The Hindu Editorial Analysis in Hindi
06 September 2025
समस्याओं का समाधान, भारत की विकास क्षमता का दोहन
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 14)
Topic : जीएस 3: भारतीय अर्थव्यवस्था और नियोजन, संसाधनों का जुटाव, वृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे
प्रस्तावना
भारत की आर्थिक यात्रा सदैव साहसिक सुधारों से निर्देशित रही है। 3 सितम्बर 2025 को आयोजित 56वीं GST परिषद बैठक में लिए गए निर्णय इसी क्रम की एक ऐतिहासिक कड़ी हैं। लंबे समय से व्यवसाय और नीति-निर्माता एक सरल, पूर्वानुमेय और न्यायसंगत कर प्रणाली की मांग कर रहे थे।
नई संरचना—दर तर्कसंगतिकरण, संरचनात्मक विसंगतियों का समाधान, अनुपालन का सरलीकरण तथा विवाद समाधान को सुदृढ़ करना—महत्त्वाकांक्षा और व्यवहारिकता का संतुलन प्रदर्शित करती है। यही कारण है कि इसे GST 2.0 कहा जा रहा है, जो केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान नहीं बल्कि आने वाले दशक की विकास क्षमता को भी खोलता है।

विभिन्न आय समूहों को राहत
- गृहस्थी : साबुन, टूथपेस्ट, तेल, शैम्पू, रसोई उपकरण व पैकेज्ड खाद्य पदार्थ निचले कर स्लैब में → उपभोक्ता बजट पर राहत व मांग में वृद्धि।
- आवास क्षेत्र : सीमेंट व निर्माण सामग्रियों पर कर में कमी → Housing for All मिशन को गति और संबद्ध उद्योगों (इस्पात, टाइल्स, पेंट्स) को प्रोत्साहन।
- स्वास्थ्य क्षेत्र : जीवन रक्षक दवाएँ व आवश्यक चिकित्सा उपकरण कर-मुक्त/5% स्लैब में → उपचार लागत घटेगी, स्वास्थ्य पहुँच बढ़ेगी।
- श्रम-प्रधान उद्योग : वस्त्र, हस्तशिल्प, चमड़ा, जूते, खिलौने पर रियायत → रोजगार व ग्रामीण–अर्धशहरी अर्थव्यवस्था को संबल।
- ऑटोमोबाइल क्षेत्र : छोटे वाहन, मोटरसाइकिल, बसें व ट्रक पर कम दरें → मांग व निवेश में वृद्धि, भारत के ऑटो हब को बल।
निर्यातक और MSME के लिए सहूलियतें
- निर्यातकों को समर्थन :
- टेक्सटाइल्स, उर्वरक व नवीकरणीय ऊर्जा में inverted duty structure समाप्त।
- MSME-आधारित उद्योग (हस्तशिल्प, चमड़ा, इंजीनियरिंग गुड्स) को प्रतिस्पर्धात्मक लाभ।
- पूंजीगत वस्तुओं पर कम कर → Make in India को गति।
- विवाद व अनुपालन बोझ में कमी :
- सरल स्लैब व समन्वित दरें → व्याख्या-जनित विवादों में कमी।
- रिफंड प्रक्रिया सुगम, खासकर छोटे निर्यातकों के लिए।
- MSME के लिए नया GST पंजीकरण ढाँचा :
- स्वचालित स्वीकृति तीन दिनों में।
- अनुपालन लागत घटेगी, औपचारिककरण को बढ़ावा मिलेगा।
संस्थागत सुधार : GSTAT
- Goods and Services Tax Appellate Tribunal (GSTAT) की स्थापना → शीघ्र व न्यायसंगत विवाद निपटान।
- करदाताओं में विश्वास, केस बैकलॉग कम, प्रणाली में पारदर्शिता।
सरलीकृत दो-दर संरचना
- नया ढाँचा : 18% मानक दर, 5% merit rate, 40% demerit rate।
- वैश्विक मानकों के अनुरूप → नीति स्थिरता व निवेशकों को सकारात्मक संकेत।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में भारत को विश्वसनीय निवेश गंतव्य के रूप में स्थापित करता है।
आर्थिक विस्तार की राह
- क्रियान्वयन महत्त्वपूर्ण : सुधार तभी सफल होंगे जब प्रक्रियात्मक जटिलताओं को दूर किया जाए।
- सरकार की स्पष्ट मंशा : उद्योग की बातें सुनना, निर्णायक कदम उठाना और विकासोन्मुख कर प्रणाली गढ़ना।
- GST 2.0 : केवल कर सुधार नहीं, बल्कि खपत, MSME सशक्तिकरण, प्रतिस्पर्धात्मकता और निरंतर विकास गति को बल देने वाला ढाँचा।
- यह भारत की विकास यात्रा का नया अध्याय है, जो GST की महत्वाकांक्षा को आगे बढ़ाता है।
निष्कर्ष
कुछ विसंगतियाँ बनी रहने के बावजूद, GST 2.0 दर सरलीकरण, अनुपालन सहजता और निवेश-अनुकूल माहौल की ठोस प्रतिबद्धता दर्शाता है। ड्यूटी इन्वर्ज़न का समाधान, क्षतिपूर्ति उपकर का उन्मूलन और आयकर रियायतों के साथ सामंजस्य सार्वजनिक विश्वास और अर्थव्यवस्था दोनों को मज़बूती देगा।
वास्तविक परीक्षा यही होगी कि क्या इसके लाभ उपभोक्ताओं तक पहुँचते हैं। यदि ऐसा हुआ, तो यह सुधार भारत की आर्थिक गाथा में न केवल एक कर-परिवर्तन होगा बल्कि समग्र विकास का नया अध्याय भी होगा।