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प्रसंग

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) पर आधारित राष्ट्रीय कार्य योजना (National Action Plan) के संस्करण–2 को लागू करने के लिए भारत को नयी प्रतिबद्धता की आवश्यकता है।

भूमिका

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस पर भारत का ध्यान दूसरी राष्ट्रीय कार्य योजना के माध्यम से फिर से केंद्रित होना बढ़ती तात्कालिकता को दर्शाता है।
दवा-प्रतिरोधी संक्रमणों के बढ़ते मामलों, एंटीबायोटिक के व्यापक दुरुपयोग, तथा मानव, पशु और पर्यावरणीय क्षेत्रों में AMR के फैलाव को देखते हुए ‘वन हेल्थ’ (One Health) दृष्टिकोण पर आधारित एक मजबूत और समन्वित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।
नई नीति का उद्देश्य पूर्ववर्ती कार्य योजना में मौजूद क्रियान्वयन संबंधी कमियों को दूर करना और तेजी से बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट से निपटना है।

पृष्ठभूमि और संदर्भ

  • AMR पर दूसरी राष्ट्रीय कार्य योजना का लॉन्च यह संकेत देता है कि पहली योजना में सीमित प्रगति हुई और क्रियान्वयन धीमा रहा।
  • सरकार द्वारा नया संस्करण लाने का उद्देश्य भारत में बढ़ते और जटिल होते AMR बोझ का समाधान करना है, हालांकि नीति के विस्तृत प्रावधान अभी सार्वजनिक नहीं हैं।
  • WHO की 2023 सर्विलांस रिपोर्ट के अनुसार भारत में हर तीन में से एक संक्रमण सामान्य एंटीबायोटिक के प्रति प्रतिरोधी था, जबकि वैश्विक स्तर पर यह अनुपात छह में से एक है।
  • भारत में संक्रामक रोगों का भारी बोझ, एंटीबायोटिक का अनुचित उपयोग, और कमजोर निगरानी प्रणालियाँ AMR के प्रति देश की संवेदनशीलता बढ़ाती हैं।
  • E.coli और Klebsiella pneumoniae जैसे महत्वपूर्ण रोगजनक अब अंतिम-चरण (last-line) एंटीबायोटिक्स के प्रति भी प्रतिरोध दिखा रहे हैं।
  • AMR का प्रभाव पशुओं, मिट्टी, पानी, कृषि और मत्स्य पालन पर भी पड़ता है, जिससे मानव–पशु–पर्यावरण स्वास्थ्य को एकीकृत करने वाले वन हेल्थ दृष्टिकोण की आवश्यकता और भी बढ़ जाती है।

चुनौतियाँ और नीतिगत अंतराल

  • समुदाय स्तर पर बढ़ते प्रतिरोध को देखते हुए भारत को एंटीबायोटिक स्ट्यूअर्डशिप (सही उपयोग और नियंत्रण) को अधिक सशक्त करने की तत्काल आवश्यकता है।
  • पहली कार्य योजना के दौरान AMR के प्रति जागरूकता बढ़ी और प्रयोगशाला नेटवर्क का विस्तार हुआ, परंतु क्रियान्वयन असमान और कमजोर रहा।
  • सकारात्मक कदमों में पशुपालन में ग्रोथ प्रमोटर के रूप में कोलिस्टिन पर प्रतिबंध शामिल था, लेकिन केंद्र–राज्य समन्वय की कमी से व्यापक परिणाम नहीं मिल सके।
  • सिर्फ कुछ राज्यों ने AMR योजनाएँ तैयार कीं, जिनमें केरल सबसे सफल रहा—जहाँ समुदाय स्तर पर प्रतिरोध में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई।

नई नीति की भावी प्राथमिकताएँ

  • अद्यतन योजना को सभी क्षेत्रों में एंटीबायोटिक के अत्यधिक और गलत उपयोग को नियंत्रित करने पर ध्यान देना होगा।
  • AMR के बहु-क्षेत्रीय प्रसार को रोकने के लिए वन हेल्थ फ्रेमवर्क को और मजबूत करना आवश्यक है।
  • केंद्र को प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए राज्यों के साथ मजबूत समन्वय स्थापित करना होगा।
  • नीति का यह संस्करण अधिक क्रियात्मक, व्यापक और वास्तविक प्रगति सुनिश्चित करने में सक्षम होना चाहिए।

निष्कर्ष

नई AMR नीति की सफलता के लिए भारत को एंटीबायोटिक स्ट्यूअर्डशिप को सुदृढ़ करना होगा, केंद्र–राज्य समन्वय बढ़ाना होगा, और वन हेल्थ फ्रेमवर्क का विस्तार करना होगा।
सार्थक प्रगति के लिए एंटीबायोटिक दुरुपयोग पर कड़ा नियंत्रण, प्रभावी निगरानी प्रणाली, और दीर्घकालिक प्रतिबद्धता आवश्यक है।
केवल एक निर्णायक और प्रभावी रणनीति ही बढ़ते एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को रोक सकती है और देश की स्वास्थ्य प्रणाली की रक्षा कर सकती है।


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