतु इसकी वास्तविक परीक्षा इस बात में है कि क्या यह क्षण प्रणालीगत सुधार की दिशा में मोड़ बनेगा या मात्र एक प्रतीकात्मक कदम ही रह जाएगा। भारत और क्षेत्रीय देशों के लिए यह घटना इस तथ्य को भी रेखांकित करती है कि जब शासन में ईमानदारी राजनीतिक सुविधा की वेदी पर बलिदान कर दी जाती है, तो लोकतांत्रिक संस्थाएँ अत्यंत कमज़ोर और नाजुक बन जाती हैं।