The Hindu Editorial Analysis in Hindi
13 August 2025
मिथकों को दूर करें, अंगदान को जीवन रेखा के रूप में पहचानें
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस 2: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे
प्रसंग
लगातार जागरूकता अभियान यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि किसी की मृत्यु केवल इसलिए न हो कि उसे उपयुक्त दाता अंग उपलब्ध नहीं हुआ।

परिचय
अंग प्रत्यारोपण आधुनिक चिकित्सा की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है, जो अंतिम अवस्था के अंग विफलता के लिए सर्वश्रेष्ठ उपचार प्रदान करता है। फिर भी भारत में हर वर्ष 5 लाख से अधिक लोगों की मृत्यु केवल उपयुक्त दाता अंग की अनुपलब्धता के कारण हो जाती है। यद्यपि 2013 में 4,990 प्रत्यारोपण से 2023 में 18,378 तक की वृद्धि हुई है, इनमें से केवल 1,099 मृत दाताओं से प्राप्त हुए। भारत में अंगदान की दर मात्र 0.8 प्रति मिलियन है, जो स्पेन और अमेरिका की 45 प्रति मिलियन से कहीं कम है। प्रत्येक ऐसी रोकी जा सकने वाली मृत्यु हमारे लिए अस्वीकार्य होनी चाहिए।
परिवारों को भय से उबारना
- मांग और आपूर्ति में अंतर के कारण – गहरी जमी भ्रांतियाँ और गलत धारणाएँ, मरीज की मृत्यु के बाद परिवारों को अंगदान की सहमति देने से रोकती हैं।
- परिवर्तन की आवश्यकता – निरंतर शिक्षा और जागरूकता अभियान द्वारा गलत सूचनाओं का खंडन आवश्यक है।
भ्रांति – शरीर विकृति: कई लोगों का मानना है कि अंगदान से शरीर विकृत हो जाता है, जिससे अंतिम संस्कार की रस्में या धार्मिक परंपराएँ प्रभावित होती हैं।
सच्चाई: अंग निकालने की प्रक्रिया सम्मान और सावधानी के साथ की जाती है ताकि दाता का स्वरूप अंतिम संस्कार के लिए सुरक्षित रहे।
सांस्कृतिक संवेदनशीलता: स्वास्थ्यकर्मी सांस्कृतिक परंपराओं के अनुरूप काम करते हैं; विभिन्न धर्मों के नेता अंगदान को करुणा का कार्य मानते हैं जो आध्यात्मिक मूल्यों से मेल खाता है।
भ्रांति – मस्तिष्क मृत्यु की समयपूर्व घोषणा: कुछ लोगों को डर है कि अस्पताल का स्टाफ अंग प्राप्त करने के लिए मस्तिष्क मृत्यु की जल्द घोषणा कर सकता है।
सच्चाई: मस्तिष्क मृत्यु की घोषणा केवल 1994 के अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम के कानूनी और चिकित्सकीय ढांचे के तहत ही की जाती है।
सुरक्षा उपायों में शामिल हैं:
- कठोर चिकित्सकीय मानदंड
- बहु-अनुशासनिक विशेषज्ञों का पैनल
- निर्धारित समयांतराल पर दोहराए जाने वाले परिभाषित चिकित्सकीय परीक्षण
- निर्धारित प्रपत्रों में पूर्ण दस्तावेज़ीकरण
परिणाम: यह सुनिश्चित करता है कि प्रक्रिया पारदर्शी, नैतिक और मस्तिष्क की अपूरणीय मृत्यु की पुष्टि के बाद ही अंग निकाले जाएँ।
आयु और स्वास्थ्य का मुद्दा
भ्रांति – केवल युवा दाता: यह धारणा प्रचलित है कि केवल युवा दुर्घटना पीड़ित ही अंगदान कर सकते हैं। जबकि युवा दाता से अंगों का प्रदर्शन बेहतर हो सकता है, किंतु कई अंग और ऊतक — जैसे गुर्दे, यकृत के हिस्से, फेफड़े और कॉर्निया — वृद्ध दाताओं या प्राकृतिक मृत्यु वालों से भी प्राप्त किए जा सकते हैं।
