The Hindu Editorial Analysis in Hindi
4 July 2025
संसद की पुस्तकालय सेवा के लिए नए द्वार खोलना
(स्रोत – द हिंदू, अंतर्राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 10)
विषय: जीएस 2: शिक्षा से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
संदर्भ:
भारत के संसद में लगातार हो रहे व्यवधानों के बीच, यह जरूरी है कि संसद केवल एक राजनीतिक मंच न रहकर एक ऐसा केंद्र बने जहाँ सशक्त शोध आधारित नीतियाँ निर्मित हों। लाइब्रेरी और रेफरेंस, रिसर्च, डॉक्यूमेंटेशन एंड इंफॉर्मेशन सर्विस (LARRDIS) को एक अग्रेसिव, समावेशी और वैश्विक स्तर के शोध हब में तब्दील करने से संसद की कानून बनाने की गुणवत्ता सुधर सकती है और पारदर्शी, साक्ष्य-आधारित चर्चा को प्रोत्साहन मिलेगा।

संसदीय क्षमता और संसाधनों की वर्तमान स्थिति
- जटिल मुद्दों (आर्थिक सुधार, जलवायु परिवर्तन, राष्ट्रीय सुरक्षा, तकनीकी नवाचार) पर संसद को उच्चस्तरीय विशेषज्ञता की आवश्यकता।
- सांसदों को विश्व स्तरीय शोध सेवाएं और संदर्भ सामग्री उपलब्ध होनी चाहिए।
- संसद पुस्तकालय में संसाधनों की प्रचुरता के बावजूद सांसदों द्वारा इसका कम उपयोग।
- LARRDIS सूचना मांगों को प्राथमिकता से पूरा करता है, लेकिन इसका दायरा सिर्फ संसदीय रिकॉर्ड तक सीमित।
- PRS और LAMP जैसे फेलोशिप प्रोग्राम शोध सहायता करते हैं, पर संसाधन सीमित और कम सांसद उससे लाभान्वित।
- बिना औपचारिक शोध समर्थन के अधिकांश सांसद पार्टिसन या गैर-विशेषज्ञ स्रोतों पर निर्भर, जिससे बहसों की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
LARRDIS की वर्तमान स्थिति
- डिजिटल संसाधनों जैसे लोकसभा कार्यवाही, समिति रिपोर्ट, और दुर्लभ पुस्तकों का संग्रह।
- सेवाएं प्रतिक्रियात्मक हैं—सांसदों को अनुरोध करना पड़ता है, सक्रिय शोध नहीं।
- सूचना मांगें लगातार बढ़ रही हैं, 1950 के 150 से 2019 में 8,000 से ऊपर।
- विश्वविद्यालयों, थिंक टैंक्स, सलाहकार फर्मों के साथ सहयोग की कमी।
- परिणामस्वरूप, नीतिगत विश्लेषण, रुझान पूर्वानुमान और शोध क्षमता विकास सीमित।
- सुधार की आवश्यकता: LARRDIS को अकादमिक संस्थानों व विशेषज्ञों के साथ साझेदारी कर एक बहुआयामी ज्ञान केंद्र बनाना।
अन्य देशों की संसद अनुसंधान इकाइयाँ
- विकसित लोकतंत्रों में स्वतंत्र, तटस्थ और गोपनीय शोध सुविधाएं उपलब्ध।
- यूरोपियन पार्लियामेंट रिसर्च सर्विस (EPRS), अर्जेंटीना का OCAL, फ्रांस का OPECST, मैक्सिको का INCyTU जैसे संस्थान सांसदों को विशेषज्ञ सलाह, प्रभाव आकलन, और सामाजिक अध्ययन प्रदान करते हैं।
- अफ्रीकी देशों में शोध सहयोग से तकनीकी व नीतिगत गुणवत्तामें सुधार।
- स्वीडन में सांसद और शोधकर्ताओं के बीच संवाद को बढ़ावा।
संस्थानिक परिसंपत्ति के रूप में विकास
- सुधार चरणबद्ध और सभी हितधारकों की भागीदारी से हो।
- स्पष्ट कार्यक्षेत्र और सेवा नियम निर्धारित।
- उपयोगकर्ताओं की सीमा निर्धारण (प्राथमिक रूप से सांसद, पर प्रस्तावित रूप से पत्रकार, शोधकर्ता आदि)।
- समयबद्ध सेवा वितरण मानक और गोपनीयता प्रोटोकॉल लागू।
- विश्व बैंक, OECD, UNDP जैसे वैश्विक संगठनों तथा थिंक टैंक्स और विश्वविद्यालयों से विशेषज्ञता जुटाना।
निष्कर्ष:
LARRDIS के आधुनिकीकरण और विस्तार से भारत के कानून निर्माण की विश्वसनीयता और जवाबदेही बढ़ेगी। सशक्त विधायी शोध सेवा संसद और कार्यपालिका के बीच ज्ञान के अंतर को कम करके बहसों की गुणवत्ता सुधारती है, जिससे सार्वजनिक विश्वास मजबूत होता है। यह सिर्फ प्रशासनिक परिवर्तन नहीं, बल्कि बेहतर शासन, जवाबदेही और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सुधार के लिए रणनीतिक निवेश है।