The Hindu Editorial Analysis in Hindi
27 June 2025
एआई प्रसार को प्रबंधित करने की अमेरिका की योजना की समझ
(स्रोत – द हिंदू, अंतर्राष्ट्रीय संस्करण – पृष्ठ संख्या – 08)
विषय: GS 2 / GS 3 – अंतर्राष्ट्रीय संबंध (तकनीकी कूटनीति), आंतरिक सुरक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी (AI शासन, निर्यात नियंत्रण)
संदर्भ:
अमेरिका ने अपना AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क वापस ले लिया है, जो शुरू में उन्नत AI चिप्स और कम्प्यूट पावर के निर्यात को सीमित करने के लिए बनाया गया था ताकि विरोधी देशों पर नियंत्रण रखा जा सके। जहाँ यह वापसी एक उदार रुख प्रतीत होती है, वहीं नए विधायी प्रस्ताव यह दर्शाते हैं कि वैश्विक AI नियंत्रण पर अमेरिकी रणनीतिक ग्रहण अभी समाप्त नहीं हुआ है।

परिचय: AI युग में रणनीतिक नियंत्रण
AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क ने उन्नत AI हार्डवेयर को द्वि-उपयोग तकनीक के रूप में माना, जैसे परमाणु हथियारों को। इसने व्यापक निर्यात प्रतिबंध लगाए और अमेरिका के प्रभुत्व को सुनिश्चित करने का प्रयास किया। लेकिन इससे अप्रत्याशित परिणाम सामने आए, जैसे कि सहयोगी देश अपनी वैकल्पिक व्यवस्था खोजने लगे। हालांकि, अमेरिकी AI रणनीति में नीति में बदलाव नहीं, बल्कि रणनीतिक समायोजन हुआ है।
प्रारंभिक AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क: दृष्टिकोण और समस्याएँ
- फ्रेमवर्क का अवलोकन
- बाइडेन के पहले कार्यकाल के अंतिम दिनों में प्रस्तुत।
- चीन, रूस जैसे देशों को AI चिप्स की पहुंच सीमित करने का लक्ष्य।
- AI क्षमता को कम्प्यूट पावर से जोड़कर हार्डवेयर को नियंत्रण की मुख्य कुंजी माना।
- सैन्य दृष्टिकोण की कमजोरियाँ
- AI को एक सैन्य तकनीक मानना अनुचित था, क्योंकि AI का मूल नागरिक और वैश्विक उपयोग है।
- इसने अमेरिकी सहयोगियों के लिए भी असुविधा पैदा की।
- क्षेत्रीय AI विकास पर प्रतिबंध नकारात्मक साबित हुए।
- वैश्विक प्रतिक्रिया
- अन्य देशों (जैसे चीन के DeepSeek RI) ने स्वतंत्रता और नवाचार को बढ़ावा दिया।
- सहयोगी देशों ने अमेरिकी प्रणालियों पर निर्भरता कम करना शुरू किया।
रणनीतिक समायोजन: वापसी और पुनर्संयोजन
- ट्रंप प्रशासन के दौरान वापसी
- कड़े नियंत्रणों को कम करने का संकेत।
- वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग और खुली शोध प्रणालियों को बढ़ावा देने का उद्देश्य।
- पूर्ण वापसी नहीं
- मार्च 2025 में AI चिप्स के निर्यात पर नए प्रतिबंध लागू।
- “एंटिटी ब्लैकलिस्ट” का विस्तार।
- चिप्स की अमेरिका में ट्रैकिंग अनिवार्यता प्रस्तावित।
- तकनीकी आधारित प्रतिबंध
- निर्यात प्रतिबंधों के बजाय हार्डवेयर स्तर पर तकनीकी नियंत्रण।
- विरोधी वातावरण में उपयोग पर पाबंदी।
AI हथियारबंदी के जोखिम
- स्वामित्व, गोपनीयता और निगरानी
- कड़े नियंत्रण से राज्य निगरानी और AI के दुरुपयोग का खतरा।
- गोपनीयता और नैतिक सुरक्षा कम।
- विश्वास में कमी।
- द्वि-उपयोग अस्पष्टता
- स्वास्थ्य, जलवायु पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन जैसे जरूरी क्षेत्र भी प्रभावित।
- वैश्विक सहयोग में कमी
- वैज्ञानिक सहयोग पर प्रतिकूल प्रभाव।
- विकासशील देशों को पहुंच में असमानता।
भारत का दृष्टिकोण
- भारत की चुनौतीपूर्ण स्थिति
- AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क के तहत भारत को सीमित पहुंच मिली थी।
- वापसी से लाभ हुआ लेकिन अगर अमेरिकी रणनीति जारी रही तो यह अस्थाई होगा।
- रणनीतिक सतर्कता आवश्यक
- भारत को चिप स्रोत विविधीकरण करना चाहिए।
- देश में कम्प्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर और क्वांटम स्वायत्तता को प्रोत्साहित करना चाहिए।
निष्कर्ष:
AI डिफ्यूजन फ्रेमवर्क की वापसी नीति में बदलाव नहीं, बल्कि प्रवर्तन के तरीके में परिवर्तन है। AI अमेरिकी रणनीतिक प्रभुत्व का केंद्र बना हुआ है। भारत और अन्य देशों को वैश्विक तकनीकी राजनीति में संतुलन बनाए रखते हुए घरेलू AI नवाचार को बढ़ावा देने की जरूरत है ताकि सहयोग और स्वायत्तता दोनों सुनिश्चित हो सकें।