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  1. लचीलापन और रोजगारक्षमता
    चार वर्षीय डिग्री संरचना छात्रों को प्रत्येक चरण पर सर्टिफिकेट या डिप्लोमा हासिल करने और आवश्यकतानुसार पुनः प्रवेश करने की सुविधा देती है। इससे ड्रॉपआउट रोकथाम होती है और शिक्षा एवं काम के बीच सहजता आती है।
    167 से अधिक विश्वविद्यालय और 59 कॉलेज इस मॉडल को अपना चुके हैं।
  2. उद्योग-शिक्षा संस्थान सहयोग
    छात्रों को स्नातक स्तर से ही इंटर्नशिप और व्यावसायिक प्रशिक्षण के माध्यम से वास्तविक दुनिया का अनुभव मिलता है।
    242 विश्वविद्यालयों में अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं, जो अनुप्रयुक्त नवाचार को बढ़ावा देते हैं।
  3. अंतर-विषयक और अनुसंधान-केंद्रित पाठ्यक्रम
    Academic Bank of Credit, SPARC, ANRF, IMPRINT जैसी पहलें क्रॉस-डोमेन शिक्षा और नवाचार को प्रेरित करती हैं।
    छात्र संयुक्त डिग्री, ऑनलाइन मॉड्यूल या स्टार्ट-अप इनक्यूबेशन में भाग ले सकते हैं।

  1. वैश्विक रैंकिंग में वृद्धि
    163 भारतीय संस्थान एशिया रैंकिंग में शामिल हैं, और ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में भारत का स्थान 76 से बढ़कर 40 हुआ है।
    QS एशिया रैंकिंग के अनुसार भारतीय अनुसंधान उत्पादन में 2020 से 2023 के बीच 158% की वृद्धि हुई है।
  2. वैश्विक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र में भागीदारी
    भारत के संस्थान यूके, जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों के साथ द्विपक्षीय सहयोग के जरिए विश्व विज्ञान में योगदान बढ़ा रहे हैं।

  1. नौकरी की प्रवृत्ति में बदलाव
    युवा रोजगार दर 33% से बढ़कर 46.7% हो गई है, जिसमें महिला युवाओं की भागीदारी भी काफी बढ़ी है।
    अनियमित मजदूरी कम हुई है, और नियमित वेतनभोगी नौकरियों में वृद्धि हुई है, जो संरचनात्मक बदलाव दर्शाता है।
  2. गुणवत्ता पर जोर
    NEP सिर्फ रोजगार नहीं, बल्कि बेहतर रोजगार सुनिश्चित करती है, जो 21वीं सदी के कौशलों के अनुरूप है।
  3. लैंगिक असमानता में कमी
    नीति की समावेशी डिजाइन (जैसे ऑनलाइन शिक्षा, लचीलापन) से महिलाओं और वंचित वर्गों की भागीदारी में सुधार हुआ है।

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