The Hindu Editorial Analysis in Hindi
19 September 2025
भारत को सतत विकास लक्ष्य-3 (SDG 3) प्राप्त करने हेतु अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : GS Paper II – सुशासन | GS Paper III – अर्थव्यवस्था | GS Paper IV – नैतिकता
प्रसंग
जून 2025 में भारत 167 देशों में से 99वें स्थान पर रहा, जो उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। यह सुधार नीतिगत प्रगति और सेवाओं तक पहुँच के विस्तार को दर्शाता है। फिर भी, ग्रामीण एवं जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य और पोषण संबंधी गंभीर चुनौतियाँ बनी हुई हैं। संपादकीय का जोर है कि भारत को विशेष रूप से SDG 3: “सभी आयु वर्ग के लिए स्वास्थ्यपूर्ण जीवन और कल्याण सुनिश्चित करना” पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

मुख्य मुद्दे और तर्क
1. स्वास्थ्य संकेतकों की वर्तमान स्थिति
- मातृ मृत्यु अनुपात (MMR): 97 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म (लक्ष्य – 70)।
- 5 वर्ष से कम आयु मृत्यु दर: 32 प्रति 1,000 जीवित जन्म (लक्ष्य – 25)।
- औसत जीवन प्रत्याशा: 70 वर्ष (लक्ष्य – 73.63 वर्ष से कम)।
- जेब से किया गया स्वास्थ्य व्यय: लक्ष्य (7.83%) से लगभग दोगुना।
- टीकाकरण कवरेज: 93.23% (अब भी 100% से कम)।
ये आँकड़े बताते हैं कि प्रगति के बावजूद लक्ष्य से दूरी शेष है।
2. संरचनात्मक चुनौतियाँ
- कमजोर स्वास्थ्य अवसंरचना और आर्थिक असमानता।
- पोषण, स्वच्छता, सांस्कृतिक वर्जनाएँ जैसी सामाजिक निर्धारक।
- मानसिक स्वास्थ्य अब भी उपेक्षित – कलंक और प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी।
3. प्रगति के मार्ग
a) सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (UHC):
- सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा से वित्तीय संकट टाला जा सकता है।
- विश्व बैंक अध्ययन: मज़बूत बीमा प्रणाली → समानता में सुधार।
b) प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा का सुदृढ़ीकरण:
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले केंद्र।
- निवारक स्वास्थ्य पर बल → अस्पताल व्यय में कमी, दीर्घकालिक लाभ।
c) डिजिटल स्वास्थ्य का उपयोग:
- टेलीमेडिसिन और एकीकृत डिजिटल रिकॉर्ड → ग्रामीण-शहरी अंतर कम।
- Lancet Digital Health Commission उदाहरण: टीकाकरण और मानसिक स्वास्थ्य निगरानी में सुधार।
d) विद्यालय-आधारित स्वास्थ्य शिक्षा:
- पाठ्यक्रम में पोषण, स्वच्छता, प्रजनन स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य शामिल।
- उदाहरण: फिनलैंड और जापान में सुधारों से मृत्यु दर घटी और जीवन प्रत्याशा बढ़ी।
नीति-गत खामियाँ
क्षेत्र | कमी |
---|---|
मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य | MMR और 5 वर्ष से कम मृत्यु दर लक्ष्य से अधिक |
स्वास्थ्य वित्तपोषण | उच्च जेब से व्यय बोझ |
निवारक स्वास्थ्य | पोषण व स्वच्छता पर कमजोर ध्यान |
डिजिटल स्वास्थ्य | ग्रामीण व जनजातीय क्षेत्रों में सीमित एकीकरण |
मानसिक स्वास्थ्य | कलंक और संस्थागत कमी |
आगे की राह
- विद्यालय पाठ्यक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करना।
- प्राथमिक स्वास्थ्य ढाँचे का विस्तार व डिजिटल एकीकरण।
- UHC को बढ़ावा देना ताकि कैटास्ट्रॉफिक स्वास्थ्य व्यय कम हो।
- ग्रामीण और जनजातीय आबादी पर विशेष हस्तक्षेप।
- सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाना (फिनलैंड – स्कूल स्वास्थ्य, जापान – पोषण सुधार)।
निष्कर्ष
भारत की SDG रैंकिंग में सुधार उत्साहजनक है, परंतु 2030 तक SDG 3 प्राप्त करने हेतु लक्षित और त्वरित कार्रवाई आवश्यक है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर केवल 17% SDG लक्ष्य ही निर्धारित पथ पर हैं। भारत को स्वास्थ्य सुधारों को प्राथमिकता देनी होगी।
सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज, निवारक स्वास्थ्य सेवा और स्वास्थ्य शिक्षा को मजबूत कर भारत समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास पथ पर अग्रसर हो सकता है।