UPPCS 2021 Mains General Hindi Paper was held on 23 March 2022 in the morning shift i.e. from 9:30 AM to 12:30 PM.
सामान्य हिन्दी/General Hindi Paper
Time allowed: 3 Hours Maximum Marks: 150
नोट: (i) सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
(ii) प्रत्येक प्रश्न के अंक प्रश्न के अंत में अंकित हैं।
(iii) पत्र, प्रार्थना पत्र या किसी अन्य प्रश्न के उत्तर के साथ अपना अथवा अन्य का नाम, पता एवं अनुक्रमांक ना लिखें। आवश्यक होने पर क, ख, ग लिख सकते हैं।
- निम्नलिखित गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़िये और नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
किसी परिमित वर्ग से कल्याण से सम्बन्ध रखने वाले धर्म की अपेक्षा विस्तृत जनसमूह के कल्याण से सम्बन्ध रखने वाला धर्म, उच्च कोटि का है। धर्म की उच्चता उसके लक्ष्य के व्यापकत्व के अनुसार समझी जाती है। गृहधर्म या कुल धर्म से समाज श्रेष्ठ है, समाज -धर्म से लोकधर्म, लोकधर्म से विश्वधर्म, जिसमें धर्म अपने शुद्ध और पूर्ण स्वरुप में दिखाई पड़ता है। यह पूर्ण धर्म अंगी है और शेष धर्म अंग। पूर्ण धर्म, जिसका सम्बन्ध अखिल विश्व की स्तिथि रक्षा से है, वस्तुत: पूर्ण पुरुष या पुरुषोत्तम में ही रहता है, जिसकी मार्मिक अनुभूति सच्चे भक्तों की ही हुआ करती है, इसी अनुभूति के अनुरूप उनके आचरण का भी उत्तरोत्तर विकास हो जाता है। गृह धर्म पर दृष्टि रखने वाला लोक या समस्त या किसी परिवार की रक्षा देखकर, वर्ग धर्म पर दृष्टि रखने वाला, किसी वर्ग या समाज की रक्षा देखकर और लोक धर्म पर दृष्टि रखने वाला लोक या समस्त मनुष्य-जाति की रक्षा देखकर आंनद का अनुभव करता है। पूर्ण या शुद्ध धर्म का स्वरुप सच्चे भक्त ही अपने और दूसरों के सामने लाया करते हैं, जिनके भगवन पूर्ण धर्म स्वरुप हैं, अत: ये कीटपतंग से लेकर मनुष्य तक सब प्राणियों की रक्षा देखकर आंनद प्राप्त करते हैं। विषय की व्यापकता के अनुसार उनका आंनद भी उच्च कोटि का होता है। उच्च से उच्च भूमि के धर्म का आचरण अत्यन्त साधारण कोटि का हो सकता है। इसी प्रकार निम्न भूमि के धर्म का आचरण उच्च से उच्च कोटि का हो सकता है। गरीबों का गला काटने वाले चीटियों के बिलों पर आटा फैलाते देखे जाते हैं, अकाल –पीड़ितों की साहयता में एक पैसा चन्दा न देने वाले अपने डूबते मित्र को बचने के लिए प्राण संकट में डालते देखे जाते हैं।
(क) प्रस्तुत गद्यांश का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए। (5)
(ख) धर्म समाज का कल्याण कैसे करता है ? इसे गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए। (5)
(ग) उपर्युक्त गद्यांश की रेखांकित पंक्तियों की व्याख्या कीजिए। (20)
- निम्नलिखित गद्यांश कोपढ़करनिर्देशानुसार उत्तर दीजिए:
