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संदर्भ

यह सम्पादकीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय (MoCA) और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) की कड़ी आलोचना करता है कि इंडिगो पायलटों की हड़ताल (दिसंबर 2025) के बाद वाणिज्यिक परिचालन को प्राथमिकता देने हेतु फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन्स (FDTL) नियमों को निलंबित कर दिया गया।
इस निर्णय को “ब्लैक फ्राइडे” की संज्ञा देते हुए इसे नौकरशाही की लापरवाही और निजी एयरलाइन हितों के दबाव में लिए गए निर्णय के रूप में चित्रित किया गया है, जिसने पायलटों के कल्याण और यात्रियों की सुरक्षा—दोनों—को खतरे में डाल दिया।

1. पृष्ठभूमि — फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन्स (FDTL)

FDTL नागरिक उड्डयन आवश्यकता (CAR) यह निर्धारित करती है कि पायलट और केबिन क्रू अधिकतम कितने समय तक उड़ान भर सकते हैं या ड्यूटी पर रह सकते हैं, ताकि थकान-जनित दुर्घटनाओं को रोका जा सके।
थकान को वैश्विक स्तर पर विमानन सुरक्षा का प्रमुख जोखिम कारक माना गया है।

DGCA ने ICAO ऑडिट में मिली कमियों के बाद 2022 में FDTL नियमों में संशोधन किया था।

किन्तु 5 दिसंबर 2025 के DGCA आदेश ने पायलट प्रदर्शन के विरोध के बीच FDTL नियमों को “अस्थायी रूप से निरस्त” कर दिया, जिससे स्पष्ट है कि सुरक्षा से पहले लाभ को प्राथमिकता दी गई।


2. सुरक्षा मानकों का कमजोर होना — एक ऐतिहासिक प्रवृत्ति

2007 में भी क्रू विश्राम अवधि को विनियमित करने वाले CAR को एयरलाइनों के दबाव में वापस ले लिया गया था।
एयरलाइनों ने हमेशा “क्रू की कमी” और “परिचालनिक सुविधा” का हवाला देते हुए विश्राम मानकों में ढील की मांग की।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2024 में ही यह घोषित किया था कि पायलटों की थकान प्रबंधन और सुरक्षा से समझौता किसी भी व्यावसायिक उद्देश्य से नहीं किया जा सकता।
फिर भी हाल में अदालत का रुख नरम दिखा, जो न्यायिक असंगति को दर्शाता है।


3. नियामक विफलता और जवाबदेही का अभाव

DGCA और MoCA ने बार-बार वैश्विक चेतावनियों के बावजूद निजी एयरलाइनों की मांगों को प्राथमिकता दी है।

ICAO ने 2006 और 2015 के ऑडिट में भारत से एक स्वतंत्र नागरिक उड्डयन प्राधिकरण स्थापित करने की सिफारिश की थी, जो सरकार और कॉर्पोरेट प्रभाव से मुक्त हो—परन्तु यह प्रस्ताव आज तक लागू नहीं हुआ।

सम्पादकीय “नियामक कब्ज़ा” (regulatory capture) का आरोप लगाता है, जहाँ DGCA एयरलाइन लॉबी के हितों की पूर्ति करता प्रतीत होता है, न कि सुरक्षा नियमों का कठोर पालन।


4. इंडिगो संकट और नीतिगत कुप्रबंधन

इंडिगो—भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन—ने 1 नवंबर 2025 से लागू होने वाले क्रू शेड्यूलिंग नियमों की अनदेखी की, जिसका परिणाम दिसंबर के प्रारम्भ में भारी उड़ान रद्दीकरण के रूप में सामने आया।

DGCA और MoCA पूरी समयरेखा से अवगत होने के बावजूद न तो नियमों को लागू करा सके और न ही किसी वैकल्पिक योजना की तैयारी की।

हजारों यात्री फंसे रहे; एयरलाइन द्वारा दिए गए रिफंड अप्रत्यक्ष खर्चों की भरपाई नहीं कर सके—इससे भारत की विमानन शासन प्रणाली में उपभोक्ता संरक्षण की कमजोरी उजागर हुई।


5. सुरक्षा की अनदेखी की वास्तविक कीमत

लेख यह स्मरण कराता है कि 2000 के बाद भारत ने तीन प्रमुख विमान दुर्घटनाएँ झेली हैं—मंगलूरू, कोझिकोड और अहमदाबाद।
जांचों में क्रू थकान, त्रुटिपूर्ण संचार और नियामक शिथिलता को बार-बार सामने आने वाले कारणों के रूप में चिन्हित किया गया।

आज FDTL नियमों को निलंबित करना वही गलतियाँ दोहराने जैसा है, जो अतीत में गंभीर त्रासदियों का कारण बनीं।


6. व्यापक प्रश्न — शासन व्यवस्था और विधि का शासन (Rule of Law)

भारत की विमानन नियामक संस्कृति में कानूनों को व्यावसायिक सुविधाओं हेतु मोड़ने की प्रवृत्ति देखी जाती है।
ऐसी प्रशासनिक अतिक्रमण न केवल अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों का उल्लंघन है, बल्कि ICAO के समक्ष भारत की विश्वसनीयता को भी क्षति पहुँचाता है।

सम्पादकीय निम्न सुधारों की मांग करता है—

  • एक स्वतंत्र विमानन सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना, जिसके लिए पृथक वैधानिक ढांचा हो।
  • DGCA की कार्रवाइयों पर न्यायिक निगरानी।
  • सुरक्षा ऑडिट रिपोर्टों और अनुपालन सूचनाओं का अनिवार्य सार्वजनिक प्रकटीकरण।

निष्कर्ष

“कोई भी सभ्य विमानन व्यवस्था वाणिज्यिक हितों के अनुरूप सुरक्षा मानकों को कमजोर नहीं करती।”

कैप्टन रंगनाथन के अनुसार FDTL नियमों का निलंबन नियामक ढांचे के पतन का संकेत है, जो यात्रियों और पायलटों दोनों को जोखिम में डालता है।
वे चेतावनी देते हैं कि यदि प्रणालीगत सुधार नहीं हुए तो भारत को और अधिक घातक दुर्घटनाओं तथा अंतरराष्ट्रीय फटकार का सामना करना पड़ सकता है।

विमानन सुरक्षा न तो मुनाफे के लिए समझौता करने योग्य है और न राजनीतिक सुविधा के लिए—यह शासन का अपरिहार्य आधारस्तंभ होना चाहिए।


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