हर योगदान का महत्व: हड्डी, त्वचा और हृदय वाल्व जैसे दान भी जीवन बचा सकते हैं या उसमें सुधार ला सकते हैं।
भ्रांतियों का निवारण: इसके लिए निरंतर जागरूकता अभियान और सीधा संवाद आवश्यक है।
जनसंचार अभियान: टीवी और सोशल मीडिया पर ऑडियो-वीडियो सामग्री युवाओं तक प्रभावी ढंग से पहुँच सकती है।
वास्तविक कहानियाँ: अभियानों में वास्तविक दाता परिवारों और प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं को शामिल करना अंगदान के ठोस प्रभाव को दर्शाता है।
सामुदायिक कार्यशालाएँ: प्रशिक्षित परामर्शदाताओं द्वारा संचालित, जहाँ अंतिम संस्कार की परंपराओं, चिकित्सकीय प्रक्रियाओं और दाता पात्रता से जुड़े प्रश्नों के उत्तर मिल सकें।
प्रारम्भिक शिक्षा: स्कूल और कॉलेजों के जीवन विज्ञान एवं नैतिक शिक्षा पाठ्यक्रम में अंगदान शिक्षा का समावेश, कम उम्र से ही दान की संस्कृति विकसित करता है।
सहपाठी से सहपाठी शिक्षा: छात्रों को सहानुभूति बढ़ाने और भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रेरित करता है।
स्वास्थ्य पेशेवरों की भूमिका: नियमित प्रशिक्षण के माध्यम से अंगदान के पक्षधर बनना, ताकि दाता परिवारों से संवेदनशील संवाद कर सकें।
उदाहरण – अपोलो अस्पताल: समर्पित प्रत्यारोपण समन्वयक दल परिवारों को जटिल निर्णयों में स्पष्टता और संवेदनशीलता के साथ मार्गदर्शन देता है।
जन विश्वास सुनिश्चित करने के उपाय
- सामूहिक संकल्प की आवश्यकता: भारत को अंगों की भारी मांग-आपूर्ति अंतर को समाप्त करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबद्धता बनानी होगी।
- दिवस से आगे के सतत प्रयास: विश्व अंगदान दिवस पर जागरूकता और कार्यवाही के साथ-साथ वर्षभर नीति सुधार और जमीनी स्तर पर सहभागिता जारी रहनी चाहिए।
आशाजनक नीति – अनुमानित सहमति (Presumed Consent):
- स्पेन, क्रोएशिया और अन्य यूरोपीय देशों में सफल।
- हर वयस्क को दाता माना जाता है, जब तक वह औपचारिक रूप से बाहर न हो।
सहायक उपाय:
- मज़बूत पारिवारिक सहयोग प्रणाली और शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना, ताकि जनता का विश्वास बना रहे और नैतिक निगरानी सुनिश्चित हो।
नैतिक आयाम: अंगदान एक महान दान और सर्वोच्च विरासत है, जिससे किसी अन्य का जीवन आपके उपहार से आगे बढ़ सकता है।
निष्कर्ष
अब कार्य करने का समय है। प्रत्येक पात्र वयस्क को दाता के रूप में पंजीकृत होना चाहिए और प्रत्येक परिवार को उस निर्णय का सम्मान करना चाहिए। जिन रोगियों के लिए प्रत्यारोपण ही एकमात्र उपचार है, उनके लिए अंगदान जीवनरेखा है। भ्रांतियों को दूर कर और दृढ़ संकल्प दिखाकर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि भारत में कोई भी केवल अंग की कमी के कारण न मरे। विश्व अंगदान दिवस (13 अगस्त) पर हमें इस उद्देश्य को सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में अपनाने की प्रतिज्ञा करनी चाहिए।