The Hindu Editorial Analysis in Hindi
24 November 2025
सुरक्षित प्रसंस्करण, चटपटे स्वाद से अधिक महत्वपूर्ण
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : GS Paper-III: खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य एवं पोषण, खाद्य सुरक्षा विनियमन
संदर्भ
भारत की विविधतापूर्ण एवं जीवंत खाद्य संस्कृति, विशेषकर स्ट्रीट-फूड परंपरा, आज विश्व-स्तर पर सराही जाती है। परन्तु हाल के समय में देश में खाद्य-मिलावट तथा अस्वच्छ तैयारी से जुड़े अनेक मामले सामने आए हैं, जिसके कारण जनता का भरोसा कमजोर हुआ है। यह संपादकीय इस बात पर बल देता है कि स्वाद से अधिक महत्वपूर्ण खाद्य-सुरक्षा है—और इसके लिए खाद्य प्रसंस्करण मानकों, ‘ट्रेसेबिलिटी’ (ट्रैकिंग), तथा जवाबदेही को मजबूत करना अनिवार्य है, चाहे क्षेत्र औपचारिक हो या अनौपचारिक।

समस्या: खाद्य-सुरक्षा का संकट
- जुलाई 2024 में चेन्नई में पानिपुरी के ठेलों पर की गई छापेमार कार्रवाई में गंदे पानी, बासी चटनी और अस्वच्छ व्यवस्था का खुलासा हुआ।
- देश के विभिन्न हिस्सों में भी ऐसे ही मामले सामने आए, जो बताते हैं कि अनौपचारिक खाद्य क्षेत्र में स्वच्छता व सुरक्षा का गंभीर अभाव है।
- फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) खाद्य विनियमन की जिम्मेदार संस्था है, परन्तु विशाल अनौपचारिक क्षेत्र उसके प्रभावी नियंत्रण से बाहर बना हुआ है।
मुख्य मुद्दे
1. अनौपचारिक क्षेत्र की चुनौतियाँ
- अधिकांश छोटे विक्रेताओं के पास आवश्यक भौतिक ढांचा, प्रशिक्षण तथा स्वच्छता-मानकों की जानकारी नहीं होती।
- कमजोर प्रवर्तन और बिखरे हुए नियमन के कारण सुरक्षा-मानकों में असंगति बनी रहती है।
2. पैक्ड फूड का विरोधाभास
- पैक्ड खाद्य-पदार्थों में बेहतर लेबलिंग, ट्रेसेबिलिटी और नियामक अनुपालन होता है।
- फिर भी कुछ जोखिम बने रहते हैं—जैसे संरक्षकों का अत्यधिक प्रयोग, या भ्रामक पोषण दावे।
- संगठित उद्योग होने के कारण इनपर निगरानी अपेक्षाकृत अधिक प्रभावी रहती है।
3. स्वास्थ्य पर प्रभाव
- बार-बार तेल का पुन: उपयोग, दूषित सामग्रियों का प्रयोग तथा छोटे भोजनालयों में अस्वच्छ वातावरण के कारण खाद्य-जनित रोग बढ़ते हैं।
- नेशनल बर्डन ऑफ डिज़ीज़ स्टडी (NBD 2024) के अनुसार असुरक्षित भोजन से हर वर्ष लगभग 12 लाख बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
अब तक उठाए गए कदम
1. FSSAI की पहल
- Eat Right India Movement
- Clean Street Food Hub (CSFH)
इनके अंतर्गत स्ट्रीट-वेंडरों के लिए प्रमाणन, स्वच्छता प्रशिक्षण एवं क्षमता-निर्माण कार्यक्रम संचालित किए गए हैं।
2. नगर निकायों के प्रयास
- बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) ने स्ट्रीट-वेंडरों के लिए संरचित स्वच्छता प्रशिक्षण और अपशिष्ट प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किए।
- इन पहलों का उद्देश्य स्वच्छ खाद्य-संभाल, संदूषण-नियंत्रण और सुरक्षित अपशिष्ट-निपटान को प्रोत्साहित करना है।
आगे की राह
1. प्रवर्तन और जागरूकता को सशक्त बनाना
- नगर निकायों के प्रशिक्षण कार्यक्रमों में स्वच्छता-मॉड्यूल अनिवार्य रूप से शामिल किए जाएँ।
- स्वयं सहायता समूहों, सहकारी समितियों और प्रशिक्षकों के साथ साझेदारी बढ़ाकर छोटे विक्रेताओं को प्रशिक्षण दिया जाए।
2. तकनीक और ट्रेसेबिलिटी को बढ़ावा
- डिजिटल QR कोड, स्मार्ट पैकेजिंग और AI-आधारित मॉनिटरिंग का उपयोग कर वास्तविक समय में गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए।
3. साझा जिम्मेदारी की संस्कृति
- उपभोक्ताओं में जागरूकता को बढ़ावा देकर ‘सुरक्षित भोजन’ की माँग तैयार की जाए, ताकि बाजार-दबाव के माध्यम से बेहतर अनुपालन सुनिश्चित हो।
निष्कर्ष
“भारतीय भोजन-संस्कृति का आकर्षण, खाद्य-सुरक्षा के विज्ञान को पीछे नहीं छोड़ सकता।”
भारत के खाद्य-उद्योग को सांस्कृतिक गौरव और सार्वजनिक स्वास्थ्य—दोनों के बीच संतुलन स्थापित करना होगा। एक मजबूत सुरक्षा-तंत्र—नियमन, शिक्षा और जवाबदेही पर आधारित—भारत को विश्व-स्तरीय खाद्य प्रसंस्करण नेतृत्व की दिशा में आगे बढ़ने में सक्षम बनाएगा, जहाँ स्वाद की विविधता बनी रहे और सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता हो।