The Hindu Editorial Analysis in Hindi
17 July 2025
भूकंपीय लचीलापन बनाने के लिए सोच में एक बड़ा बदलाव
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 1: भूकंप जैसी महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ
संदर्भ:
भारत और विश्व में भूकंप गतिविधि बढ़ रही है, इसलिए भारत सरकार को राष्ट्रीय संवाद की पहल करनी चाहिए ताकि भूकंपीय सुरक्षा कोड का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जा सके।

परिचय:
10 जुलाई 2025 को दिल्ली में 4.4 मेग्निट्यूड के भूकंप से भारत की भूकंपीय संवेदनशीलता उजागर हुई। दिल्ली का 80% से अधिक पुराना निर्माण भूकंपीय मानकों का पालन नहीं करता। मार्च 2025 से एशिया में आए कई भूकंप, जैसे म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 मेग्निट्यूड का भूकंप, यह दर्शाते हैं कि भूकंप की सक्रियता बढ़ रही है।
जोखिम और खतरे:
- भारत के भूकंपीय जोखिम का स्रोत भारतीय प्लेट का यूरेशियन प्लेट से टकराव है, जो हिमालय का निर्माण करता है।
- ग्रेट हिमालयन क्षेत्र में 8+ मेग्निट्यूड के बड़े भूकंप का अंदेशा है, जो 3 करोड़ से अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है।
- दिल्ली, जो भूकंपीय ज़ोन IV में आता है, 33.5 मिलियन निवासियों और 5000 से अधिक ऊँची इमारतों वाला इलाका है, जिनमें से कई कोड का पालन नहीं करतीं।
- भारत के विभिन्न भूकंपीय जोन II से V तक फैले हैं, जिनमें उत्तर-पूर्व और अंडमान-निकोबार द्वीप समूह उच्च जोखिम वाले हैं।
- अंडमान में सुनामी का खतरा भी है।
शहरीकरण और भूकंप जोखिम:
दिल्ली में तेजी से शहरीकरण से खतरा और भी बढ़ गया है क्योंकि बहुत से पुराने निर्माण कमजोर मिट्टी पर बने हैं।
- ‘IndiaQuake’ ऐप के बावजूद जनसाधारण में जागरूकता कम है और कोड सख्ती से लागू नहीं होते।
- विदेशों में (जैसे बैंकाक) कोड अपडेट से नुकसान कम हुआ जबकि म्यांमार में लापरवाही से नुकसान बढ़ा।
- हिमालयी क्षेत्र में जबरदस्त तनाब बना हुआ है, और वैश्विक भूकंपीय गतिवधियां इसे और गंभीर बनाती हैं।
भारत के लिए कृत्य योजना:
- पुराने भवनों में स्टील जैकेटिंग द्वारा रेट्रोफिटिंग।
- गहरे फाउंडेशन को जरूरी बनाना।
- दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा नियमों का सख्ती से पालन।
- गुवाहाटी में विशेष नियम और बेस आइसोलेशन तकनीक लागू करना।
- भुज में रेट्रोफिटिंग और सामुदायिक आपदा तैयारी टीमों का निर्माण।
- राष्ट्रीय भूकंप चेतावनी प्रणाली का विस्तार।
- ₹50,000 करोड़ वार्षिक निवेश से व्यापक रेट्रोफिटिंग योजना।
सरकार और नागरिकों की भूमिका:
- सरकार को भूकंपीय कोड का कड़ाई से पालन, जनजागृति और मजबूत अवसंरचना में निवेश करना होगा।
- नागरिकों को आपातकालीन किट, सुरक्षित भवन निर्माण और पुनर्वास योजनाओं की जानकारी होनी चाहिए।
निष्कर्ष:
भुज भूकंप ने दिखाया कि तैयारी की कमी कितनी तबाही ला सकती है। दिल्ली की हालिया घटना ने इस आवश्यकता को और तीव्र कर दिया है। भारत के लिए जरूरी है कि वह भूकंप के खतरे से लड़ने के लिए तुरंत सख्त नियम लागू करे, लोगों को जागरूक करे, और मजबूत अवसंरचना बनाए, ताकि भविष्य में किसी बड़े आपदा से रक्षा की जा सके।