The Hindu Editorial Analysis in Hindi
8 November 2025
व्यापक एसआईआर में गति है लेकिन यह अभी भी एक परीक्षण मामला है
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र II: चुनाव सुधार, चुनाव प्रक्रिया, चुनाव आयोग की भूमिका | सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र IV: संस्थागत जवाबदेही और सार्वजनिक विश्वास
संदर्भ
भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) ने नौ राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों — जिनमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, तमिलनाडु, राजस्थान और पश्चिम बंगाल शामिल हैं — में विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया प्रारंभ की है। यह देशव्यापी मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान का हिस्सा है, जो 2026 में होने वाले आगामी चुनावों की तैयारी के रूप में किया जा रहा है।
इस पहल का उद्देश्य मतदाता पंजीकरण की शुद्धता को सुदृढ़ करना, समावेशन को बढ़ाना तथा दोहराव (duplication) को समाप्त करना है। हालांकि, यह एक जटिल प्रशासनिक एवं राजनीतिक परीक्षा भी है।

वर्तमान SIR की प्रमुख विशेषताएँ
- यह भारत के निर्वाचन इतिहास में केवल छठा SIR है और सात वर्षों के अंतराल के बाद पहली बार आयोजित किया जा रहा है।
- यह 321 से अधिक जिलों और 1,843 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करता है, जिसमें लगभग 5.33 लाख मतदान केंद्रों तथा 7.6 लाख से अधिक बूथ स्तर अधिकारियों (BLOs) की भागीदारी है।
- नागरिकता, निवास एवं आयु पात्रता की दस्तावेज़-आधारित सत्यापन प्रक्रिया के माध्यम से जाँच सुनिश्चित की जा रही है।
- अंतिम मतदाता सूची 7 फरवरी 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
चुनौतियाँ एवं जटिलताएँ
1. “One-size-fits-all” समस्या:
SIR को राज्यों के विविध सामाजिक-भौगोलिक परिदृश्यों में विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। उदाहरणार्थ — सीमावर्ती राज्यों जैसे पश्चिम बंगाल व असम में घुसपैठ और नागरिकता सत्यापन की जटिलताएँ प्रमुख हैं।
2. प्रशासनिक भार:
कई चुनावी चक्रों के दौरान BLOs एवं राज्य सरकारी तंत्र को सक्रिय करना लॉजिस्टिक दबाव उत्पन्न करता है।
3. राजनीतिक संवेदनशीलता:
तमिलनाडु, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में राजनीतिक दलों ने यह आशंका व्यक्त की है कि पात्र मतदाताओं को सूची से बाहर किया जा सकता है। अतः ECI को पारदर्शिता और जनविश्वास बनाए रखते हुए राजनीतिक टकराव से बचना होगा।
4. मतदाता विश्वास एवं भागीदारी:
मतगणना पूर्व चरण में जनविश्वास सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। इसके लिए डिजिटल उपकरणों, नए मतदाताओं हेतु रिक्त प्रपत्रों, तथा स्थानीय भागीदारी की संरचित प्रक्रिया का उपयोग आवश्यक है।
SIR का महत्व
- यह संविधान के अनुच्छेद 326 के अंतर्गत नागरिक के मताधिकार और मतदाता सूची में सम्मिलित होने के अधिकार की पुनः पुष्टि करता है।
- यह मतदाता पंजीकरण में “citizen-first” दृष्टिकोण को प्रोत्साहित करता है, जो स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के ECI के मूल उद्देश्य के अनुरूप है।
- यह देशव्यापी निर्वाचन अखंडता का एक परीक्षण उदाहरण (test case) है, विशेषकर आंतरिक प्रवासियों और नए मतदाताओं के समावेश की दिशा में।
आगे की राह
1. संवेदनशीलता और लचीलापन:
ECI को कठोर सत्यापन मानकों और स्थानीय सामाजिक-राजनीतिक संवेदनशीलताओं के बीच संतुलन बनाना चाहिए।
2. संस्थागत सहयोग:
राज्य सरकारों को पर्याप्त जनशक्ति उपलब्ध करानी चाहिए तथा प्रक्रिया के दौरान प्रशासनिक फेरबदल से बचना चाहिए।
3. जनजागरूकता और डिजिटल समावेशन:
मोबाइल ऐप्स, सार्वजनिक अभियान और मतदाता सहायता केंद्रों के माध्यम से जनभागीदारी को सशक्त किया जा सकता है।
4. कानूनी स्थिरता:
SIR प्रक्रिया को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाना चाहिए ताकि उसकी विश्वसनीयता बनी रहे।
निष्कर्ष
2025–26 का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) भारत की निर्वाचनिक दृढ़ता (electoral resilience) की एक महत्वपूर्ण परीक्षा है।
यह प्रक्रिया निर्वाचन आयोग की समावेशी लोकतंत्र, पारदर्शिता, और मतदाता पंजीकरण की शुद्धता के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः सुदृढ़ करती है।
“SIR केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं है — यह प्रत्येक नागरिक के गिने जाने और भागीदार बनने के लोकतांत्रिक अधिकार की पुनर्पुष्टि है।”