The Hindu Editorial Analysis in Hindi
09 September 2025
ईरान और भारत, प्राचीन सभ्यताएँ और नए क्षितिज
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 14)
Topic : जीएस 2: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
प्रस्तावना
विश्व आज एक गहरे संक्रमण काल से गुजर रहा है। पश्चिम-प्रधान व्यवस्था, विशेषकर अमेरिका-आधारित ढाँचा, गंभीर संकट का सामना कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन, बल प्रयोग, व्यापार युद्ध, संस्थानों की कमजोरी, मीडिया का दुरुपयोग और पर्यावरणीय विनाश इस संकट के प्रतीक हैं। पश्चिम की पारंपरिक प्रभुत्वकारी रणनीतियाँ—वित्तीय नियंत्रण, विज्ञान-प्रौद्योगिकी पर एकाधिकार, मानवाधिकार मानकों का थोपना और मीडिया प्रभाव—धीरे-धीरे अप्रभावी होती जा रही हैं। ऐसे समय में, प्राचीन सभ्यताएँ जैसे भारत और ईरान अपनी सभ्यतागत बुद्धिमत्ता, रणनीतिक स्वायत्तता और साझेदारी से विश्व व्यवस्था का नया स्वरूप गढ़ सकती हैं।

प्राचीन सभ्यताएँ और उभरता ग्लोबल साउथ
- ग्लोबल साउथ का जागरण : अब देश प्रभुत्व और भेदभाव से इंकार करते हुए स्वदेशी मॉडल, विज्ञान–प्रौद्योगिकी और रक्षा क्षमता पर बल दे रहे हैं।
- भारत और ईरान की ऐतिहासिक भूमिका :
- दोनों ने युद्ध केवल आत्मरक्षा हेतु लड़े, किंतु सांस्कृतिक प्रभाव से विजेताओं को भी रूपांतरित किया।
- शासन, साहित्य, दर्शन, कला और वास्तुकला में विश्व को दिशा दी।
- साझा मूल्य : जीवन को उपहार मानना, विविधता का सम्मान, आध्यात्मिक उन्नति और नैतिक शुद्धि।
- आधुनिक संघर्ष व दृढ़ता :
- भारत – उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन, गुटनिरपेक्ष आंदोलन में नेतृत्व।
- ईरान – तेल का राष्ट्रीयकरण, इस्लामी क्रांति द्वारा पश्चिमी प्रभुत्व का प्रतिरोध।
फिलिस्तीन प्रश्न और नैतिक नेतृत्व
- फिलिस्तीन संघर्ष : ग्लोबल साउथ के न्यायपूर्ण संघर्ष का केंद्र। यह पश्चिमी पाखंड और साम्राज्यवादी प्रवृत्तियों को उजागर करता है।
- ईरान : शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा की रक्षा, अंतरराष्ट्रीय कानून और संवाद का समर्थन।
- बहुपक्षीय पहल :
- BRICS : पश्चिमी आर्थिक प्रभुत्व को चुनौती देकर सहभागी और लोकतांत्रिक व्यवस्था की दिशा।
- INSTC : केवल व्यापार मार्ग नहीं, बल्कि सभ्यतागत पुल जो यूरेशिया, काकेशस, भारत और अफ्रीका को जोड़ता है।
अमेरिकी हस्तक्षेप और सभ्यताओं की भूमिका
- पश्चिम एशिया : अमेरिकी हस्तक्षेप व ज़ायोनी शासन का समर्थन क्षेत्रीय अस्थिरता का मूल।
- दक्षिण एशिया : अमेरिका ने आतंकवादी समूहों को अपने रणनीतिक हित में खड़ा और पुनर्स्थापित किया।
- उभरते वैश्विक परिदृश्य : शक्ति-संतुलन अब प्राचीन सभ्यताओं और नए उभरते राष्ट्रों की ओर झुक रहा है।
- भारत और ईरान : सभ्यतागत बुद्धिमत्ता, रणनीतिक स्वतंत्रता और रचनात्मक सहयोग द्वारा न्याय, समानता और आत्मनिर्णय पर आधारित नया मॉडल प्रस्तुत कर सकते हैं।
निष्कर्ष
हम एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़े हैं। बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत और ईरान जैसी प्राचीन सभ्यताएँ, अपनी साझी मूल्यों और रणनीतिक स्वायत्तता के बल पर, न्यायपूर्ण, मानवीय और सहभागी वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सकती हैं। यह व्यवस्था प्रभुत्व के स्थान पर साझेदारी, श्रेष्ठता के स्थान पर समानता और दमन के स्थान पर आत्मनिर्णय पर आधारित होगी। ऐसे समय में, जब राष्ट्र अपने भविष्य के निर्माता बनने की आकांक्षा रखते हैं, तब भारत और ईरान मानवता को इस नए मार्ग पर अग्रसर करने के लिए सर्वाधिक उपयुक्त हैं।