1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
जीवन को उसकी समग्रता में सोचना और जीवन को एक ख़ास इरादे से सोचना दो अलग तरह की तैयारियाँ हैं और इस माने में साहित्य जब भी राजनीति की तरह भाषा का एकतरफ़ा या इकहरे इस्तेमाल करता है, तो वह अपनी मूल शक्ति को सीमित या कुंठित करता है। राजनीति के मुहावरे में बोलते समय हम एक ऐसे वर्ग की भाषा बोल रहे होते हैं जिसके लिए भाषा प्रमुख चीज़ नहीं है, वह भाषा का दूसरे या तीसरे दर्जे का इस्तेमाल है : वह एक ख़ास मकसद तक पहुँचने का साधन मात्र है। उसे भाषा की सामर्थ्य, प्रामाणिकता या सच्चाई में उस तरह दिलचस्पी नहीं रहती जिस तरह साहित्य की। उसकी भाषा प्रचार–प्रमुख रेटोरिकल और नकलची व्यक्तित्व की भाषा हो सकती है, क्योंकि राजनीति के लिए भाषा एक व्यावहारिक और कामचलाऊ चीज़ है।
चीज़ है जबकि साहित्यकार के लिए भाषा उस ज़िंदगी की सच्चाई का एक जीता–जागता हिस्सा है जिसे वह राजनीतिक, व्यावसायिक, व्यावहारिक या स्वार्थों की हिंसा, तोड़-फोड़ और प्रदूषण से बचाकर उसकी मूल गर्मी और शक्ति में स्थापित या पुनर्स्थापित करना चाहता है। साहित्य का काम अपनी पहचान को राजनीति की भाषा में खो देना नहीं, बल्कि उस भाषा के हदबंद से अपने को लगभग बेगाना करके अकेला कर लेना है, एक सत्य की तरह अकेला, कि राजनीति के लिए ज़रूरी हो जाए कि वह बार-बार अपनी प्रामाणिकता और सच्चाई के लिए साहित्य से भाषा माँगे न कि साहित्य ही राजनीति की भाषा बनकर अपनी पहचान खो दे।
(क) प्रस्तुत गद्य का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। (5 अंक)
(ख) राजनीति की भाषा का लक्ष्य क्या होता है? (5 अंक)
(ग) उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए। (20 अंक)
2. भारत में अपना समाजशास्त्र रचने की आवश्यकता है।
पश्चिम का समाजशास्त्र जिस मानव–केन्द्रित सामाजिकता और उसकी आध्यात्मिक समता की बात करता है, वह चिन्तित अपर्याप्त है। मनुष्य तक ही जीवन सीमा नहीं है। मनुष्य जब अपने आसपास के चर–अचर जीवन के साथ ओतप्रोत है, आसपास की क्षति से जब उसकी भी क्षति होती है, तो उसका दायित्व तो बढ़ जाता है। यह सही है कि जिस प्रकार की तर्क–प्रज्ञा मनुष्य को प्राप्त है, वह अन्य प्राणी को नहीं; पर उस अन्य को भी कुछ ऐसा प्राप्त है, जो मनुष्य को नहीं – और उस प्राप्त के प्रति मनुष्य को श्रद्धा होनी चाहिए।
हमारा संगठन उनकी सत्ता को नकारकर या हेय मानकर होगा; जैसा पिछले तीन सौ वर्षों से हुआ है, तो यह जितनी उनकी क्षति करेगा उससे अधिक मनुष्य की क्षति होगी, यह बात तो अब प्रमाणित हो चुकी है। इसलिए समाजशास्त्र की मानव–केन्द्रित दृष्टि का ध्यान सर्वभूतहित पर जाना चाहिए।
दूसरी बात समता की है। सम शब्द का व्युत्पत्ति से प्राप्त अर्थ – जो सुत मात्र हो, अर्थात शुद्ध सत्ता हो, इसलिए समता को अर्थतः शुद्ध समता को सर्वं देेखना। समता इस प्रकार एकत्व है, बराबरी नहीं है, क्योंकि पृथकत्व के बिना बराबरी की बात ही नहीं सोची जा सकती, दो वस्तुएँ अलग होंगी, तभी वे बराबर या गैर–बराबर दिखेंगी, जब एक हैं तो फिर बराबरी या गैर–बराबरी का सवाल ही नहीं उठता।
उपर्युक्त गद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(क) प्रस्तुत गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए। 5
(ख) नए भारतीय समाजशास्त्र की रचना की आवश्यकता क्यों है? 5
(ग) उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिए। 20
3. (क) अधिसूचना किसे कहते हैं? हिन्दी प्रदेश के न्यायालयों में हिन्दी के प्रयोग को अनिवार्य करने की एक अधिसूचना विधि मंत्रालय द्वारा दी गई है। उसका उपयुक्त प्रारूप तैयार कीजिए। 10
(ख) परिपत्र किसे कहते हैं? जिला अधिकारी की ओर से जिले के सभी ग्राम प्रधानों के लिए सफाई व्यवस्था पर ध्यान रखने के लिए एक परिपत्र का प्रारूप तैयार कीजिए। 10
4. निम्नलिखित शब्दों के विलोम लिखिए। 10
विपन्न, महत्ता, स्तुति, सद्भाव, विरल, शीघ्र, सम्पत्ति, अपराधी, अवशेष, एकत्र
5. (क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए। 5
उद्ग्रीव, दृष्टि, निर्मलित, निश्चल, अत्यंत
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिए। 5
देव, पूज्य, कौतुक, पौराणिक, तन्द्रालु
5. (क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए। 5
उद्ग्रीव, दृष्टि, निर्मलित, निश्चल, अत्यंत
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिए। 5
देव, पूज्य, कौतुक, पौराणिक, तन्द्रालु
6. निम्नलिखित वाक्यांशों या पदबंधों के लिए एक–एक शब्द लिखिए। (10)
(1) जो जुड़ा या मिला न हो।
(2) अपना पेट भरने वाला।
(3) जिस पर विश्वास किया गया है।
(4) जिसका रोकना कठिन हो।
(5) तैरकर पार करने की इच्छा वाला।
7. (क) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए। (5)
(1) तुम्हारे हर काम गलत होते हैं।
(2) दंगों में कई निरपराधी व्यक्ति मारे गए।
(3) तुम कौन गाँव में रहते हो?
(4) यह बात उदाहरण से स्पष्ट किया जा सकता है।
(5) प्रेमचंद अच्छी कहानी लिखे हैं।
(ख) निम्नलिखित शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए। (5)
अनुसुस्या, वहिमन, मध्यान्ह, प्रज्वल, कृशांगिनी
8. निम्नलिखित मुहावरों/लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए और उनका वाक्यों में प्रयोग कीजिए। (30 अंक)
- चूहे के चाम से नगाड़ा नहीं बनता।
- खूंटे के बल बछड़ा कूदे।
- दालभात में मूसरचंद।
- पराय धन पर लक्ष्मीनारायण।
- एक ही लकड़ी से सबको हाँकना।
- अधजल गगरी छलकत जाए।
- लहू के आँसू पीना।
- मीठी छुरी चलाना।
- नियानबे के फेर में पड़ना।
- जबान में लगाम न देना।