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संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दक्षिण गोलार्ध (Global South) के देशों के साथ कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की पहल भारतीय प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

परिचय:
BRICS शिखर सम्मेलन हेतु ब्राजील जाते समय, प्रधानमंत्री मोदी ने घाना, त्रिनिदाद और टोबैगो, तथा अर्जेंटीना का रणनीतिक दौरा किया। इन द्विपक्षीय यात्राओं का उद्देश्य फार्मास्यूटिकल्स, महत्वपूर्ण खनिज, डिजिटल सहयोग और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करना तथा भारत की नेतृत्व भूमिका को सुदृढ़ करना था। साथ ही, उन्होंने वैश्विक असमानताओं को दूर करने के लिए कम लागत विकास समाधान प्रस्तुत किये।

प्रधानमंत्री मोदी के रणनीतिक द्विपक्षीय दौरे और प्रमुख परिणाम:

  • घाना (अक्रा): भारत-घाना संबंधों को समग्र साझेदारी में बदलना; पश्चिम अफ्रीका के लिए घाना को “वैक्सीन हब” बनाने में सहायता।
  • त्रिनिदाद और टोबैगो (पोर्ट ऑफ स्पेन): भारतीय फार्मेकोपिया पर महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) जोड़ा; गुणवत्तापूर्ण और सस्ते जेनेरिक दवाओं की पहुँच बढ़ाने पर जोर।
  • अर्जेंटीना (ब्यूनस आयर्स): राष्ट्रपति जावियर माईली के साथ महत्वपूर्ण खनिजों, शेल गैस व तेल भंडार पर सहयोग की चर्चा; भारतीय दवाओं को अर्जेंटीना में बढ़ावा देने पर भी ध्यान।

दक्षिण गोलार्ध के प्रति प्रतिबद्धता:

  • सभी यात्रा किये गए देश विकासशील हैं और दक्षिण गोलार्ध के हिस्से हैं।
  • ब्राजील और नामीबिया की यात्राएँ भारत के प्रस्तावित वैकल्पिक आर्थिक ढाँचे की ओर प्रयास दिखाती हैं, जो विकासशील देशों को वैश्विक उत्तर की निर्भरता कम करने में मदद करें।

वैश्विक साझेदारियाँ और कम लागत समाधान:

  • भारत आपदा-प्रतिरोधी अवसंरचना गठबंधन (CDRI) जैसी पहलें चला रहा है।
  • विकासशील देशों के साझा मुद्दों के लिए लागत-कुशल समाधान प्रस्तुत करता है।

प्रवासी कूटनीति और सांस्कृतिक जुड़ाव:

  • पोर्ट ऑफ स्पेन में भारतीय प्रवासी समुदाय को संबोधित करते हुए, मोदी ने ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में भारतीयों के कैरिबियाई प्रवास को याद किया।
  • भारतीय मूल के नेताओं जैसे राष्ट्रपति क्रिस्टीने कार्ला कंगालू और पूर्व प्रधानमंत्री कमला पर्साद-बिस्सेसर को सम्मानित किया।
  • 3.5 करोड़ भारतीय प्रवासी को भारत की “गौरव” बताया।

साझा ऐतिहासिक और राजनीतिक विरासत:

  • ये देश औपनिवेशिक इतिहास साझा करते हैं और गैर-संरेखित आंदोलन से जुड़े हैं।
  • दक्षिण-दक्षिण सहयोग मजबूत करने और अधिक न्यायसंगत वैश्विक व्यवस्था की कल्पना करते हैं।

भारत की बहुपक्षीय भूमिका और आकांक्षाएँ:

  • भारत और ब्राजील BRICS एवं IBSA के संस्थापक सदस्य हैं।
  • ये देश वर्तमान वैश्विक शासन मॉडल के विकल्प खोज रहे हैं, जो अधिक समावेशी और न्यायसंगत हो।

संतुलित वैश्विक व्यवस्था की ओर:

  • मोदी के दौरे का केंद्रीय विषय सत्ता के वर्तमान वैश्विक असंतुलन से ऊपर उठ कर एक बराबरी, प्रतिनिधित्व बढ़ी और विकासशील देशों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील नई व्यवस्था की दिशा है।

निष्कर्ष:
प्रधानमंत्री मोदी का दक्षिण गोलार्ध देशों के साथ संवाद भारत की वैश्विक व्यवस्था को पुनः आकार देने की महत्वाकांक्षा को दर्शाता है। दक्षिण-दक्षिण सहयोग, प्रवासी कूटनीति और वैकल्पिक आर्थिक निर्माण के माध्यम से भारत एक अधिक प्रतिनिधि, न्यायसंगत और विकास-संवेदनशील विश्व का अग्रदूत बन रहा है, जो परम्परागत वैश्विक उत्तर के प्रभुत्व से भिन्न है।

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