‘एक गरीब और विकासशील देश में कुछ एक बुनियादी सामाजिक-आर्थिक अधिकार मौलिक अधिकारों की केंद्रीय विशेषता के रूप में दर्ज करने के बजाए राज्य की नीति-निर्देशक तत्त्वों वाले खंड में क्यों रख दिए गए, यह स्पष्ट नहीं है’। आपके जानते सामाजिक-आर्थिक अधिकारों को नीति-निर्देशक तत्त्व वाले खंड में रखने के क्या कारण रहे होंगे?
“It is not clear why in a poor developing country, certain basic socio-economic rights were relegated to the section on Directive Principles rather than made an integral feature of our Fundamental Rights”. What do you think are the possible reasons for putting socio-economic rights in the section on Directive Principles?
Source- NCERT (Indian Constitution at Work)