The Hindu Editorial Analysis in Hindi
8 July 2025
मातृ मृत्यु रोकने के लिए प्रतिबद्धता को बढ़ावा देना
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic: जीएस 2: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास एवं प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
संदर्भ:
भारत में प्रसव के दौरान मातृ मृत्यु दर (MMR) गिर रही है, लेकिन कुछ राज्यों में स्वास्थ्य व्यवस्था की जड़ों में बसे गंभीर समस्याओं का समाधान आवश्यक है।

परिचय:
2019–21 के बीच भारत की मातृ मृत्यु दर 93 रही, यानी 1 लाख जीवित जन्मों पर 93 महिलाओं की मृत्यु। जबकि यह संख्या पिछले वर्षों से कम हो रही है (2017–19 में 103, 2018–20 में 97), फिर भी कुछ राज्यों में यह बहुत उच्च है। मातृ मृत्यु का अर्थ है गर्भावस्था के दौरान या 42 दिन के भीतर मातृ कारणों से मृत्यु।
राज्यों के वर्गीकरण और मातृ मृत्यु दर (MMR):
- सशक्त राज्य समूह (EAG): बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, असम।
- मध्य प्रदेश: 175 (सबसे अधिक)
- असम: 167
- झारखंड: 51
- अन्य: 100-151
- दक्षिणी राज्य: आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु।
- केरल (सबसे कम): 20
- कर्नाटक (सबसे अधिक दक्षिणी राज्य): 63
- अन्य राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश: महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, पश्चिम बंगाल आदि।
- महाराष्ट्र: 38
- गुजरात: 53
- पंजाब: 98
- हरियाणा: 106
- पश्चिम बंगाल: 109
मुख्य तथ्य:
केरल की मातृ मृत्यु दर देश में सबसे कम है जबकि मध्य प्रदेश और असम में सबसे अधिक है। प्रत्येक राज्य की आवश्यकताओं और स्वास्थ्य ढांचे के हिसाब से अलग रणनीति अपनाने की जरूरत है।
मातृ मृत्यु रोकने में तीन प्रमुख देरी (Delays):
- देखभाल के लिए निर्णय लेने में देरी: परिवार खतरे की पहचान नहीं कर पाता या अस्पताल जाने का निर्णय देर से लेता है। पारिवारिक आर्थिक स्थिति, शिक्षा में कमी इसका कारण हैं।
- स्वास्थ्य सुविधा तक पहुँचने में देरी: दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्र, खराब सड़क और परिवहन की समस्या।
- उचित उपचार प्रदान करने में देरी: अस्पताल में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी, दवाओं या रक्त की अनुपलब्धता, आपात परिस्थिति में प्रतिक्रिया में देरी।
महत्वपूर्ण पहलु:
- प्रथम संदर्भ इकाइयां (FRUs) हर जिले में कम से कम 4 होनी चाहिए, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टर और रक्त बैंक उपलब्ध हो। वर्तमान में कई जगह विशेषज्ञ की 66% कमी है।
- प्रमुख चिकित्सा कारण: प्रसवोपरांत अत्यधिक रक्तस्राव, एनीमिया, प्रसव में अवरोध, उच्च रक्तचाप, असुरक्षित प्रसव/गर्भपात से संक्रमण, अन्य संक्रमण जैसे मलेरिया, टीबी।
जरूरत:
- तत्काल रक्त हस्तांतरण, अच्छी ओटी, विशेषज्ञों की उपस्थिति, समय पर उच्च रक्तचाप का इलाज।
- सुरक्षित प्रसव और एंटीबायोटिक्स की उपलब्धता।
- मलेरिया व टीबी जैसे बीमारियों का नियंत्रण।
- गर्भावस्था का शीघ्र पंजीकरण, नियमित जांच, संस्थागत प्रसव को बढ़ावा।
राज्य-विशेष प्राथमिकताएं:
- EAG राज्यों को बुनियादी स्वास्थ्य कार्यान्वयन पर ध्यान देना होगा।
- दक्षिणी राज्य, झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात को आपातकालीन और मूलभूत चिकित्सा देखभाल की गुणवत्ता सुधारनी होगी।
- केरल मॉडल, विशेष रूप से मातृ मृत्यु के गोपनीय समीक्षा कार्यक्रम से सीख लेकर अन्य राज्यों को अपनाना चाहिए, जो क्लिनिकल प्रथाओं और आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार करता है।
निष्कर्ष:
मातृ मृत्यु को कम करने के लिए समय पर देखभाल, संस्थागत प्रसव और मजबूत स्वास्थ्य व्यवस्था आवश्यक है। राज्य-विशेष रणनीति, प्रशिक्षित कर्मी और तत्काल सहायता से ही कोई महिला प्रसव के दौरान अपनी जान न गँवाए। यह एक मूलभूत अधिकार है, विलासिता नहीं।