The Hindu Editorial Analysis in Hindi
30 September 2025
आतंकवाद विरोधी भूमिका जो तर्क के खिलाफ है
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
Topic : जीएस पेपर II – अंतर्राष्ट्रीय संबंध | जीएस पेपर III – आंतरिक सुरक्षा | जीएस पेपर IV – नैतिकता
संदर्भ
- संपादकीय पाकिस्तान के उस प्रयास की आलोचना करता है, जिसमें वह स्वयं को वैश्विक आतंकवाद-रोधी (counterterrorism) में जिम्मेदार भागीदार के रूप में प्रस्तुत करना चाहता है।
- वास्तविकता: पाकिस्तान आतंकी संगठनों जैसे लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हक्कानी नेटवर्क को पनाह और समर्थन देता है।
- हाल की घटनाएँ: संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान के भाषण → स्वयं को आतंकवाद का शिकार बताना और मान्यता माँगना।

प्रमुख मुद्दे और तर्क
1. पाकिस्तान का दोहरा चरित्र
- भारत और अफगानिस्तान को निशाना बनाने वाले आतंकी संगठनों को पनाह और प्रशिक्षण।
- 2008 मुंबई हमला, 2019 पुलवामा हमला, सीमा पार घुसपैठ = मजबूत आतंकी ढांचा।
- फिर भी वैश्विक मंचों (UN) पर स्वयं को अग्रणी आतंकवाद-रोधी देश बताता है।
2. संयुक्त राष्ट्र की संदिग्ध भूमिका
- UN का पाकिस्तान को आतंकवाद-रोधी तंत्र में शामिल करना चिंताजनक।
- यह अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाता है।
- पाकिस्तान इन मंचों का उपयोग अपने घरेलू संकट (आर्थिक पतन, राजनीतिक अस्थिरता, FATF जांच) से ध्यान भटकाने के लिए करता है।
3. भारत का स्थायी रुख
- भारत लगातार UN में पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है।
- भारत सुधार की माँग करता है → आतंकवाद प्रायोजक देशों को वैधता न मिले।
- नैतिक दृष्टि: आतंक पीड़ितों को न्याय देना प्राथमिकता होनी चाहिए, न कि अल्पकालिक राजनीतिक लाभ।
4. रणनीतिक प्रभाव
- दक्षिण एशिया: पाकिस्तान की चालबाजियाँ क्षेत्रीय शांति को असंभव बनाती हैं।
- UN: विश्वसनीयता घटती है, जब आतंक प्रायोजक देशों को नेतृत्व की भूमिका दी जाती है।
- वैश्विक सुरक्षा: पाकिस्तान को “पीड़ित” दिखाने से जवाबदेही धुंधली होती है, सामूहिक कार्रवाई कमजोर पड़ती है।
नैतिक और दार्शनिक आयाम
- यह वैसा है जैसे “आग लगाने वाले को ही फायर फाइटर बना देना”।
- अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सत्य, न्याय और जिम्मेदारी पर प्रश्नचिह्न।
- कांट का सार्वभौमिकता का सिद्धांत: संस्थाओं को वही आचरण बढ़ावा देना चाहिए, जो वे सभी देशों से अपेक्षा रखते हैं। पाकिस्तान को पुरस्कृत करना नैतिक विश्वसनीयता को कमजोर करता है।
आगे की राह
- संस्थागत सुधार:
- UN को आतंकवाद प्रायोजक देशों को सदस्यता से निलंबित करना चाहिए।
- सामूहिक प्रयास:
- भारत, अमेरिका, फ्रांस, जापान जैसे देशों के साथ मिलकर जवाबदेही ढांचा तैयार करे।
- दोहरापन उजागर करना:
- पाकिस्तान के आतंकी संबंधों के साक्ष्य लगातार प्रस्तुत करना।
- FATF को मजबूत करना:
- आर्थिक दबाव डालकर पाकिस्तान को आतंकी ढांचा तोड़ने पर मजबूर करना।
- पीड़ित-केंद्रित दृष्टिकोण:
- आतंकवाद-रोधी नीतियों का केंद्र पीड़ितों को न्याय दिलाना होना चाहिए।
निष्कर्ष
- पाकिस्तान का आतंकवाद-रोधी योद्धा बनने का प्रयास अतार्किक ही नहीं, खतरनाक भी है।
- यह वैश्विक न्याय और सुरक्षा ढांचे को कमजोर करता है।
- भारत को निरंतर पाकिस्तान के दोहरेपन को उजागर करना चाहिए और ऐसे वैश्विक सुधारों पर ज़ोर देना चाहिए, जो –
- सत्य को कथा पर
- जवाबदेही को सुविधा पर
- और न्याय को दण्डमुक्ति पर
प्राथमिकता दें।