The Hindu Editorial Analysis in Hindi
19 December 2025
महत्वाकांक्षी परमाणु ऊर्जा लक्ष्य के बीच एक साहसिक कदम।
(Source – The Hindu, International Edition – Page No. – 8)
विषय: GS 3: विज्ञान और प्रौद्योगिकी – विकास और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में उनके अनुप्रयोग और प्रभाव।
प्रसंग
• SHANTI विधेयक, 2025 भारत की परमाणु ऊर्जा नीति को सुदृढ़ और तेज़ करने का प्रयास है।

परिचय
• मानव विकास और ऊर्जा उपभोग के बीच ऐतिहासिक रूप से गहरा संबंध रहा है।
• 1971 के Scientific American शोध में मानव प्रगति के प्रत्येक चरण के साथ ऊर्जा मांग में वृद्धि को रेखांकित किया गया।
• आदिम समाज → केवल भोजन हेतु ऊर्जा उपयोग।
• शिकार चरण → आश्रय और व्यापार के लिए अतिरिक्त ऊर्जा आवश्यकता।
• कृषि चरण → उद्योग, कृषि और परिवहन से जुड़ी ऊर्जा मांग।
• औद्योगिक और तकनीकी युग → ऊर्जा आवश्यकताओं में तीव्र वृद्धि।
• डिजिटल युग → अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से नई और बढ़ती ऊर्जा मांग।
विकास दर और ऊर्जा उत्पादन
• मानव विकास सूचकांक (HDI) आय, शिक्षा और स्वास्थ्य का संयुक्त माप है।
• HDI और प्रति व्यक्ति अंतिम ऊर्जा उपभोग (FEC) के बीच मजबूत सहसंबंध पाया जाता है।
• भारत का लक्ष्य 0.9 से अधिक HDI वाले देशों के स्तर तक पहुँचना है।
• HDI 0.9 प्राप्त करने के लिए भारत को लगभग 24,000 TWh वार्षिक ऊर्जा उत्पादन की आवश्यकता होगी।
• कुल ऊर्जा का लगभग 60% बिजली के रूप में उपयोग होगा।
• शेष ऊर्जा का उपयोग इलेक्ट्रोलाइज़र द्वारा हाइड्रोजन उत्पादन में किया जाएगा।
• हाइड्रोजन इस्पात, उर्वरक और प्लास्टिक जैसे कठिन-से-डीकार्बोनाइज़ क्षेत्रों के लिए आवश्यक है।
• भविष्य में कम-कार्बन हाइड्रोजन तकनीकों के विकास से बिजली की मांग घट सकती है।
• 2023–24 में भारत का कुल विद्युत उत्पादन लगभग 1,950 TWh था।
• हालिया CAGR लगभग 4.8% रहा है।
• इसी गति से वृद्धि होने पर 24,000 TWh तक पहुँचने में 40–50 वर्ष लग सकते हैं।
मुख्य चुनौतियाँ
• ऊर्जा मिश्रण का डीकार्बोनाइज़ेशन।
• अंतिम उपयोगों (End-use) का बड़े पैमाने पर विद्युतीकरण।
• वर्तमान में बिजली का FEC में योगदान केवल लगभग 22% है।
• जीवाश्म ईंधनों पर भारी निर्भरता, जिसे क्रमिक रूप से कम करना होगा।
• कम-कार्बन स्रोतों से उत्पादन में तेज़ वृद्धि की आवश्यकता।
डीकार्बोनाइज़्ड ऊर्जा मिश्रण की आवश्यकता
• भारत में जलविद्युत और पवन ऊर्जा की संभावनाएँ सीमित हैं।
• उच्च जनसंख्या घनत्व के कारण बड़े सौर ऊर्जा पार्कों के लिए भूमि सीमित है।
• केवल सौर, पवन और जल ऊर्जा से HDI 0.9 के लिए आवश्यक ऊर्जा पूरी नहीं हो सकती।
• सौर और पवन ऊर्जा अनियमित (intermittent) प्रकृति की हैं।
• आपूर्ति–मांग संतुलन हेतु ऊर्जा भंडारण और बैकअप उत्पादन आवश्यक।
• मौसमी भंडारण के लिए बड़े पैमाने पर स्टोरेज अत्यंत महँगा है।
• सस्ती और स्थिर बिजली के लिए बेसलोड क्षमता अनिवार्य।
• परमाणु ऊर्जा विश्वसनीय बेसलोड बिजली प्रदान करती है।
भारत की परमाणु क्षमता
• परमाणु ऊर्जा विभाग और भारतीय उद्योग ने आपूर्ति श्रृंखला को काफी हद तक स्वदेशी बनाया।
• यूरेनियम एकमात्र प्रमुख आयातित इनपुट है।
• भारत में परमाणु ईंधन निर्माण और भारी जल उत्पादन की क्षमता विकसित।
• PHWR तकनीक में भारत को विशेष दक्षता प्राप्त।
• NPCIL ने 700 मेगावाट तक के PHWR का सफल डिज़ाइन और संचालन किया।
• 3 इकाइयाँ चालू, 1 लगभग पूर्ण, 2 उन्नत निर्माण चरण में।
• 2017 में 10 अतिरिक्त 700 मेगावाट PHWR को स्वीकृति।
• समर्पित परमाणु नियामक निकाय प्रभावी नियमन में सक्षम।
• BARC द्वारा प्रयुक्त ईंधन पुनःप्रसंस्करण और अपशिष्ट प्रबंधन तकनीक विकसित।
• परमाणु ऊर्जा तकनीकी, आर्थिक और सुरक्षा दृष्टि से व्यवहार्य।
SHANTI विधेयक, 2025
• मध्य शताब्दी तक 100 गीगावाट परमाणु क्षमता का लक्ष्य।
• संसद के दोनों सदनों द्वारा SHANTI विधेयक पारित।
• परमाणु ऊर्जा अधिनियम, 1962 और दायित्व अधिनियम, 2010 के प्रावधानों का समेकन।
• परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को कानूनी निरंतरता।
• सुरक्षा, संरक्षा और संरक्षण की प्राथमिक जिम्मेदारी लाइसेंसधारी को।
• विधेयक परमाणु ऊर्जा के प्रति मज़बूत राजनीतिक प्रतिबद्धता दर्शाता है।
निष्कर्ष
• उच्च मानव विकास के लिए विश्वसनीय, सस्ती और स्वच्छ ऊर्जा आवश्यक।
• नवीकरणीय ऊर्जा की सीमाओं के कारण परमाणु ऊर्जा अनिवार्य बेसलोड समाधान।
• SHANTI विधेयक परमाणु विस्तार हेतु नीतिगत स्पष्टता और विश्वास प्रदान करता है।
• भारत के सतत विकास लक्ष्यों के लिए ऐसे साहसिक सुधार आवश्यक हैं।