लोभियों का दमन योगियों के दमन से किसी प्रकार काम नहीं होता। लोभ के बल से वे, काम और क्रोध को जीतते हैं, सुख की वासना का त्याग करते हैं, मान-अपमान में समान भाव रखते हैं। अब और चाहिए क्या ? जिससे वे कुछ पाने की आशा रखते हैं वह यदि उन्हें दस गालियाँ भी देता है तो उनकी आकृति पर न रोष का कोई चिन्ह प्रकट होता है और न मन मेंग्लानि होता है। न उन्हें मक्खी चूसने में घृणा होती है और न रक्त चूसने में दया। सुन्दर से सुन्दर रूप देखकर वे अपनी एक कौड़ी भी नहीं भूलते। करुण से करुण स्वर सुनकर वे अपना एक पैसा भी किसी के यहाँ नहीं छोड़ते। तुच्छ से तुच्छ व्यक्ति के सामने हाथ फ़ैलाने में वे लज्जित नहीं होते। क्रोध, दया, घृणा, लज्जा आदि करने से क्या मिलता है की वे करने जायें? जिस बात से उन्हें कुछ मिलता नहीं जबकि उसके लिए उनके मन के किसी कोने में जगह नहीं होती, तब जिस बात से पास का कुछ जाता है, वह बात उन्हें कैसी लगती होगी, यह यों ही समझा जा सकता है। जिस बात में कुछ लगे वह उनके काम की नहीं चाहे वह कष्ट निवारण हो या सुख-प्रप्ति, धर्म हो या न्याय। वे शरीर सुखाते हैं, अच्छे भोजन, अच्छे वस्त्र आदि की आकांक्षा नहीं करते। लोभ के अंकुश से अपनी सम्पूर्ण इन्द्रियों को वश में रखते हैं। लोभियों ! तुम्हारा अक्रोध, तुम्हारा इन्द्रिय – निग्रह, तुम्हारा मानापमान -समता, तुम्हारा तप अनुकरणीय है। तुम्हारी निष्ठुरता, तुम्हारी निर्लज्जता, तुम्हारा अविवेक, तुम्हारा अन्याय विग्रहणीय है। तुम धन्य हो ! तुम्हें धिक्कार है !!
(क) प्रस्तुत गद्यांश के लिए उचित शीर्षक दीजिए। (5)
(ख) उपर्युक्त गद्यांश के आधार पर लोभियों के लक्षण बताइए। (5)
(ग) उपर्युक्त गद्यांश का संक्षेपण कीजिए। (20)
- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
(क) अर्ध सरकारी पत्र किसे कहते हैं ? यह सरकारी पत्र से किस प्रकार भिन्न होता है? दोनों का अलग -अलग प्रारूप तैयार कीजिए। (10)
(ख) नगर महापौर की और से महानगर में डेंगू से हो रही मृत्यु संबंधी एक सरकारी पत्र उत्तर प्रदेश शासन को लिखिए। (10) - निम्नलिखित शब्दों के विलोम शब्द लिखिए: (10)
अनुक्रिया, अधिष्ठित, वादी, आगमन, सज्जन, सुपुत्र, राग, सम्मुख, सलज्ज, उदात्त - (क) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त उपसर्गों का निर्देश कीजिए। (5)
उपासना, दुस्साध्य, निमीलित, सुपुत्र, अपस्मार
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्ययों को अलग कीजिए। (5)
अपनाना, वैदिक, राधेय, गुरुता, ग्रामीण - निम्नलिखित वाक्यांशों या पदबंधों के लिए एक-एक शब्द लिखिए। (10)
(1) उत्तराधिकार में प्राप्त सम्पत्ति
(2) शत्रुओं का हनन करने वाला
(3) मुकदमा दायर करने वाला व्यक्ति
(4) युद्ध की प्रबल इच्छा हो जिसमें
(5) उत्तर देकर खण्डन करना - (क) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध कीजिए। (5)
(1) तुम तुम्हारी किताब ले जाओ।
(2) यही सरकारी महिलाओं का अस्पताल है।
(3) यह एक गहरी समस्या है।
(4) मोहन आगामी वर्ष कलकत्ता गया था।
(5) गणित एक कठोर विषय है।
(ख) निम्न शब्दों की वर्तनी का संशोधन कीजिए। (5)
व्यवहारिक, तत्कालीक, आशीर्वाद, पुज्यनीय, इच्छिक
- निम्नलिखित मुहावरों/ लोकोक्तियों के अर्थ लिखिए और उनका वाक्य में प्रयोग कीजिए। (30)
(1) जब तक साँस तब तक आस
(2) जिसका काम उसी को साजै
(3) चित भी मेरी पट भी मेरी
(4) झूठ के पाँव नहीं होते
(5) हाथ कंगन को आरसी क्या
(6) आड़े आना
(7) आँखें बिछाना
(8) खाक बिछाना
(9) ठन-ठन गोपाल
(10) शैतान की आँत