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मुख्य विषय और निष्कर्ष

  1. चीन की भू-अर्थिक युद्ध नीति
    चीन का उद्देश्य केवल उत्पादन नहीं, बल्कि आर्थिक दबाव और नियंत्रण के माध्यम से वैश्विक प्रभुत्व बनाए रखना है।
    यह गैल्यियम, ग्रेफाइट जैसे महत्वपूर्ण दुर्लभ पृथ्वी तत्वों पर कब्जा करता है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन, और रक्षा तकनीक के लिए आवश्यक हैं।
    निर्यात प्रतिबंधों से भारत की सेमीकंडक्टर हब बनाने और EV इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने की महत्वाकांक्षा प्रभावित हो रही है।
    ➡️ इसका अर्थ: तकनीकी स्वायत्तता कमजोर हो रही है, खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स, रक्षा और हरित गतिशीलता में।
  2. औद्योगिक शक्ति का रणनीतिक उपयोग
    चीन ने अत्याधुनिक आपूर्ति श्रृंखलाएं विकसित की हैं और घटकों पर नियंत्रण रखा है।
    इंजीनियरों को वापस बुला लिया है और पूंजी निर्यात को सीमित किया है ताकि ज्ञान हस्तांतरण को रोका जा सके।
    यह रणनीति भारत जैसे प्रतिद्वंद्वी विनिर्माण केंद्रों को बाधित करने की है।
    ➡️ भारत पर प्रभाव: आत्मनिर्भर उच्च-मूल्य विनिर्माण कठिन, लागत बढ़ना और परियोजना विलंब।

भारत की रणनीतिक कमजोरियां और सीख

कमजोरियांसंपादकीय विवेचना
नौकरशाही अड़चनेंलालफीताशाही, देरी, और अवसंरचना की कमी भारत के औद्योगिक प्रयासों को बाधित करती हैं।
आयात निर्भरताभारत अभी भी सेमीकंडक्टर और हरित तकनीक के कई महत्वपूर्ण घटकों के लिए आयात पर निर्भर है।
विखंडित सुधारप्ली (PLI) जैसे योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन समग्र समन्वय और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए पर्याप्त नहीं।

भारत को क्या सीखना चाहिए और क्या करना चाहिए

A. रणनीतिक स्पष्टता
समझना कि चीन की रणनीति केवल आर्थिक नहीं, बल्कि सुरक्षा और प्रभुत्व से जुड़ी है।
भारत का विनिर्माण केवल आयात प्रतिस्थापन नहीं, बल्कि वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सक्षम होना चाहिए।

B. तकनीक-संचालित विनिर्माण जोर
उन क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करें जहां चीन प्रभुत्व रखता है:

  • सेमीकंडक्टर
  • इलेक्ट्रिक वाहन (EVs)
  • टेलीकॉम (6G, चिप्स)
  • बैटरी भंडारण
    समन्वित प्रयासों (PLI + R&D + तकनीकी कूटनीति गठजोड़) के साथ मजबूत घरेलू मूल्य श्रृंखला का निर्माण करें।

C. वैश्विक गठबंधन और आर्थिक कूटनीति
रणनीतिक संबंध मजबूत करें:

  • भारत-आसियान
  • क्वाड (भारत–अमेरिका–जापान–ऑस्ट्रेलिया)
  • सप्लाई चेन रेजिलिएंस इनिशिएटिव (SCRI)
    भारत की जनसंख्या और लोकतांत्रिक लाभ का उपयोग कर भरोसेमंद विनिर्माण गलियारे बनाएँ।

D. औद्योगिक नीति से नौकरशाही हटाएं
तकनीकी पार्क और SEZ में प्रक्रियात्मक देरी हटाएं।
MSMEs और वैश्विक निवेशकों के लिए प्रोत्साहन और फंडिंग जल्दी वितरित करें।

निष्कर्ष


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